01-01-2020, 04:58 PM
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आशुतोष बैठा था जीप में चुपचाप. पर उसके दिमाग़ में एक तूफान चल रहा था.
"ये अब मेरी पर्सनल बॅटल है. साइको की हिम्मत कैसे हुई अपर्णा जी के बारे में ऐसा बोलने की. गोली मार दूँगा साले को मिल जाए एक बार मुझे वो. देखा जाएगा बाद में जो होगा. नही छोड़ूँगा उसे मैं जींदा. उसे नही पता की अपर्णा जी के बारे में इतनी घिनोनी बाते करके उसने अपनी जान आफ़त में डाल ली है."
तभी अपर्णा की खिड़की का परदा खुलता है. आशुतोष तो देख ही रहा था बार-बार खिड़की की तरफ. जैसे ही उसे अपर्णा दिखी आ गया फ़ौरन जीप से बाहर. अपर्णा ने फिर बहुत प्यार से देखा आशुतोष को. आशुतोष तो बस देखता ही रह गया अपर्णा को. वक्त जैसे थम सा गया था.
तभी एक जीप आकर रुकी अपर्णा के घर के बाहर और गौरव उसमे से उतर गया.
"गौरव!" अपर्णा ने कहा और परदा गिरा दिया.
आशुतोष के दिल पे तो जैसे साँप लेट गया. बहुत प्यार से देख रही थी अपर्णा आशुतोष को. ये जीप बीच में ना आती तो शायद वो समझ जाता इस बार की क्या है अपर्णा की म्रिग्नय्नि आँखो में.
"तो तुम हो आशुतोष ?" गौरव ने पूछा.
"जी हां बिल्कुल."
"आय ऍम इनस्पेक्टर गौरव पांडे."
"ओह...गुड मॉर्निंग सर. सॉरी आपको पहचान नही पाया. भोलू ने बातया था कि अब साइको वाला केस आप हैंडल कर रहे हैं."
"इट्स ओके. यहाँ सब कैसा चल रहा है."
"ठीक चल रहा है सर"
"देखो वो साइको हाथ धो कर पड़ा है अपर्णा के पीछे. तुम्हे बहुत ज़्यादा सतर्क रहना होगा. मैं 2 गन्मन लगा रहा हूँ यहाँ तुम्हारे साथ. कीप एवेरितिंग अंडर कंट्रोल."
"राइट सीर."
गौरव अपर्णा के घर की बेल बजाता है. उसके डेडी दरवाजा खोलते हैं.
"जी कहिए."
"आय ऍम इनस्पेक्टर गौरव पांडे. मुझे अपर्णा से मिलना है"
"वो अपने कमरे में सो रही है."
"देखिए मेरा उनसे मिलना बहुत ज़रूरी है. प्लीज़ बुला दीजिए उन्हे."
"ठीक है, बैठो आप मैं बुला कर लाता हूँ अपर्णा को"
जब अपर्णा के डेडी ने अपर्णा को बताया कि उस से कोई गौरव पांडे मिलने आया है तो उसने माना कर दिया मिलने से. "मेरे सर में दर्द है पापा. मैं किसी से नही मिलना चाहती."
अपर्णा के दादी ने ये बात आकर गौरव को बता दी.
"लगता है अब तक नाराज़ है मुझसे." गौरव ने मन ही मन सोचा.
"आप बाद में आ जाना."
"बहुत अर्जेंट था. क्रिमिनल्स की फोटोस लाया था उन्हे दिखाने के लिए. क्या पता इन्ही में से हो वो साइको."
ये बात सुनते ही अपर्णा के डेडी दुबारा गये अपर्णा के पास और उसे किसी तरह ले आए अपने साथ.
अपर्णा को देखते ही गौरव खड़ा हो गया. दोनो की आँखे टकराई पर कुछ कहा नही एक दूसरे को.
"ये फोटोस हैं क्रिमिनल्स की. इन्हे ध्यान से देखिए...हो सकता है साइको इन्ही में से कोई हो."
अपर्णा ने फाइल पकड़ी और बैठ गयी सोफे पे. एक एक फोटो को वो गौर से देखने लगी. जब अपर्णा के डेडी वहाँ से हटे तो गौरव ने कहा, "कैसी हो अपर्णा"
"इनमे से कोई नही है." अपर्णा ने कहा और फाइल टेबल पर रख दी. उसने गौरव की बात का कोई जवाब नही दिया.
"इतने दिनो बाद मिली हो, क्या बात भी नही करोगी." गौरव ने कहा.
अपर्णा कुछ नही बोली और चुपचाप वहाँ से उठ कर चली गयी.
गौरव ने फाइल उठाई और घर से बाहर आ गया. "बिल्कुल नही बदली अपर्णा. आज भी वैसी ही है. वही गुस्सा, वही अदा. सब कुछ वही है. आँखो की गहराई भी वही है. शूकर है उसने मेरी तरफ देखा तो. लगता है कभी माफ़ नही करेगी मुझे. ऐसी हसीना की नाराज़गी से तो मौत अच्छी"
आशुतोष बैठा था जीप में चुपचाप. पर उसके दिमाग़ में एक तूफान चल रहा था.
