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Adultery रीमा की दबी वासना
रीमा समझ गयी लेकिन उसे ये नहीं पता था किस पोजीशन में उसे रहना है |  उसको दुविधा में देख जितेश पीठ के बल आराम से लेट गया | रीमा उछल कर आकर उसके ऊपर बैठ गयी | फिर क्या था किस बात की देरी थी | जितेश का मोटा मुसल लंड उसने अपने नरम हथेली में थामा और उसे अपने गांड के खुले मुहाने से सताया और अपनई कमर का जोर नीचे की तरफ ठेला | गप्प से जितेश का मोटा मुसल लंड रीमाँ की गुलाबी चिकनी गांड में | बस फिर क्या था रीमा की कमर हिलने लगी | जितेश ने जानबूझकर अपने हाथ दोनों मोड़कर सर के नीचे लगा लिए | जो करना था अब रीमा को करना था | अपने दम पर करना था अकेले करना था | रीमा थोडा सा आगे को झुकी खुद का संतुलन बनाया और फिर लगी हिलाने अपने चौड़े मांसल गद्देदार चूतड़ | उसकी कमर का जोर पड़ते ही जितेश का मोटा मुसल लंड रीमा की संकरी गांड में अन्दर बाहर होने लगा | उसकी चढ़ी आंखे बता रही थी वो अभी भी नशे में है लेकिन इसका उसकी हिलती कमर पर कोई असर नहीं दिख रहा था | रीमा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की कोई ऐसा दिन भी आएगा | उसे रोहित के साथ अपनी वो चुदाई याद आ गयी जब रोहित ने नीचे लेटकर रीमा को ऊपर कर दिया था और खुद उसका लंड अपनी चूत में लेकर खुद को ही चोदने को कहा था | कितनी हिचक थी उसके अन्दर, कितनी शर्म थी और कितनी बुद्धू थी की उसने असल जिंदगी में चुदाई के बारे में कितना कम अनुभव किया था | उसे वो हिलती कमर और रोहित का सटासट चूत में जाता लंड याद आ रहा था | यहाँ भी तो कुछ ऐसा ही माहौल था | जितेश नीचे लेता था और रीमा उसके ऊपर | उसका गोरा दमकता बदन, उसकी चिकनी पीठ धीरे धीरे ऊपर नीचे हिल रहे थे | उसके चौड़े गुलाबी गद्देदार नरम मांस से भरे  चूतड़ अपनी पूरी ताकत के साथ ऊपर नीचे उछल रहे थे और उसी के साथ उसकी सुरंग में अन्दर बाहर हो रहा था जितेश का फूला हुआ तना हुआ मोटा मुसल लंड | रीमा की कमर उठाते ही उसके चुताड़ो का मांस ऊपर को उछल जाता , उसकी नरम गुदाज जांघो का मांस थल्थला जाता, उसकी कसी गांड से जितेश का लंड बाहर आ जाता | रीमा फिर अपनी कमर नीचे को ले जाती और जितेश का पूरा लंड रीमा के जिस्म की पिछली सुरंग में समाता चला जाता | 

