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Adultery रीमा की दबी वासना
रीमा सोच में पड़ गयी | क्या करे खुद को जितेश को सौंप के  खुद निश्चिंत हो जाए | सब कुछ तो वैसे भी जितेश देख चूका था भोग चूका था |  उसकी सुरंगों के अंतिम छोर तक का सफर कर चुका था उसके शरीर में इतनी गहरी तक जा चुका था कि अब उसे उसको निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा था | आखिर रीमा जितेश से चिपक गई और उसके सीने पर सर रखकर के खुद आंखें बंद करके जितेश  के हवाले कर दिया था  | 

जितेश - एक बार बोल दो न मजा आया | कम से कम जब मेरे ऊपर बैठकर गपागप अपने अन्दर ले रही थी | ऐसा लग रहा था जैसे कोई वैक्यूम पाइप मेरे लंड को अंदर  खीच  रहा हो |
रीमा - शट उप, तुम मर्दों को बस यही गन्दी गन्दी बाते ही आती है | 
जितेश - करने में बुराई नहीं तो बोलने में क्या बुराई है |
रीमा - रोहित भी ऐसी ही बकवास करता रहता है तुम सब मर्द एक जैसे ही होते हो | 
जितेश - अच्छा , लगता है वो भी दिल के काफी करीब है |
रीमा - हाँ बहुत |
जितेश - मुझे उससे जलन महसूस करनी चाहिए | 
रीमा - हाँ बिलकुल ........................... कम से कम जो तकलीफ वो देता है वो ही उसे दूर करता है | जब तक मेरा पिछवाड़ा दुखता रहेगा मै तुम्हे कभी माफ़ नहीं करूंगी |  
जितेश अब क्या करे जिससे रीमा की तकलीफ दूर हो सके वो उसे माफ कर सके |
जितेश ने खुद ही पूछ लिया - जब तुम्हारा शरीर दुखता है तो तुम क्या करती हो बताओ मैं  अपनी गलती सुधारने के लिए हर कोशिश करूंगा इससे तुम्हें अच्छा लगे | मैं अपना पश्चाताप करना चाहता हूं मैं जानता हूं मुझसे गलती हो गई है तुम्हें तकलीफ हो रही थी लेकिन फिर भी तुमने उस तकलीफ को बर्दाश्त किया मेरी खुशी के लिए अब मैं तुम्हारे उस दुख और दर्द को खुशी में बदलना चाहता हूं मुझे क्या करना होगा | 
रिमो को कुछ समझ में नहीं आया आखिर वह क्या बोले  | उसे याद था एक बार जब उसका शरीर चुदाई की थकावट से चूर चूर हो गया था तो रोहित ने उसकी मालिश करी थी  |
रीमा बोली -  मैं पूरी तरह से पस्त हो गई हूं और मेरे शरीर में बिल्कुल भी जान नहीं बची है मेरा रोम रोम दुख रहा है मेरी चूत और चूत से ज्यादा मेरी गांड दुख रही है तुम्हें तो पता है इतनी बुरी तरह से तुम लोगों ने इसे पेला है | कुछ सेवा करना चाहते हो  तो मालिश कर दो इसकी थकावट दूर कर दो रोम रोम का दुखना खत्म कर दो बस और क्या चाहिए | और मेरा सर भी दुःख रहा है | 

जितेश के पास न तो सर दर्द की दवाई थी न मालिश का तेल | उसने रीमा के लिए पानी गरम किया और पीने को दिया | फिर आराम से बिसतर पर लिटा दिया | रीमा ने आंखे बंद कर ली | बाहर अँधेरा हो गया था | जितेश ने कपड़े पहने और बाहर निकल गया | एक घंटे बाद वो कस्बे से दवाईया, दारू और तेल ले आया था | 

उसको खुद भी थकान चढ़ी हुई थी | 
पहले उसने रीमा को सर दर्द की दवा खिलाई | फिर एक पैग लगाया | रीमा को भी बहुत थकावट महसूस हो रही थी | हालाँकि इससे पहले उसने सस्ती वाली शराब कभी भी नहीं थी लेकिन जिस्म के सुकून के लिए उसने भी एक पैग मार लिया |  फिर एक घन्टे तक रीमा के हाथ पाँव और जिस्म की मालिस करी | मालिस करवाते करवाते रीमा गहरी नीद में चली गयी | 
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 01-01-2020, 05:21 PM



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