"ये अब मेरी पर्सनल बॅटल है. साइको की हिम्मत कैसे हुई अपर्णा जी के बारे में ऐसा बोलने की. गोली मार दूँगा साले को मिल जाए एक बार मुझे वो. देखा जाएगा बाद में जो होगा. नही छोड़ूँगा उसे मैं जींदा. उसे नही पता की अपर्णा जी के बारे में इतनी घिनोनी बाते करके उसने अपनी जान आफ़त में डाल ली है."
तभी अपर्णा की खिड़की का परदा खुलता है. आशुतोष तो देख ही रहा था बार-बार खिड़की की तरफ. जैसे ही उसे अपर्णा दिखी आ गया फ़ौरन जीप से बाहर. अपर्णा ने फिर बहुत प्यार से देखा आशुतोष को. आशुतोष तो बस देखता ही रह गया अपर्णा को. वक्त जैसे थम सा गया था.
तभी एक जीप आकर रुकी अपर्णा के घर के बाहर और गौरव उसमे से उतर गया.
"गौरव!" अपर्णा ने कहा और परदा गिरा दिया.
आशुतोष के दिल पे तो जैसे साँप लेट गया. बहुत प्यार से देख रही थी अपर्णा आशुतोष को. ये जीप बीच में ना आती तो शायद वो समझ जाता इस बार की क्या है अपर्णा की म्रिग्नय्नि आँखो में.
"तो तुम हो आशुतोष ?" गौरव ने पूछा.
"जी हां बिल्कुल."
"आय ऍम इनस्पेक्टर गौरव पांडे."
"ओह...गुड मॉर्निंग सर. सॉरी आपको पहचान नही पाया. भोलू ने बातया था कि अब साइको वाला केस आप हैंडल कर रहे हैं."
"इट्स ओके. यहाँ सब कैसा चल रहा है."
"ठीक चल रहा है सर"
"देखो वो साइको हाथ धो कर पड़ा है अपर्णा के पीछे. तुम्हे बहुत ज़्यादा सतर्क रहना होगा. मैं 2 गन्मन लगा रहा हूँ यहाँ तुम्हारे साथ. कीप एवेरितिंग अंडर कंट्रोल."
"राइट सीर."
गौरव अपर्णा के घर की बेल बजाता है. उसके डेडी दरवाजा खोलते हैं.
"जी कहिए."
"आय ऍम इनस्पेक्टर गौरव पांडे. मुझे अपर्णा से मिलना है"
"वो अपने कमरे में सो रही है."
"देखिए मेरा उनसे मिलना बहुत ज़रूरी है. प्लीज़ बुला दीजिए उन्हे."
"ठीक है, बैठो आप मैं बुला कर लाता हूँ अपर्णा को"
जब अपर्णा के डेडी ने अपर्णा को बताया कि उस से कोई गौरव पांडे मिलने आया है तो उसने माना कर दिया मिलने से. "मेरे सर में दर्द है पापा. मैं किसी से नही मिलना चाहती."
अपर्णा के दादी ने ये बात आकर गौरव को बता दी.
"लगता है अब तक नाराज़ है मुझसे." गौरव ने मन ही मन सोचा.
"आप बाद में आ जाना."
"बहुत अर्जेंट था. क्रिमिनल्स की फोटोस लाया था उन्हे दिखाने के लिए. क्या पता इन्ही में से हो वो साइको."
ये बात सुनते ही अपर्णा के डेडी दुबारा गये अपर्णा के पास और उसे किसी तरह ले आए अपने साथ.
अपर्णा को देखते ही गौरव खड़ा हो गया. दोनो की आँखे टकराई पर कुछ कहा नही एक दूसरे को.
"ये फोटोस हैं क्रिमिनल्स की. इन्हे ध्यान से देखिए...हो सकता है साइको इन्ही में से कोई हो."
अपर्णा ने फाइल पकड़ी और बैठ गयी सोफे पे. एक एक फोटो को वो गौर से देखने लगी. जब अपर्णा के डेडी वहाँ से हटे तो गौरव ने कहा, "कैसी हो अपर्णा"
"इनमे से कोई नही है." अपर्णा ने कहा और फाइल टेबल पर रख दी. उसने गौरव की बात का कोई जवाब नही दिया.
"इतने दिनो बाद मिली हो, क्या बात भी नही करोगी." गौरव ने कहा.
अपर्णा कुछ नही बोली और चुपचाप वहाँ से उठ कर चली गयी.
गौरव ने फाइल उठाई और घर से बाहर आ गया. "बिल्कुल नही बदली अपर्णा. आज भी वैसी ही है. वही गुस्सा, वही अदा. सब कुछ वही है. आँखो की गहराई भी वही है. शूकर है उसने मेरी तरफ देखा तो. लगता है कभी माफ़ नही करेगी मुझे. ऐसी हसीना की नाराज़गी से तो मौत अच्छी"