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Adultery रीमा की दबी वासना
वो रीमा के पीछे आकर उससे बिलकुल वैसे ही सट गया जैसे गिरधारी सट था | रीमा का नरम गुलाबी बदन का कोमल स्पर्श उसे पागल बनाने लगा | रीमा के जिस्म की गुलाबी गंध उसकी वासना की आग में घी डाल उसे और भड़काने लगी | रीमा के जिस्म का स्पर्श होते ही उसका लंड झटके लेकर सीधा होने लगा | जितेश रीमा के उरोजों को हलके हाथो से सहला रहा था | उसकी छाती रीमा की पीठ से सटी थी और उसकी कमर रीमा की कमर से सटी थी | उसका लंड रीमा के चौड़े मांसल नरम चुताड़ो की दो पहाड़ियों के बीच झटके खा रहा था | जितेश के अन्दर की दुविधा धीरे धीरे एकतरफा वासना से घिर कर खतम होती जा रही थी | उसके अन्दर का सही गलत का फर्क रीमा के जिस्म को फिर से भोगने की चाहत में ख़त्म होता जा रहा था | वैसे भी उसे ज्यादा सोचने की आदत थी नहीं | पहली बात रीमा को लेकर वो हिचकिचा रहा था | आखिर क्यों वो इतना सोच रहा है, जब रीमा ने अपनी गांड में लंड लेने से पहले नहीं सोचा | जो होगा देखा जायेगा | वैसे भी मैडम कौन सी दूध की धूलि है एक नंबर की चुद्दकड़ है | गिरधारी से खुजली मितवा रही थी फिर मुझसे क्या हर्ज है | इतने कसे चिकने उठान लिए मांसल चूतड़, चोदो जितेश देखा जायेगा | थोड़ा रोना धोना होगा और क्या | सब औरतो के यही नखरे होते है, जो ख्याल रखता है उसी को दुनिया भर का लेक्चर पिलाती है बताया क्यों नहीं  पुछा क्यों नहीं, बिना मेरी मर्जी के कैसे छुआ कैसे अन्दर डाला, कैसे चोदा | बाहर  किसी अनजान के खूटे से फाड़वा के आ जाएगी तब कुछ नहीं | चोदो साला देखा जायेगा, जानबूझकर वैसे भी रीमा तुम्हे अपनी गांड तो नहीं मारने देगी | अभी मौका है चौका मार दो, एक बार लंड घुस जायेगा फिर तो बिना माल छोड़े बाहर थोड़े आएगा | भला कोई औरत पूछ के अपनी गांड मारने देगी जितेश, चल अपने अरमान पुरे कर ले, फिर बाद में थोडा रोना धोना होगा, हाथ पैर पटकना होगा और थोड़ा गुस्सा थोड़ी नाराजगी ये सब तो हर मर्द औरत में चलता ही रहता है | आखिर उसने अपना मन मजबूत किया | 

उसने अपने कमर को रीमा के चुताड़ो से और कसकर सटा लिया | फिर उसे कुछ याद आया | उसने लपक कर सिराहने से वैसलीन की डिबिया उठाई और ढेर सारी वैसलीन रीमा की गुलाबी गांड के मुहाने पर उड़ेल दी | फिर अपने तने हुए लंड पर वैसलीन मलने लगा | फिर उसने रीमा के चुताड़ो को थोड़ा फैलाकर उसकी गांड की सुरंग के कसे मुहाने पर अपना फूला मोटा सुपाडा सटा दिया | 
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उसने एक लम्बी साँस ली और अपनी कमर का जोर आगे की तरफ बढ़ा दिया | भले ही रीमा की गांड सुबह सुबह ही मोटे लंड से चीरी गयी हो लेकिन उसकी गांड का छल्ला अब तक पुराने शेप में आ चूका | वो नरम था लेकिन खुला हुआ नहीं था | जितेश को उसे फ़ैलाने के लिए जोर लगाना पड़ा | पहली कोशिश में जितेश असफल रहा | वो जल्दबाजी भी नहीं करना चाहता था | वो जब तक हो सके रीमा को सोते हुए ही उसको चोदना चाहता था | उसे पता था आंख खुलते ही रीमा दुनिया भर के नखरे शुरू कर देगी | इसलिए जल्दबाजी करके उसे अपना काम ख़राब नहीं करना था | उसने अपने लंड को कसकर मसला और धीरे से रीमा की चूत में घुसा दिया | रीमा की नरम चूत में उसके लंड का मोटा सुपाडा फिसलता चला गया | जितेश ने आइस्ते से कमर हिलानी शुरू की | चार पांच धक्को में ही रीमा की चूत गीली होनी शुरू गयी | उसने लंड को चिकना और गीला करना शुरू कर दिया | रीमा की चूत के गीलपन से जितेश का सुपाडा भीग गया | जितेश ने रीमा की गुलाबी चूत से अपना सुपाडा बाहर खीचा और रीमा की गुलाबी कसी गांड के मुहाने पर फिर लगा दिया | उसने अपने लंड को सख्ती से पकड़ा और रीमा की पिछली सुरंग पर सटाकर अन्दर घुसेड़ने लगा | कमर और हाथ का कसकर जोर लगाते ही उसके लंड का सुपाडा रीमा की पिछली सुरंग के कसे छल्ले को फ़ैलाने लगा और जितेश का लंड रीमा के गहरे गुलाबी गांड में धसने लगा | रीमा की गांड का कसा छल्ला नरम था आसानी से फैलाता चला गया | जितेश के लंड का फूला सुपाडा रीमा के जिस्म में घुसकर गायब हो गया | रीमा गहरी नीद में थी लेकिन उसका अचेतन मन उसके शरीर में हो रही हरकतों पर प्रतिक्रिया दे रहा था | इसलिए उसकी चूत में लंड घुसाते ही उसकी चूत गीली होकर जितेश के लंड को भिगोने लगी थी | जितेश का लंड रीमा की गहरी गुलाबी संकरी गांड की मुहाने को चीर कर उसके जिस्म में धंस गया था | जितेश वही थम गया,  रीमा थोड़ा सा कसमसाई लेकिन फिर शांत हो गयी | जितेश ने एक लम्बी राहत की साँस ली | वो वैसे ही पड़ा रहा | कुछ देर के लिए जैसे सोने का नाटक करने लगा |