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रीमा को खुद यकीन नहीं था की वो ये कर पायेगी | लेकिन वो न केवल कर पा रही थी बल्कि बिलकुल परफेक्ट तरीके से कर पा रही थी | उसे अपने अन्दर के टैलेंट पर ही शक था लेकिन उसे खुद पर गर्व था और हैरानी भी | उसे फिर से प्लास्टिक के लंड पर उछलती मालविका याद गयी | कितना मोटा लंड घोंट रही थी मुई अपनी गांड में, रबर का था तो क्या हुआ लेकिन था तो लंड ही | हाय तब कैसे मै आंखे फाड़े उसे घूर रही थी उससे नफरत करने की कोशिश कर रही थी | आज मै तो सच्ची मुच्ची का असली लंड घोंट रही हूँ | हाय कितना मोटा लंड है जितेश का और मै अपनी गांड में पूरा का पूरा लंड घोटे ले रही हूँ | हाय मुझे जरा सी भी शर्म हया नहीं रह गयी है | हाय मै कितनी बेशर्म बेहया हो गयी हूँ | ऐसा तो कोई रंडी भी नहीं करती होगी | भला कौन औरत होगी जो मर्द की छाती पर बैठकर उसका लंड अपनी गांड में घोटेगी | सच्ची में तू बहुत बेशर्म हो गयी है रीमा, हाय तुझे जरा सी भी शर्म नहीं आती | क्यों शर्माऊ जब इत्ता मजा आ रहा है | हाय गांड मरवाने का मजा तो अब आ रहा है अब तक तो प्राण सूखे जा रहे थे | अब पता चला रिवर लाउन्ज में मालविका और कामिनी क्यों अपनी गांड मरवा रही थी | हाय इसमें कित्ता मजा आता है, मै तो कभी चूत में लंड न लू | 
रीमा के ख्याली ओर्गास्म होते रहे, उसकी कमर हिलती रही और उसकी गांड जितेश का लंड मसलती रही | रीमा ने उम्मीद से ज्यादा देर तक जितेश का लंड अपनी कमर हिलाकर घोंटा था | अब जितेश को सुरूर चढ़ने लगा था | उसे पता था रीमा किसी गांड किसी भी वक्त उसके जिस्म की आग को पिचकारी में बदल सकती थी | ये थी रीमा की कसी गांड का जादू, जो जितेश जैसे मर्द को भी लंड पर कोकीन चुपड़ने के बावजूद समय पर झड़ने को मजबूर किये दे रही थी | जितेश अब और सब्र करने के मूड में नहीं था | उसने रीमा को बांहों में भरा और बिस्तर पर पटक दिया | फिर से उसके पीछे आ गया | उसने रीमा को पीछे से कसकर दबोच लिया | उसके हाथ रीमा की दोनों उन्नत उठाई छातियों को मसल रहे थे | उसने रीमा की जांघो में अपने पैर फैलाकर उसकी जांघे फैला दी और लगा दनादन चोदने | रीमा की गांड की कुटाई उसी अंदाज में शुरू हो गयी | ऐसा लग रहा था जहाँ से जितेश ने उसकी गांड मारना छोड़ा था वही से फिर शुरू कर दिया | वही अंदाज वही स्पीड.....अंतर था तो सिर्फ पोजीशन का | इस बार रीमा का पूरा जिस्म उसकी गिरफ्त में था | 

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शायद वासना का असर था जो वो रीमा के पुरे जिस्म को दबोचे था | उसके ताकतवर जोरदार धक्को का अहसास रीमा के जिस्म के कोने कोने तक वो कराना चाहता था | रीमा जितेश की अथाह ताकत के आगे बेबस थी | अब उसे जो मिलना था जितेश की इस एकाधिकार वाली चुदाई से मिलना था | फिलहाल अगले कुछ पलो के लिए उसका कोई अस्तित्व नहीं था | वो जितेश के लंड की दासी थी | जितेश पूरी तरह से जानवर बन गया था | भीषण गहरे जोरदार धक्के रीमा की गांड ही नहीं उसके पुरे अस्तित्व को हिलाए पड़े थे | धक्के उसकी गांड पर पड़ रहे थे और कलेजा उसका मुहँ को आ रहा था इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है जितेश कितनी ताकत से रीमा को चोद रहा था | आखिर उसके करारे लंड के बेतहाशा धक्के भी रीमा की कसी गांड को नहीं हरा पाए | रीमा की गांड भले ही चौड़ी हो गयी, भले ही फ़ैल गयी लेकिन उसने जितेश के लंड के आगे समर्पण नहीं किया | रीमा की कसी नरम गांड ने जितेश के अकड़े लंड की सारी अकड़ निकाल दी | जितेश के लंड की घटी सनसनाहट का असर था उसे पता ही नहीं चला कब उसकी गोलियां सफ़ेद गरम लावा उगलने लगी | वो बेतहाशा धक्के लगाये जा रहा था और इसी बीच पिचकारियाँ छुटने लगी | जितेश रीमा की जलती गांड को अपने लंड की छूटती ठंडी फुहारों से सीचने लगा | रीमा की गांड उसके सफ़ेद गरम गाढे रस से भरने लगी | 




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रीमा कुछ देर तक उसी तरह कुतिया की पोजीशन में टिकी रही, फिर पीछे की तरफ पैर फैलाते हुए पेट के बल ही बिस्तर पर पसर गयी | जितेश भी उसकी गांड में धंसे लंड के साथ उसकी पीठ पर पसर गया |  रीमा और जितेश दोनों निढाल हो गए |

