02-01-2020, 10:46 AM
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"यहाँ भी खून की नादिया बह रही है. सर क्या ये दोनो खून साइको ने ही किए हैं." भोलू ने पूछा.
"और कौन कर सकता है. इतनी दरिंदगी सिर्फ़ वही कर सकता है" गौरव ने कहा.
"हां सर, दरिन्दा है ये साइको, इंसान नही है" भोलू ने कहा.
"इस लाश को भी पोस्ट मॉर्टेम के लिए भेज दो." गौरव ने भोलू से कहा.
"जी सर."
गौरव फार्म हाउस से सीधा थाने पहुँचता है और ए एस पी साहिबा से मिलता है. वो अंकिता को क्राइम सीन की डीटेल्स बताता है.
“क्या ये साइको का ही काम है?” अंकिता ने पूछा.
“प्रीमा फेसी तो यही लगता है. दोनो लोगो के शरीर पर बड़ी बेरहमी से वार हुए हैं चाकू के. बाकी पोस्ट-मॉर्टेम में पता चलेगा.”
“एसपी साहिब आ रहे हैं आज यहाँ, और हमारे पास फिर से कुछ भी दिखाने को नही है. तुम भी ये केस हैंडल नही कर पा रहे हो.”
“सॉरी तो से मेडम, पर मुझे दिन ही कितने हुए हैं अभी. मुझे थोडा वक्त और दीजिए.” गौरव ने कहा.
“वक्त ही नही है हमारे पास. एसपी साहिब आएँगे तो बताओ क्या बोलूं मैं उन्हे.”
तभी अंकिता के कमरे में पीयान आया, “मेडम एसपी साहिब आए हैं.”
अंकिता फ़ौरन खड़ी हुई और केबिन से बाहर आई. गौरव भी उसी के साथ बाहर आ गया.
“ह्म्म, ए एस पी साहिबा क्या चल रहा है. पूरे शहर को मरवा देंगी क्या आप. कब पकड़ा जाएगा ये साइको.” एसपी ने कहा.
“हम पूरी कोशिश कर रहें हैं सर.”
“कोशिश कर रहें हैं. कैसी कोशिश है ये जिसका कोई नतीजा नही निकलता. ऍम.पि. की बेटी भी मार डाली उस दरिंदे ने. सारी डाँट मुझे खानी पड़ती है. कोई आल्टर्नेटिव नही है वरना तुम्हे उठा कर बाहर फेंक देता.” एसपी ने बड़े कठोर शब्दो में कहा.
अंकिता चुपचाप खड़ी रही. अहसास था उसे भी कि एसपी साहिब पर भी दबाव है वरना वो ऐसी बाते नही करते. उसने कुछ भी कहना सही नही समझा.
“मैं बस यही कहने आया था कि डू वॉटेवर यू कैन. मुझे जल्द से जल्द वो साइको सलाखों के पीछे चाहिए.” एसपी ने कहा और चला गया.
अंकिता ने राहत की साँस ली और वापिस अपने केबिन में आ गयी. गौरव भी उसके पीछे-पीछे केबिन में आ गया.
“सुना तुमने गौरव. अब जाओ और कुछ करो. वरना एसपी साहिब मुझे बाहर फेंके या ना फेंके मैं तुम्हे ज़रूर फेंक दूँगी बाहर.” अंकिता ने कठोर शब्दो में कहा.
गौरव गहरी साँस लेकर बाहर आ गया. उसके माथे पर पसीने थे.
“कुछ भी हो बात घूम फिर कर मेरे सर पर ही आनी है. ये केस मैं जो हैंडल कर रहा हूँ. उफ्फ मेडम जब डाँट-ती हैं तो जान निकाल देती हैं. कुछ करना होगा अब. ये स्कॉर्पियो कार के बारे में पता करता हूँ. ”
गौरव निकल पड़ा ब्लॅक स्कॉर्पियो कार की जाँच पड़ताल में. उसने एजेन्सी से सभी ओनर्स की लिस्ट निकलवाई. बाहर में ब्लॅक स्कॉर्पियो केवल 4 लोगो के पास थी. एक स्कॉर्पियो का ओनर था गुआराव मेहरा, वो एक बिज़्नेसमॅन था और बाहर में उसका काफ़ी नाम था. एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आर्मी के कर्नल देवेंदर के पास थी. एक ब्लॅक स्कॉर्पियो एक लेडी के नाम थी, नाम था सिमरन. वो इcइcइ बॅंक में काम करती थी. सबसे ख़ास बात ये थी की एक ब्लॅक स्कॉर्पियो सब-इनपेक्टोर विजय के नाम भी थी.
“ विजय के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो आशुतोष का शक सही है शायद. इस विजय पर नज़र रखनी पड़ेगी.” गौरव ने सोचा और एजेन्सी से वापिस थाने की तरफ चल दिया.
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