02-01-2020, 11:08 AM
जानबूझ कर एक जगह अचानक ब्रेक लगाया मैने और टकरा गया अपर्णा का जिस्म मेरे जिस्म से. मेरे बदन में तो आग लग गयी.
“अपर्णा ऐसे नज़दीक मत आओ. मुझे कुछ-कुछ होता है.” मैने कहा
“मुझे शॉंक नही है तुम्हारे नज़दीक आने का. ध्यान से चलाओ तुम”
वाह क्या गुस्सा था उसकी बात में. ऐसा लग रहा था जैसे कि फूल बरसा रही हो.
अपर्णा को बिके पर बैठा कर ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत मिल गयी मुझे. कुछ ही दूर चले थे की दो गुंडे पीछे पड़ गये हमारे. वो दोनो बायक्स पर थे. एक हमारे दाईं तरफ था ओर एक बाईं तरफ. गुंडे वैसे मैने ही बुलाए थे अपर्णा को इंप्रेस करने के लिए
वो कामीने अपनी आदत से मजबूर छेड़ने लगे अपर्णा को. जितना मैने कहा था उस से कुछ ज़्यादा ही बोल रहे थे. इस से पहले मैं कुछ कहता अपर्णा बोली, “गौरव बिके रोको इन्हे अभी बताती हूँ मैं. हे मिस्टर रूको ज़रा.”
ये काम तो मुझे करना था पर अपर्णा करने लगी. खेल बिगड़ता दीख रहा था. खैर अपर्णा की बात कैसे टालता मैं. रोक दी बायक मैने.उन दोनो गुणडो को तो रुकना ही था प्लान के मुताबिक.
अपर्णा ने तो अपनी सैंडल निकाल ली और एक के सर पर दे मारी. मैं क्या कहता. वो गुंडा चिल्लाया गुस्से में और अनाप सनाप बकने लगा. लोग इक्कथा हो गये वहाँ. खूब मारा लोगो ने उन दोनो गुणडो को. मुझे तो कुछ भी करने का मोका नही मिला . सारा प्लान धारसाई हो गया.
छोड़ दिया चुपचाप अपर्णा को घर. थॅंक्स तक नही किया उसने. चली गयी चुपचाप अंदर. कुछ भी वैसा नही हुआ जैसा मैने सोचा था. अपर्णा को पटाना बहुत मुश्किल काम था.
बताया मैने ये वाक़या फ.ज.बडी, जावेद, मनीस और विवेक भाई को. खूब हँसे सब मिल कर पता नही क्यों बताया इन लोगो को मैने. शायद दोस्ती के कारण. पर उन्हे तो हँसने से मतलब था.
खैर अभी कुछ बिगड़ा नही था.
“अपर्णा ऐसे नज़दीक मत आओ. मुझे कुछ-कुछ होता है.” मैने कहा
“मुझे शॉंक नही है तुम्हारे नज़दीक आने का. ध्यान से चलाओ तुम”
वाह क्या गुस्सा था उसकी बात में. ऐसा लग रहा था जैसे कि फूल बरसा रही हो.
अपर्णा को बिके पर बैठा कर ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत मिल गयी मुझे. कुछ ही दूर चले थे की दो गुंडे पीछे पड़ गये हमारे. वो दोनो बायक्स पर थे. एक हमारे दाईं तरफ था ओर एक बाईं तरफ. गुंडे वैसे मैने ही बुलाए थे अपर्णा को इंप्रेस करने के लिए
वो कामीने अपनी आदत से मजबूर छेड़ने लगे अपर्णा को. जितना मैने कहा था उस से कुछ ज़्यादा ही बोल रहे थे. इस से पहले मैं कुछ कहता अपर्णा बोली, “गौरव बिके रोको इन्हे अभी बताती हूँ मैं. हे मिस्टर रूको ज़रा.”
ये काम तो मुझे करना था पर अपर्णा करने लगी. खेल बिगड़ता दीख रहा था. खैर अपर्णा की बात कैसे टालता मैं. रोक दी बायक मैने.उन दोनो गुणडो को तो रुकना ही था प्लान के मुताबिक.
अपर्णा ने तो अपनी सैंडल निकाल ली और एक के सर पर दे मारी. मैं क्या कहता. वो गुंडा चिल्लाया गुस्से में और अनाप सनाप बकने लगा. लोग इक्कथा हो गये वहाँ. खूब मारा लोगो ने उन दोनो गुणडो को. मुझे तो कुछ भी करने का मोका नही मिला . सारा प्लान धारसाई हो गया.
छोड़ दिया चुपचाप अपर्णा को घर. थॅंक्स तक नही किया उसने. चली गयी चुपचाप अंदर. कुछ भी वैसा नही हुआ जैसा मैने सोचा था. अपर्णा को पटाना बहुत मुश्किल काम था.
बताया मैने ये वाक़या फ.ज.बडी, जावेद, मनीस और विवेक भाई को. खूब हँसे सब मिल कर पता नही क्यों बताया इन लोगो को मैने. शायद दोस्ती के कारण. पर उन्हे तो हँसने से मतलब था.
खैर अभी कुछ बिगड़ा नही था.