02-01-2020, 11:01 AM
घर में पहुँचते ही गौरव ने रीमा को बाहों में भर लिया.
“रुकिये चाय पानी तो पी लीजिए, पहली बार घर आए हैं हमारे.”
“आपके हुश्न का रस पीना है मुझे. चाय पानी मज़ा खराब करेगा.”
“आप तो बहुत बेचैन हो रहे हैं.”
“क्या आप नही हैं?”
“बिल्कुल भी नही…मुझे तो ऐसा कुछ नही हो रहा.”
“अच्छा अभी आपकी चूत में उंगली डाल कर देखता हूँ. सब क्लियर हो जाएगा. खोलिए नाडा अपना.”
“पागल नही हूँ मैं जो एक दम से नाडा खोल दूँगी अपना. क्या समझते हैं आप खुद को.” रीमा मुस्कुराते हुए बोली.
“उफ्फ अब कब तक बिजली गिराएँगी आप. चलिए आपके बेड रूम में चलते हैं.”
गौरव ने रीमा को अपनी गोदी में उठा लिया और बोला, “कहा है बेडरूम आपका. आज आपके खुद के बेडरूम में रेल बनाता हूँ आपकी.”
“ढूँढ लीजिए खुद ही. मैं आपका साथ क्यों दूं आपके मकसद में.”
“क्योंकि आपको भी अपनी रेल बनवानी है इसलिए.”
“मुझे कोई रेल नही बनवानी छोड़िए मुझे.”
गौरव ने रीमा का कमरा ढूँढ ही लिया. और उसे लाकर बिस्तर पर लेटा दिया और टूट पड़ा उस पर. उसने रीमा के होंठो को जाकड़ लिया होंठो में और दोनो के बीच बहुत ही गहरी किस हुई. किस करते करते ही गौरव ने अपने दोनो हाथ नीचे बढ़ाए और रीमा का नाडा खोल दिया. नाडा खुलते ही उसने पनटी में हाथ डाल कर रीमा की चूत में उंगली डाल दी.
“मुझसे भी ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो तुम तो. इतनी गीली चूत नही देखी मैने आज तक. ओफ मज़ा आएगा आज बहुत.” गौरव ने कहा और रीमा के सारे कपड़े उतारने लगा.
जब रीमा पूरी तरह निर्वस्त्र हो गयी तो गौरव तो देखता ही रह गया, “रेल में नही देख पाया था ये मदहोश जवानी आपकी. आपका शरीर तो बहुत सुंदर है. कमर का कटाव उफ्फ…जालिम है जालिम. इन उभारो का तो क्या कहना. मॅग्निफिसेंट टिट्स इनडीड. तोड़ा सा घूमिएे आपकी गान्ड भी देखना चाहता हूँ मैं.”
“रहने दीजिए मुझे शरम आती है. आप ज़्यादा मत बोलिए.”
“इन्ही अदाओ पे तो मर मिटा हूँ मैं. घूमिएे ना. क्या मुझे आपकी सुंदर गान्ड के दर्शन नही करवाएँगी.” गौरव ने कहा.
रीमा घूम गयी गौरव के सामने. “ओफ जैसा सोचा था उस से कही ज़्यादा कामुक गान्ड है आपकी.” गौरव ने कहा.
“आप इतना मत बोलिए. मुझे शरम आती है.” रीमा ने अपना चेहरा छुपा लिया हाथो में.
गौरव ने दोनो हाथो से रीमा की गान्ड को थाम लिया और उसे सहलाने लगा, “नाइस एन्ड सॉफ्ट आस चीक्स.”
गौरव ने अपने कपड़े भी उतार दिया फटाफट और चढ़ गया रीमा के उपर. उसने रीमा की गान्ड पर लंड रगड़ना शुरू कर दिया.
“क्या कर रहे हैं आप.”
“आग लगाने की कोशिश कर रहा हूँ इस गान्ड में. ये गरम हो जाएगी तो चोदा जा सकता है इसे भी.”
“नही ऐसा नही होगा कुछ भी. मैने आज तक अनल नही किया है. और करने का इरादा नही है.”
“क्या बात करती है आप भी. इतनी सुंदर गान्ड को आप लंड के सुख से दूर रखेंगी. ऐसा जुलम मत कीजिए इस बेचारी मासूम सी गान्ड पर.”
“आप कैसी बाते कर रहे हैं हटिए.”
मगर हटने की बजाए गौरव ने आगे बढ़ कर रीमा की आस चीक्स को चूमना शुरू कर दिया. रीमा सिहर उठी.
“आअहह…..मत कीजिए ऐसा.”
“क्यों कुछ-कुछ होता है क्या?”
“हां”
“दट मीन्स दिस आस डिज़र्व्स आ डिक इनसाइड. ट्रस्ट मी यू विल लाइक इट. चलिए आज आपकी गान्ड को भी काम-क्रीड़ा का आनंद दे दिया जाए.”