दोनों अपनी उफनती सांसे काबू करने लगे |  वैसे भी जितेश भी काफी थक चुका था | इस बार वासना के जोश में भले ही रीमा की गांड मार गया हो लेकिन उसके अंदर भी दम नहीं बचा था |  रीमा कुछ देर तक उसी तरह से कुत्तिया की पोजीशन में बनी फिर वह पीछे की तरफ पैर खिसकाती हुई उसी तरह से उल्टा लेट गई | कोकीन में हाई रीमा अब ठंडी होने लगी थी |   जितेश  के लंड का रस अभी भी रीना के गांड में भरा हुआ था और उसकी गांड में भी दर्द हो रहा था | उसके गांड में हो रहे दर्द का अहसास को वह जितेष  को नहीं दिखाना चाहती थी इसलिए उसने बिस्तर से मुंह छिपा लिया | शायद जितेश द्वारा उसकी गांड उसकी मर्जी के खिलाफ बिना उससे पूछो मारने से वो अन्दर तक हिल गयी थी | चुदाई का दौर खतम हो गया था इसलिए रीमा की सोचने समझने की शक्ति लौट आई थी | रीमा सोचने पर मजबूर हो गई थी आखिर क्यों हुआ और कैसे हुआ क्या आगे भी ऐसा ही होता रहेगा जब उसकी मर्जी की कोई कीमत नहीं होगी और वह  सिर्फ मर्दों को अपनी वासना पूर्ति का जरिया बनकर रह जाएगी और उसका पूरा अस्तित्व ही मर्द की बस वासना को बुझाने तक सीमित रह जाएगा | जितेश अपनी लम्बी लम्बी सांसे भरता हुआ - क्या कमाल की चीज हो | फौलादी मर्द को भी निचोड़ डालती हो |  आअहाआअहाआह्ह सारा दम निकाल लिया जानेमन | 
उसके चुताड़ो पर चपत लगता हुआ - लंड को जमकर निचोड़ना तो कोई तुमसे सीखे जानेमन | 
 इतना कहकर मुस्कुराता हुआ वो बिसतर से उठा  और फिर उठकर के कुछ खाने पीने चला गया | 

रीमा उसी तरह से बिस्तर में घुसी हुई अपने मुंह को छिपाए हुए अपने दुखी अंतर्मन को अपने  ही अंदर खोजने की कोशिश करती रही |  जितेश ने उसकी गांड मार के उसके पूरे अंतर्मन को भी झकझोर कर रख दिया था | अब रीमा  को एक नए सिरे से खुद को खोजना था, उसकी भीषण ठोकरों से उसका जिस्म तो थरथरा के शांत हो गया लेकिन उसके बिखरे वजूद और मन को कैसे समेटे | पता नहीं खुद को कैसे समेट पायेगी, समेट पायेगी भी या नहीं या फिर हमेशा के लिए बिखर जाएगी  |  
पता नहीं वह खुद को खोज पाएगी खुद के अंदर  देख पाएगी खुद की नजरों से नजरें मिला पाएगी या फिर बस अपनी वासना की दासी बनकर इसी तरह से एक गौरवहीन सम्मान विहीन दोहरी  जिंदगी जीने को अभिशप्त होगी | यह तो वक्त ही बताएगा क्या होगा लेकिन अभी जो भी हुआ वह रीमा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा |  उसे लगा ये सब  उसके अपने उन सिद्धांतों और विचारों के बिलकुल खिलाफ था जिनके लिए वह अब तक खुद से संघर्ष करती आई थी | एक ही बार में जितेश ने उसके पूरे अस्तित्व को झकझोर के रख दिया था लेकिन रीमा अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि आखिर गिरधारी के गांड मारने में और जितेश के गांड मारने में अंतर क्या है | गिरधारी से तो उसने खुशी-खुशी गांड मरवा ली जबकि वो गिरधारी को जानती तक नहीं | जितेश को तो अपना सब कुछ सौंप  चुकी है उसे अपनी  हदों तक अपना चुकी है जो उसकी गुलाबी गहराइयों के अंतर में उतर चुका है उसको अपना वो सब कुछ सौंप चुकी है तो उसे अपनी गांड देने में क्या बुरा है | जब वो मेरी चूत चोद सकता है तो गांड भी मार सकता है | जैसे उसने हवस में अंधे होकर अपनी गांड मरवा ली वैसे हो सकता है जितेश भी वासना में अँधा हो गया हो |  अभी उसका  हाल ठीक नहीं था | उसका शरीर दुख रहा था | 

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जितेश वापस आया और वह रीमा की पीठ सहलाने लगा था | रीमा की ख़ामोशी देख उसे लगा कुछ गड़बड़ है | उसने रीमा का चेहरा बिस्तर से निकाला, उसके लटके अवसाद से भरे चेहरे को देखा तो  उसे देखकर हैरान रह गया |  उसे अपनी गलती का एहसास हुआ उसने रीमा को तुरंत  अपनी बाहों में भर लिया और खींच कर अपने सीने से चिपका लिया | 

