02-01-2020, 11:14 AM
Update 67
फिर वो दर्दनाक दिन आया जिसे मैं कभी नही भूल सकता.
अगले दिन कॉलेज के एक कमरे में मैं अपने दोस्तो, रवि,जावेद,मनीष और विवेक के साथ बैठा था. हँसी मज़ाक चल रहा था. अपर्णा के बारे में बाते हो रही थी.
“कहा पहुँची तुम्हारी स्टोरी गौरव भाई.” मनीष ने पूछा.’
“बस पूछो मत यार. कल इस कम्बख़त गब्बर ने आकर काम खराब कर दिया वरना कल सब कुछ बोल देता मैं.”
“मतलब अभी तुम शर्त जीते नही हो.” जावेद भाई ने चुस्की ली
“शर्त तो मैं जीत ही जाउन्गा, ज़्यादा देर नही है उसमे. बात अब अपर्णा का दिल जीतने की है. प्यार हो गया यार मुझे उस से मज़ाक मज़ाक में. बुरा हाल है मेरा.” मैने कहा.
“बुरा हाल तो गब्बर करेगा तुम्हारा, जब उसे पता चलेगा कि कितना अच्छा यूज़ किया तुमने उसका .” विवेक भाई ने कहा.
“हम तो लगता है शर्त हार गये भाई, आओ गले लग जाओ, अपर्णा मुबारक हो तुम्हे.” रवि भाई ने कहा.
“इतना बड़ा धोका…….” हम सब चोंक गये अपर्णा की आवाज़ सुन कर.
हमने मूड कर देखा तो पाया कि रूम के दरवाजे पर अपर्णा खड़ी थी. साथ में गब्बर भी था.
“देख लो इस मक्कार को अपनी आँखो से. इसी ने गुंडे भी भेजे थे. कितना गिरा हुआ इंसान है ये.” गब्बर ने कहा.
मेरे तो पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी अपर्णा को देख कर. उसकी आँखो में खून उतर आया था. बहुत गुस्से में थी. शायद सारी बाते सुन ली थी उसने हमारी. मैं भाग कर गया अपर्णा के पास. “अपर्णा कुछ ग़लत मत समझना, हां शर्त लगाई थी मैने पर मैं सच में…………” नही बोल पाया आगे कुछ भी क्योंकि थप्पड़ जड़ दिया था अपर्णा ने मेरे गाल पर.
“एक और मारो इस कामीने को.” गब्बर ने आग उगली.
चली गयी अपर्णा वहाँ से और मैं वही खड़ा रहा. कर भी क्या सकता था. अपर्णा कुछ सुन-ने को तैयार ही नही थी. प्यार शुरू होने से पहले ही ख़तम हो गया. अपने प्यार का इज़हार भी नही कर पाया मैं. मैं ही जानता हूँ कि मुझ पर क्या बीती. मेरे दोस्तो ने मुझे संभाल लिया वरना मैं बिखर गया था.
“बहुत दुख हुआ ये सब जान कर. तुम्हारी आँखो में आँसू आ गये हैं. अपर्णा को एक तो मौका देना चाहिए था.” रीमा ने कहा.
“उसने एक बार भी मुझसे बात नही की बाद में. देखती थी मुझे मगर कभी भी बात नही की. इस से बड़ी सज़ा नही मिल सकती थी मुझे. मर जाने को जी चाहता था. ओफ प्यार बड़ी अजीब चीज़ है.” गौरव ने अपनी आँखो के आँसू पोंछते हुए कहा.
फिर वो दर्दनाक दिन आया जिसे मैं कभी नही भूल सकता.
अगले दिन कॉलेज के एक कमरे में मैं अपने दोस्तो, रवि,जावेद,मनीष और विवेक के साथ बैठा था. हँसी मज़ाक चल रहा था. अपर्णा के बारे में बाते हो रही थी.
“कहा पहुँची तुम्हारी स्टोरी गौरव भाई.” मनीष ने पूछा.’
“बस पूछो मत यार. कल इस कम्बख़त गब्बर ने आकर काम खराब कर दिया वरना कल सब कुछ बोल देता मैं.”
“मतलब अभी तुम शर्त जीते नही हो.” जावेद भाई ने चुस्की ली
“शर्त तो मैं जीत ही जाउन्गा, ज़्यादा देर नही है उसमे. बात अब अपर्णा का दिल जीतने की है. प्यार हो गया यार मुझे उस से मज़ाक मज़ाक में. बुरा हाल है मेरा.” मैने कहा.
“बुरा हाल तो गब्बर करेगा तुम्हारा, जब उसे पता चलेगा कि कितना अच्छा यूज़ किया तुमने उसका .” विवेक भाई ने कहा.
“हम तो लगता है शर्त हार गये भाई, आओ गले लग जाओ, अपर्णा मुबारक हो तुम्हे.” रवि भाई ने कहा.
“इतना बड़ा धोका…….” हम सब चोंक गये अपर्णा की आवाज़ सुन कर.
हमने मूड कर देखा तो पाया कि रूम के दरवाजे पर अपर्णा खड़ी थी. साथ में गब्बर भी था.
“देख लो इस मक्कार को अपनी आँखो से. इसी ने गुंडे भी भेजे थे. कितना गिरा हुआ इंसान है ये.” गब्बर ने कहा.
मेरे तो पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी अपर्णा को देख कर. उसकी आँखो में खून उतर आया था. बहुत गुस्से में थी. शायद सारी बाते सुन ली थी उसने हमारी. मैं भाग कर गया अपर्णा के पास. “अपर्णा कुछ ग़लत मत समझना, हां शर्त लगाई थी मैने पर मैं सच में…………” नही बोल पाया आगे कुछ भी क्योंकि थप्पड़ जड़ दिया था अपर्णा ने मेरे गाल पर.
“एक और मारो इस कामीने को.” गब्बर ने आग उगली.
चली गयी अपर्णा वहाँ से और मैं वही खड़ा रहा. कर भी क्या सकता था. अपर्णा कुछ सुन-ने को तैयार ही नही थी. प्यार शुरू होने से पहले ही ख़तम हो गया. अपने प्यार का इज़हार भी नही कर पाया मैं. मैं ही जानता हूँ कि मुझ पर क्या बीती. मेरे दोस्तो ने मुझे संभाल लिया वरना मैं बिखर गया था.
“बहुत दुख हुआ ये सब जान कर. तुम्हारी आँखो में आँसू आ गये हैं. अपर्णा को एक तो मौका देना चाहिए था.” रीमा ने कहा.
“उसने एक बार भी मुझसे बात नही की बाद में. देखती थी मुझे मगर कभी भी बात नही की. इस से बड़ी सज़ा नही मिल सकती थी मुझे. मर जाने को जी चाहता था. ओफ प्यार बड़ी अजीब चीज़ है.” गौरव ने अपनी आँखो के आँसू पोंछते हुए कहा.