02-01-2020, 11:06 AM
मूरख और अग्यानि हूँ मैं प्यार के मामले में वरना अपर्णा को नही खोता.”
“अपर्णा? कौन अपर्णा… …”
“कॉलेज में थे हम दोनो साथ में.”
“बताओ ना उसके बारे में मैं सुन-ना चाहती हूँ.”
“नही रहने दो. मेरे जखम ही हरे होंगे.”
“बताओ ना प्लीज़. बताओगे तो एक बार फिर से अपनी रेल बनाने का मोका दूँगी तुम्हे.”
“अच्छा ऐसी बात है तो सुनो फिर……………..
अपर्णा एक ऐसी हसीना है जिसे देख कर किसी का भी दिल बहक सकता है. कॉलेज में कौन सा ऐसा लड़का था जो की उसके उपर मरता नही था. मगर अपर्णा जितनी सुंदर थी उसका चरित्र भी उतना ही सुंदर था. कभी किसी को मोका नही दिया उसने. किसी की तरफ नही देखती थी. बस अपने काम से काम रखती थी. अपर्णा के चाहने वालो में मैं भी शामिल था. रोज देखता था उसे चुप-चुप कर. मगर उसे पता नही चलने देता था.
अपर्णा का एक कज़िन ब्रदर भी उसी कॉलेज में पढ़ता था. उसका नाम हेमंत था. वैसे हम लोग उसे गब्बर कह कर बुलेट थे. उसके पापा पोलीस में थे. अक्सर अपने पापा की खाली बंदूक से खेलता रहता था वो. पर इस कारण एक अजीब आदत बन गयी थी उसकी. बात बात पर गोली मारने की बात करता था. कोई भी बात हो, उसे गोली मारने की बात तो करनी ही है. एक बार चाय गिर गयी मुझसे उसके उपर. तुरंत बोला, गौरव तुझे गोली मार दूँगा मैं.”
दिमाग़ खिसका हुआ था गब्बर का. पर अपर्णा का भाई था इसलिए बर्दास्त करते थे उसे हम. वही तो रास्ता था अपर्णा तक पहुँचने का. अपर्णा अक्सर गब्बर के साथ आती थी बायक पर बैठ कर. मैं गब्बर को ही बोलने के बहाने अपर्णा से भी कुछ बात कर लेता था.
अपर्णा तो कुछ भी बोलो, ही…हेलो से ज़्यादा कुछ बोलती ही नही थी. मैने भी ठान ली कि अपर्णा को पटा कर रहूँगा.
ये बात बताई मैने फ.ज.बडी को, जावेद को और मनीस को. तीनो लौटपोट हो गये मेरी बात सुन कर
“तुम और अपर्णा को पटाओगे. भूल जाओ बेटा और पढ़ाई पर ध्यान दो. गब्बर को पता चला तो गोली मार देगा तुम्हे.” जावेद भाई ने कहा.
फ.ज.बडी ने तो मुझे गले लगा लिया पता नही क्यों. उन्हे गले लगाने की बहुत आदत है. गले लगा कर बोले, “गौरव भाई…रहने दो…फ्री फंड में मारे जाओगे. अपर्णा ने किसका दिल नही तोड़ा जो तुम बचोगे…वो लड़की प्यार-व्यार में इंटेरेस्ट नही रखती”
पर मैं कहा मान-ने वाला था मैने कहा, “नही मैं पटा कर रहूँगा अपर्णा को चाहे कुछ हो जाए.”
“तुम नही पता सकते समझ लो ये बात. हम शर्त लगा सकते हैं तुमसे.”
“बेट लगाते हो मुझे चॅलेंज करते हो. अब तो मैं ये काम कर के रहूँगा.” मैं कह कर चल दिया वहाँ से.
पास ही विवेक भी सब सुन रहा था. हंसते हुए बोला, “पहले गब्बर से निपटना पड़ेगा तुम्हे…गोली मार देगा वो तुम्हे…ध्यान रखना.”