 उससे माफी मांगने लगा - रीमा  मुझे माफ कर दो मैं क्या करूं तुम्हें तो पता ही है वासना एक ऐसी चीज होती है जब खुद पर काबू कर पाना बहुत मुश्किल होता है | मैं समझ गया तुम्हें बहुत चोट पहुंची है इसकी भरपाई करने के लिए जो हो सकेगा वह करूंगा मुझे माफ कर दो | 
 इतना कहकर वह रीमा के चुताड़ो को सहलाने लगा और उसकी गांड में हो रहे हल्के हल्के दर्द का आभास उसे फिर से होने लगा काफ़ी देर तक जितेश रीना के चूमता सहलाता रहा और उसके बदन से चिपका उसके आंसुओं को पोछता रहा उसके ओंठो को चूमता रहा और उससे माफी मांगता रहा | 
रीमा क्या करे क्या न करे | वो जितेश से बहुत नाराज थी | ऐसा तो उसके साथ कभी नहीं हुआ | कोई उसकी मर्जी के बिना उसके जिस्म की जवानी लूटता रहे | जिसने जवानी लुटी है उसी ने बांहों में भी भर रखा है | हाय मै क्या करू | क्या जितेश की बांहों में सब कुछ भूलकर सिमट जाऊ | कैसे माफ़ कर दू जितेश को इसने कितनी तकलीफ दी है | 
जितेश रीमा की ख़ामोशी पढने की कोशिश करने लगा - देखो रीमा बेबी, हो सकता है तुम मुझसे नाराज हो लेकिन अगर मै ये नहीं करता तो तुम खुद से ज्यादा नाराज होती |
रीमा उसकी तरफ देखने लगी उसे जितेश की बात समझ नहीं आई |
जितेश - मुझे नहीं लगता तुम इस सदमे से कभी निकल पाती की तुमने वासना में अंधे होकर गिरधारी जैसे इंसान से अपनी गांड मरवा ली | मुझे पता था तुमारी आंख खुलते ही तुम्हे पहला सदमा यही लगता | इसलिए मैंने तुम्हे उस सदमे में जाने से बचा लिया | अब तुम उस बात के लिए कभी खुद को नहीं कोसोगी क्योंकि वो बात कही से भी अलग या अनोखी नहीं रह जाएगी तुमारी जिंदगी में | 
जितेश ने खुद को जस्टिफाई करने की कोशिश की | उसे पता था वो बाते बना रहा है लेकिन शायद उसका काम बन जाये | 
रीमा - क्या कहना चाहते हो तुम | 
जितेश - तुम सिर्फ इस पर फोकस करो की किसने तुम्हे कितना मजा दिया | बजाय इसके किसने तुमारे जिस्म को कितना  लूटा |
जितेश की पहेलियाँ उसकी समझ से बाहर थी | 
जितेश - देखो मुझे पता है तुमारा स्वाभाव कैसा है | जोश जोश में तुमने भले ही गिरधारी को बुला लिया था लेकिन अगर वह तुम्हे दुबारा चोदने की कोशिश करे तो उसे क्या तुम ऐसा करने दोगी |
रीमा - नहीं कभी नहीं |
जितेश - यही मेरा पॉइंट है | तुम मेरी हो और मै नहीं चाहता तुम उस गलती को याद रखो और खुद को कोसती रहो | अब तुमारा पिछवाडा किसने बजाय ये बात उतनी मायने नहीं रखती जीतनी की मेरे गांड मारने से पहले थी | सही कहा न, जब बार बार लंड चूत गांड में जाने लगते है तो किसका लंड है ये याद नहीं रहता बस उससे मिलाने वाला अहसास याद रहता है |  
जितेश - तुम्हे मजा आया | 
रीमा चुप रही |
जितेश - मतलब कोकीन चटाने के बाद | 
रीमा - बकवास मत करो, ये भी सब बोलने की बाते होती है क्या |
जितेश हँसता हुआ - मतलब मैडम को मजा आया | 
जितेश गंभीर हो गया - मै नहीं चाहता था तुम गिरधारी के दिए झटको के सदमो में चली जाओ | वो कोई गलती नहीं थी | इसलिए मैंने तुमारी गाड़ जान बूझकर मारी | मुझसे गुस्सा करो मुझसे नाराज हो | मै तुमारी मिन्नतें करूंगा , तुम्हे मनाऊंगा और जरुरत होगी तो फिर तुमारी गांड मारूंगा | इसी बहाने तुम गिरधारी वाली गलती तो भूल गयी |
रीमा को लगा जितेश सही कह रहा है, अगर उसने उसकी गांड नहीं मारी होती तो रीमा गिरधारी वाली बात को लेकर खुद को कितना कोस रही होती | 
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 01-01-2020, 05:10 PM



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