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कुछ देर तक जब रीमा की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो जितेश ने अपने सुपाडे को बाहर खीचा और फिर अन्दर घुसेड दिया | रीमा को उसने पीछे से अपनी बांहों में जकड़ रखा था | रीमा पूरी तरह से उसकी बाहों की गिरफ्त में थी | उसने सोच रखा था अगर रीमा की आँख खुल गयी तो उसे क्या करना है | अगर रीमा जग जाती है तो वो सोने का नाटक करेगा | रीमा को देखेगा कैसे रियेक्ट करती है | वो पहले भी रीमा की चूत में लंड घुसेड़कर सो चूका है | अगर रीमा पूछेगी तो कह देगा, रीमा ने ही उसकी गांड में लंड घुसेड़कर सोने को बोला था | वो तो बस उसकी बात मान कर वही कर रहा है जो वो चाहती थी | उसके अपने लंड के सुपाडे को रीमा की गांड में घुसाए रखा | रीमा की गांड का छल्ला इतनी कुटाई के बाद अब इतना जिद्दी नहीं रहा गया था | वो आराम से जितेश के लंड की बात मानकर फैलकर चौड़ा हो गया था | जितेश ने हौले हौले अपनी कमर हिलानई शुरु कर दी | बमुश्किल इंच डेढ़ इंच ही उसका लंड रीमा की गुलाबी गांड की दूरी तय कर रहा था लेकिन बड़ी मंजिल तय करने का ये छोटा कदम भी बहुत महत्वपूर्ण था | जितेश को इस छोटे कदम की अहमियत पता थी | जितेश थोड़ा निराश था की वो रीमा की कोरी करारी गांड नहीं मार पाया |  रीमा की कोरी करारी गांड मारने का सपना पालना तो बेवखूफी थी इसलिए जो मिल रहा था उसी में खुश रहने में भलाई थी | रीमा जैसी कमसिन गोरी जवान अप्सरा की गांड मारने को मिल रहा था ये कहाँ से कम था | उसके शहर में पूछो, कितने मर्दों के दिलो पर सांप लोटते थे रीमा को देखकर | जितेश को तो खुद को किस्मतवाला समझना चाहिए जो उसे रीमा की तीनो सुरंगों का सफ़र करने का मौका मिल रहा है | जितेश दुनिया का वो पहला मर्द था जिसने रीमा के मुहँ चूत और अब गांड तीनो छेदों में अपना लंड पेला था | शायद जितेश को भी अहसास नहीं था उसने क्या हासिल कर लिया है, उसे क्या मिल गया है | रीमा भले ही सो रही हो लेकिन उसका अचेतन इन हलके हलके उसकी गांड में सरकते लंड के धक्को से अनजान नहीं था | उसका अचेतन मन बार बार रीमा के चेतन मन को यह अहसास करा रहा था की उसके शरीर में कुछ हो रहा है | रीमा की आँख तो नहीं खुली लेकिन रीमा फिर से पेल के बल लुढ़ककर बेड से चिपक गयी | जब तक जितेश ने लंड पेलना नहीं शुरू किया था तब तक उसे कसकर बाहों में थामे रखा था लेकिन अब रीमा उसकी बाहों से आजाद होकर फिर से पेट के बल लेट गयी | जितेश का लंड अब हवा में सीधा तना हुआ था |

