02-01-2020, 10:48 AM
अपर्णा की तबीयत खराब हो गयी थी अचानक. बहुत तेज टेंप्रेचर था. पड़ी हुई थी बिस्तर पर. डॉक्टर को बुलाया गया था घर पर ही. क्योंकि अपर्णा के डेडी अपर्णा को डॉक्टर के पास नही ले जाना चाहते थे. उन्हे साइको का डर जो था.
अपर्णा के दर्शन मुश्किल हो गये आशुतोष के लिए. आखरी बार तब ही देखा था उसने अपर्णा को जब इनस्पेक्टर गौरव पांडे ने आकर अपनी टाँग अड़ा दी थी . देखता रहता था बार-बार खिड़की की तरफ पर हमेशा निराशा ही हाथ लगती थी. आशुतोष ने काई बार सोचा की जाकर तबीयत पूछ आए मगर उसकी हिम्मत नही हुई. उसे डर था की कही अपर्णा बुरा मान जाए. इसलिए नही गया पूछने कुछ भी.
अपर्णा मेडिसिन ले कर लेती हुई थी. खोई हुई थी किन्ही ख़यालो में. गौरव से बड़े दिनो बाद मिली थी वो इसलिए कॉलेज के दिन याद आ गये थे उसे. बार बार सोच रही थी उन दिनो को अपर्णा.
अपर्णा के दर्शन मुश्किल हो गये आशुतोष के लिए. आखरी बार तब ही देखा था उसने अपर्णा को जब इनस्पेक्टर गौरव पांडे ने आकर अपनी टाँग अड़ा दी थी . देखता रहता था बार-बार खिड़की की तरफ पर हमेशा निराशा ही हाथ लगती थी. आशुतोष ने काई बार सोचा की जाकर तबीयत पूछ आए मगर उसकी हिम्मत नही हुई. उसे डर था की कही अपर्णा बुरा मान जाए. इसलिए नही गया पूछने कुछ भी.
अपर्णा मेडिसिन ले कर लेती हुई थी. खोई हुई थी किन्ही ख़यालो में. गौरव से बड़े दिनो बाद मिली थी वो इसलिए कॉलेज के दिन याद आ गये थे उसे. बार बार सोच रही थी उन दिनो को अपर्णा.
“तुम अपनी शक्ल ना ही दिखाते मुझे तो अच्छा था. मैं तुमसे बात क्यों करूगी. दुबारा सामने मत आना मेरे. दगाबाज हो तुम.” अपर्णा ने गौरव के लिए कहा.
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