“रुकिये चाय पानी तो पी लीजिए, पहली बार घर आए हैं हमारे.”
“आपके हुश्न का रस पीना है मुझे. चाय पानी मज़ा खराब करेगा.”
“आप तो बहुत बेचैन हो रहे हैं.”
“क्या आप नही हैं?”
“बिल्कुल भी नही…मुझे तो ऐसा कुछ नही हो रहा.”
“अच्छा अभी आपकी चूत में उंगली डाल कर देखता हूँ. सब क्लियर हो जाएगा. खोलिए नाडा अपना.”
“पागल नही हूँ मैं जो एक दम से नाडा खोल दूँगी अपना. क्या समझते हैं आप खुद को.” रीमा मुस्कुराते हुए बोली.
“उफ्फ अब कब तक बिजली गिराएँगी आप. चलिए आपके बेड रूम में चलते हैं.”
गौरव ने रीमा को अपनी गोदी में उठा लिया और बोला, “कहा है बेडरूम आपका. आज आपके खुद के बेडरूम में रेल बनाता हूँ आपकी.”
“ढूँढ लीजिए खुद ही. मैं आपका साथ क्यों दूं आपके मकसद में.”
“क्योंकि आपको भी अपनी रेल बनवानी है इसलिए.”
“मुझे कोई रेल नही बनवानी छोड़िए मुझे.”
गौरव ने रीमा का कमरा ढूँढ ही लिया. और उसे लाकर बिस्तर पर लेटा दिया और टूट पड़ा उस पर. उसने रीमा के होंठो को जाकड़ लिया होंठो में और दोनो के बीच बहुत ही गहरी किस हुई. किस करते करते ही गौरव ने अपने दोनो हाथ नीचे बढ़ाए और रीमा का नाडा खोल दिया. नाडा खुलते ही उसने पनटी में हाथ डाल कर रीमा की चूत में उंगली डाल दी.
“मुझसे भी ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो तुम तो. इतनी गीली चूत नही देखी मैने आज तक. ओफ मज़ा आएगा आज बहुत.” गौरव ने कहा और रीमा के सारे कपड़े उतारने लगा.
जब रीमा पूरी तरह निर्वस्त्र हो गयी तो गौरव तो देखता ही रह गया, “रेल में नही देख पाया था ये मदहोश जवानी आपकी. आपका शरीर तो बहुत सुंदर है. कमर का कटाव उफ्फ…जालिम है जालिम. इन उभारो का तो क्या कहना. मॅग्निफिसेंट टिट्स इनडीड. तोड़ा सा घूमिएे आपकी गान्ड भी देखना चाहता हूँ मैं.”
“रहने दीजिए मुझे शरम आती है. आप ज़्यादा मत बोलिए.”
“इन्ही अदाओ पे तो मर मिटा हूँ मैं. घूमिएे ना. क्या मुझे आपकी सुंदर गान्ड के दर्शन नही करवाएँगी.” गौरव ने कहा.
रीमा घूम गयी गौरव के सामने. “ओफ जैसा सोचा था उस से कही ज़्यादा कामुक गान्ड है आपकी.” गौरव ने कहा.
“आप इतना मत बोलिए. मुझे शरम आती है.” रीमा ने अपना चेहरा छुपा लिया हाथो में.
गौरव ने दोनो हाथो से रीमा की गान्ड को थाम लिया और उसे सहलाने लगा, “नाइस एन्ड सॉफ्ट आस चीक्स.”
गौरव ने अपने कपड़े भी उतार दिया फटाफट और चढ़ गया रीमा के उपर. उसने रीमा की गान्ड पर लंड रगड़ना शुरू कर दिया.
“क्या कर रहे हैं आप.”
“आग लगाने की कोशिश कर रहा हूँ इस गान्ड में. ये गरम हो जाएगी तो चोदा जा सकता है इसे भी.”
“नही ऐसा नही होगा कुछ भी. मैने आज तक अनल नही किया है. और करने का इरादा नही है.”
“क्या बात करती है आप भी. इतनी सुंदर गान्ड को आप लंड के सुख से दूर रखेंगी. ऐसा जुलम मत कीजिए इस बेचारी मासूम सी गान्ड पर.”
“आप कैसी बाते कर रहे हैं हटिए.”
मगर हटने की बजाए गौरव ने आगे बढ़ कर रीमा की आस चीक्स को चूमना शुरू कर दिया. रीमा सिहर उठी.
“आअहह…..मत कीजिए ऐसा.”
“क्यों कुछ-कुछ होता है क्या?”
“हां”
“दट मीन्स दिस आस डिज़र्व्स आ डिक इनसाइड. ट्रस्ट मी यू विल लाइक इट. चलिए आज आपकी गान्ड को भी काम-क्रीड़ा का आनंद दे दिया जाए.”
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