02-01-2020, 10:49 AM
गौरव एजेन्सी से ब्लॅक स्कॉर्पियो के ओनर्स की लिस्ट ले कर थाने की तरफ बढ़ रहा था. वो कॉलेज के सामने से निकला तो अचानक एक लड़की पर नज़र पड़ी उसकी.
“ये तो रीमा है, मिलता हूँ इस से. ट्रेन की मुलाकात के बाद बात ही नही हुई इस से.” गौरव ने सोचा.
गौरव ने जीप रोक दी कॉलेज के बाहर और रीमा को आवाज़ दी. वो अकेली ही निकल रही थी कॉलेज से. गौरव को देख कर चोंक गयी. गौरव के पास आई और बोली, “तुम पोलीस की जीप में क्या कर रहे हो.”
“तुम्हारे निक्कम्मे भैया की तरह मैं भी पोलीस वाला हूँ.”
“मेरे भैया को निकम्मा मत कहो. दिन रात ड्यूटी करते हैं वो.”
“वो तो है चलो छोड़ो…और बताओ कैसी हो. ट्रेन की उस मुलाकात के बाद तो आपने याद ही नही किया मुझे.”
“ठीक हूँ मैं. वक्त ही नही मिला. वैसे भी आपने कौन सा नंबर या पता दिया था अपना जो याद करती.”
“ऐसा है क्या, ठीक है आज अपना अड्रेस और नंबर दे देता हूँ. पर मेरे घर पर जगह नही रहती. मेरे पेरेंट्स साथ रहते हैं. एक छोटी बहन भी है ज्योति. वहाँ काम-क्रीड़ा नही की जा सकती.”
“भैया अक्सर बाहर रहते हैं मेरे. घर पर अकेली ही रहती हूँ अक्सर. आज भी अकेली हूँ. भैया देल्ही गये हुए हैं. अभी घर ही जा रही हूँ.”
“यार अभी कैसे मुमकिन होगा…मैं इस साइको के केस में उलझा हुआ हूँ.”
“पहले छोटी सी भूल में उलझे हुए थे अब साइको के केस में उलझ गये.”
“क्या करू अपनी लाइफ ही कुछ ऐसी है. पढ़ रहा हूँ छोटी सी भूल भी धीरे-धीरे टाइम की कमी रहती है.”
“मैं चलूं फिर. आपके पास तो वक्त ही नही है.” रीमा ने कहा.
गौरव ने रीमा की तरफ देखा. रीमा के होंठो पर एक सेडक्टिव मुस्कान थी.
“ऐसे मत देखिए मेरी नौकरी दिक्कत में पड़ जाएगी. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ मैं.”
“मैने तो कुछ नही कहा आपसे. जनाब आप चलिए…हमें देर हो रही है.” रीमा ने मुस्कुराते हुए कहा.
“उफ्फ आप नही मानेंगी…लगता है फिर से रेल बनानी पड़ेगी आपकी. आओ बैठो आपके घर चलते हैं.” गौरव ने कहा.
“ना बाबा ना, मुझे अपनी रेल नही बनवानी है. मैं तो मज़ाक कर रही थी. मुझे कही नही जाना आपके साथ.” रीमा ने शरारती अंदाज़ में कहा.
“उफ्फ क्या अदा है आपकी. देखिए अब तो रेल बनके रहेगी आपकी. आप अब हमसे बच नही सकती. एक बार लंड हरकत में आ जाए हमारा तो हम पीछे नही हट-ते. आपने लंड खड़ा कर दिया हमारा. अब ये आपकी रेल बना कर ही बैठेगा.”
“कैसी बात करते हैं आप आपको शरम नही आती.” रीमा शर्मा कर बोली.
“उफ्फ शरमाती भी हैं आप तो. गुड…मज़ा आएगा अब. चलो बैठो जल्दी. काम-क्रीड़ा का ऐसा रूप दिखाउन्गा आपको आज कि सब कुछ भूल जाओगी.”
“आपके इरादे नेक नही लगते, आपके साथ नही जाउंगी मैं.” रीमा ने कहा.
“अब बैठिए भी. हम तड़प रहें है और आप समझ नही रही.”
रीमा मुस्कुराते हुए जीप में बैठ जाती है. “वैसे मुझे आपसे डर लग रहा है…मगर फिर भी चल रही हूँ आपके साथ. ज़्यादा परेशान मत करना मुझे.”
“रीमा जी परेशानी में ही तो मज़ा आता है. कैसी बात करती हैं आप भी. जो परेशानी मैं दूँगा आपको वो आप जिंदगी भर याद रखेंगी.” गौरव ने रीमा की तरफ देख कर कहा.
रीमा कुछ नही बोली. बस अपने निचले होठ को दांतो तले दबा कर हल्का सा मुस्कुरा दी.
“उफ्फ आज तो आप शितम ढा रही हैं. रेल में कहाँ छुपा रखी थी ये जालिम अदायें आपने. मेरे लंड में तूफान खड़ा कर दिया आपने.” गौरव ने फिर से रीमा की तरफ देख कर कहा.
“सामने देख कर चलिए कही आक्सिडेंट ना हो जाए.” रीमा ने कहा.
“आक्सिडेंट तो हो ही चुका है आपके साथ. बस अब जान जानी बाकी है. घर पहुँच कर इन जालिम अदाओं से वो भी निकाल देना. उफ्फ यू आर टू हॉट”
“रहने दीजिए हर लड़की को यही बोलते होंगे आप.”
“जिसमे जो दिखता है वही बोलता हूँ मैं. आपमे जो दिखा बोल दिया. आपका घर कब आएगा?”