“क्या विवेक भाई आप भी शुरू हो गये. वैसे मैं गब्बर को ही सीधी बना कर बढ़ुंगा आगे. बेचारे को पता भी नही चलेगा ” मैने कहा
रोज गब्बर को मैं चारा डालने लगा. ताकि अच्छी दोस्ती बन जाए. काई बार उसे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया. मैने किसी तरह से उसे राज़ी किया की तुम रोज सुबह मेरे साथ कॉलेज जाया करोगे. वो बोला की अपर्णा साथ होती है. मैने कहा तो रहने दो. उसके रहने से क्या फर्क पड़ता है. हम कौन सा अश्लील बाते करते जाएँगे.
खैर किसी तरह शील्षिला शुरू हुआ. रोज हितक्श और अपर्णा के साथ जाने लगा मैं कॉलेज. एक बार मैने गब्बर का टाइयर पंक्चर कर दिया कॉलेज में. अपर्णा को जल्दी घर जाना था कुछ काम था उसे. मुझे पता थी ये बात. गब्बर तो आग बाबूला हो गया, “किसने किया टाइयर पंक्चर मेरा मैं उसे गोली मार दूँगा.”
मैने कहा शांति रखो गब्बर भाई. मैं छोड़ आता हूँ अपर्णा को. अपर्णा ये सुनते ही बोली, “नही…नही…मैं ऑटो लेकर चली जवँगी.”
“कैसी बात करती है आप. हमारे होते हुए ऑटो पर क्यों जाएँगी आप.” मैने कहा.
बड़ी मुश्किल से मानी अपर्णा पर बैठ ही गयी मेरे पीछे मेरी बायक पर. पूछो मत मैं तो ख़ुशी से पागल हो गया. फ.ज.बडी, जावेद, और मनीस ने जब ये देखा तो बड़े परेशान हो गये. बेट हारने की चिंता सताने लगी उन्हे. मुझे क्या था मैं अपर्णा को लेकर आगे बढ़ गया.
“अपर्णा? कौन अपर्णा… …”
“कॉलेज में थे हम दोनो साथ में.”
“बताओ ना उसके बारे में मैं सुन-ना चाहती हूँ.”
“नही रहने दो. मेरे जखम ही हरे होंगे.”
“बताओ ना प्लीज़. बताओगे तो एक बार फिर से अपनी रेल बनाने का मोका दूँगी तुम्हे.”
“अच्छा ऐसी बात है तो सुनो फिर……………..
अपर्णा एक ऐसी हसीना है जिसे देख कर किसी का भी दिल बहक सकता है. कॉलेज में कौन सा ऐसा लड़का था जो की उसके उपर मरता नही था. मगर अपर्णा जितनी सुंदर थी उसका चरित्र भी उतना ही सुंदर था. कभी किसी को मोका नही दिया उसने. किसी की तरफ नही देखती थी. बस अपने काम से काम रखती थी. अपर्णा के चाहने वालो में मैं भी शामिल था. रोज देखता था उसे चुप-चुप कर. मगर उसे पता नही चलने देता था.
अपर्णा का एक कज़िन ब्रदर भी उसी कॉलेज में पढ़ता था. उसका नाम हेमंत था. वैसे हम लोग उसे गब्बर कह कर बुलेट थे. उसके पापा पोलीस में थे. अक्सर अपने पापा की खाली बंदूक से खेलता रहता था वो. पर इस कारण एक अजीब आदत बन गयी थी उसकी. बात बात पर गोली मारने की बात करता था. कोई भी बात हो, उसे गोली मारने की बात तो करनी ही है. एक बार चाय गिर गयी मुझसे उसके उपर. तुरंत बोला, गौरव तुझे गोली मार दूँगा मैं.”