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 आखिर जितेश को उठना पड़ा | इस बार जितेश ने रीमा को अपनी बांहों में भरने की कोशिश नहीं की | बल्कि उसके पीछे उसके ऊपर आ गया |  उसने रीमा के चुताड़ो के पीछे जांघो के पास दोनों तरफ अपने पैरो को मोड़कर उसके घुटने बेड पर टिका दिए | अब रीमा के उठे हुए चूतड़ और उसकी दरार घाटी बिलकुल उसकी आँखों के सामने थी | रीमा के चुताड़ो को फैलाकर जितेश ने सख्ती से अपने फूले हुए मोटे लंड को थामा और रीमा की पिछली सुरंग पर सटा दिया | उसके जोर लगाते ही उसके तगड़े लंड का फूला सुपाडा रीमा के मांसल नरम चुताड़ो के मांस में गायब हो गया | वो अभी भी किसी जल्दबाजी के मूड में नहीं था | पता नहीं शायद उसे कही डर था अगर रीमा जग गयी तो उसे गांड मारने से मना कर देगी |  

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लेकिन वो किसी भी हाल में गिरधारी के रीमा की गांड मारने के बाद पीछे नहीं रहना चाहता था |  वह चाहता था जैसे गिरधारी ने रीमा की जमकर गांड मार कर जबरदस्कीत मजा लिया है वैस ही कुछ मजा वो भी लुटे | मर्द कितना भी समझदार हो लेकिन औरतो के बारे में सब मर्दों की राय एक जैसी ही होती है | एक बार जब कोई मर्द किसी औरत की जांघे खोल पाता है फिर वो  उसे एक अगल नजरिये से ही देखता है | उसे औरत को चोदने में या चोदने के लिए पूछने में कोई झिझक नहीं होती | कई बार तो बिना मर्जी के ही उसे चोद डालता है, उसे लगता है आखिर उससे छिटक के ये जाएगी कहाँ | जितेश के साथ भी कुछ ऐसा ही मनोविज्ञान चल रहा था | जब तक उसने रीमा को नंगा सिर्फ देखा था तब तक वो उसे छूने से पहले भी पूछता था | उसकी चूत चूची देखने में हिचक रहा था | फिर जब उसे एक बार चोद लिया तो उसके अन्दर की वो सारी झिझक हिचक खतम हो गयी, वो समझ गया था रीमा को चोदना आसन है, ये बहुत आसानी से चुदने को राजी हो जाती है | फिर जब उसने गिरधारी को उसकी गांड पर ठोकरे लगाते देखा तब से उसका दिमाग भन्ना रहा है | उसने रीमा के बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं था लेकिन रीमा की हरकतों ने उसके दिमाग की नसे फाड़ दी | अब वो अपने घायल मन को इकठा कर उस हकीकत को अपने दिलो जहन में उतार रहा था की जो हुआ वही सच है हकीकत है लेकिन उसके अन्दर रीमा के जिस्म से बेरोकटोक खेलने की हिम्मत बढ़ गयी | अब उसे रीमा को चुने या चोदने के लिए उससे पूछने की जरुरत महसूस नहीं हो रही थी | बाकि मामलों में भले ही वो रीमा का ख्याल रखे और सवेदनशील रहे लेकिन चुदाई के मामले में रीमा की उन्मुकत्ता ने उसे एक खास केटेगरी में डाल दिया था | मर्दों की खास कटेगरी, एक नंबर की चुद्दकद | जितेश के लिए फिलहाल अभी रीमा का यही वजूद था, आगे चलकर भले ही उसके विचार बदल जाये | हर वो औरत जो अपने लिए सेक्स मांगती है उसे मर्द इसी केटेगरी में डाल देते है | जितेश भी कुछ अलग नहीं था | रोहित इस मामले में कुछ ज्यादा उदार था उसने रीमा की लेबलिंग नहीं की थी क्योंकि उसका अलग अलग  औरतो के साथ एक लम्बा अनुभव था इसलिए या शायद वो रीमा से उतना गहरे से अटैच नहीं था या उसको लेकर सेंटीमेंटल नही था | वो बस रीमा जैसी थी उसे वैसे ही देखता था | उसको लेकर अपने दिमाग में कोई अलग इमेज नहीं गढ़ता था | 
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 01-01-2020, 05:02 PM



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