“बस पहुँच गये हम. अगले वाली गली से अंदर मोड़ लीजिए.”
“ये तो रीमा है, मिलता हूँ इस से. ट्रेन की मुलाकात के बाद बात ही नही हुई इस से.” गौरव ने सोचा.
गौरव ने जीप रोक दी कॉलेज के बाहर और रीमा को आवाज़ दी. वो अकेली ही निकल रही थी कॉलेज से. गौरव को देख कर चोंक गयी. गौरव के पास आई और बोली, “तुम पोलीस की जीप में क्या कर रहे हो.”
“तुम्हारे निक्कम्मे भैया की तरह मैं भी पोलीस वाला हूँ.”
“मेरे भैया को निकम्मा मत कहो. दिन रात ड्यूटी करते हैं वो.”
“वो तो है चलो छोड़ो…और बताओ कैसी हो. ट्रेन की उस मुलाकात के बाद तो आपने याद ही नही किया मुझे.”
“ठीक हूँ मैं. वक्त ही नही मिला. वैसे भी आपने कौन सा नंबर या पता दिया था अपना जो याद करती.”
“ऐसा है क्या, ठीक है आज अपना अड्रेस और नंबर दे देता हूँ. पर मेरे घर पर जगह नही रहती. मेरे पेरेंट्स साथ रहते हैं. एक छोटी बहन भी है ज्योति. वहाँ काम-क्रीड़ा नही की जा सकती.”
“भैया अक्सर बाहर रहते हैं मेरे. घर पर अकेली ही रहती हूँ अक्सर. आज भी अकेली हूँ. भैया देल्ही गये हुए हैं. अभी घर ही जा रही हूँ.”
“यार अभी कैसे मुमकिन होगा…मैं इस साइको के केस में उलझा हुआ हूँ.”
“पहले छोटी सी भूल में उलझे हुए थे अब साइको के केस में उलझ गये.”
“क्या करू अपनी लाइफ ही कुछ ऐसी है. पढ़ रहा हूँ छोटी सी भूल भी धीरे-धीरे टाइम की कमी रहती है.”
“मैं चलूं फिर. आपके पास तो वक्त ही नही है.” रीमा ने कहा.
गौरव ने रीमा की तरफ देखा. रीमा के होंठो पर एक सेडक्टिव मुस्कान थी.
“ऐसे मत देखिए मेरी नौकरी दिक्कत में पड़ जाएगी. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ मैं.”
“मैने तो कुछ नही कहा आपसे. जनाब आप चलिए…हमें देर हो रही है.” रीमा ने मुस्कुराते हुए कहा.
“उफ्फ आप नही मानेंगी…लगता है फिर से रेल बनानी पड़ेगी आपकी. आओ बैठो आपके घर चलते हैं.” गौरव ने कहा.
“ना बाबा ना, मुझे अपनी रेल नही बनवानी है. मैं तो मज़ाक कर रही थी. मुझे कही नही जाना आपके साथ.” रीमा ने शरारती अंदाज़ में कहा.
“उफ्फ क्या अदा है आपकी. देखिए अब तो रेल बनके रहेगी आपकी. आप अब हमसे बच नही सकती. एक बार लंड हरकत में आ जाए हमारा तो हम पीछे नही हट-ते. आपने लंड खड़ा कर दिया हमारा. अब ये आपकी रेल बना कर ही बैठेगा.”
“कैसी बात करते हैं आप आपको शरम नही आती.” रीमा शर्मा कर बोली.
“उफ्फ शरमाती भी हैं आप तो. गुड…मज़ा आएगा अब. चलो बैठो जल्दी. काम-क्रीड़ा का ऐसा रूप दिखाउन्गा आपको आज कि सब कुछ भूल जाओगी.”
“आपके इरादे नेक नही लगते, आपके साथ नही जाउंगी मैं.” रीमा ने कहा.
“अब बैठिए भी. हम तड़प रहें है और आप समझ नही रही.”
रीमा मुस्कुराते हुए जीप में बैठ जाती है. “वैसे मुझे आपसे डर लग रहा है…मगर फिर भी चल रही हूँ आपके साथ. ज़्यादा परेशान मत करना मुझे.”
“रीमा जी परेशानी में ही तो मज़ा आता है. कैसी बात करती हैं आप भी. जो परेशानी मैं दूँगा आपको वो आप जिंदगी भर याद रखेंगी.” गौरव ने रीमा की तरफ देख कर कहा.
रीमा कुछ नही बोली. बस अपने निचले होठ को दांतो तले दबा कर हल्का सा मुस्कुरा दी.
“उफ्फ आज तो आप शितम ढा रही हैं. रेल में कहाँ छुपा रखी थी ये जालिम अदायें आपने. मेरे लंड में तूफान खड़ा कर दिया आपने.” गौरव ने फिर से रीमा की तरफ देख कर कहा.
“सामने देख कर चलिए कही आक्सिडेंट ना हो जाए.” रीमा ने कहा.
“आक्सिडेंट तो हो ही चुका है आपके साथ. बस अब जान जानी बाकी है. घर पहुँच कर इन जालिम अदाओं से वो भी निकाल देना. उफ्फ यू आर टू हॉट”
“रहने दीजिए हर लड़की को यही बोलते होंगे आप.”
“जिसमे जो दिखता है वही बोलता हूँ मैं. आपमे जो दिखा बोल दिया. आपका घर कब आएगा?”
“बस पहुँच गये हम. अगले वाली गली से अंदर मोड़ लीजिए.”