दिमाग़ खिसका हुआ था गब्बर का. पर अपर्णा का भाई था इसलिए बर्दास्त करते थे उसे हम. वही तो रास्ता था अपर्णा तक पहुँचने का. अपर्णा अक्सर गब्बर के साथ आती थी बायक पर बैठ कर. मैं गब्बर को ही बोलने के बहाने अपर्णा से भी कुछ बात कर लेता था.
अपर्णा तो कुछ भी बोलो, ही…हेलो से ज़्यादा कुछ बोलती ही नही थी. मैने भी ठान ली कि अपर्णा को पटा कर रहूँगा.
ये बात बताई मैने फ.ज.बडी को, जावेद को और मनीस को. तीनो लौटपोट हो गये मेरी बात सुन कर
“तुम और अपर्णा को पटाओगे. भूल जाओ बेटा और पढ़ाई पर ध्यान दो. गब्बर को पता चला तो गोली मार देगा तुम्हे.” जावेद भाई ने कहा.
फ.ज.बडी ने तो मुझे गले लगा लिया पता नही क्यों. उन्हे गले लगाने की बहुत आदत है. गले लगा कर बोले, “गौरव भाई…रहने दो…फ्री फंड में मारे जाओगे. अपर्णा ने किसका दिल नही तोड़ा जो तुम बचोगे…वो लड़की प्यार-व्यार में इंटेरेस्ट नही रखती”
पर मैं कहा मान-ने वाला था मैने कहा, “नही मैं पटा कर रहूँगा अपर्णा को चाहे कुछ हो जाए.”
“तुम नही पता सकते समझ लो ये बात. हम शर्त लगा सकते हैं तुमसे.”
“बेट लगाते हो मुझे चॅलेंज करते हो. अब तो मैं ये काम कर के रहूँगा.” मैं कह कर चल दिया वहाँ से.
पास ही विवेक भी सब सुन रहा था. हंसते हुए बोला, “पहले गब्बर से निपटना पड़ेगा तुम्हे…गोली मार देगा वो तुम्हे…ध्यान रखना.”
“क्या विवेक भाई आप भी शुरू हो गये. वैसे मैं गब्बर को ही सीधी बना कर बढ़ुंगा आगे. बेचारे को पता भी नही चलेगा ” मैने कहा
रोज गब्बर को मैं चारा डालने लगा. ताकि अच्छी दोस्ती बन जाए. काई बार उसे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया. मैने किसी तरह से उसे राज़ी किया की तुम रोज सुबह मेरे साथ कॉलेज जाया करोगे. वो बोला की अपर्णा साथ होती है. मैने कहा तो रहने दो. उसके रहने से क्या फर्क पड़ता है. हम कौन सा अश्लील बाते करते जाएँगे.
खैर किसी तरह शील्षिला शुरू हुआ. रोज हितक्श और अपर्णा के साथ जाने लगा मैं कॉलेज. एक बार मैने गब्बर का टाइयर पंक्चर कर दिया कॉलेज में. अपर्णा को जल्दी घर जाना था कुछ काम था उसे. मुझे पता थी ये बात. गब्बर तो आग बाबूला हो गया, “किसने किया टाइयर पंक्चर मेरा मैं उसे गोली मार दूँगा.”
मैने कहा शांति रखो गब्बर भाई. मैं छोड़ आता हूँ अपर्णा को. अपर्णा ये सुनते ही बोली, “नही…नही…मैं ऑटो लेकर चली जवँगी.”
“कैसी बात करती है आप. हमारे होते हुए ऑटो पर क्यों जाएँगी आप.” मैने कहा.
बड़ी मुश्किल से मानी अपर्णा पर बैठ ही गयी मेरे पीछे मेरी बायक पर. पूछो मत मैं तो ख़ुशी से पागल हो गया. फ.ज.बडी, जावेद, और मनीस ने जब ये देखा तो बड़े परेशान हो गये. बेट हारने की चिंता सताने लगी उन्हे. मुझे क्या था मैं अपर्णा को लेकर आगे बढ़ गया.