01-01-2020, 04:51 PM
Update 61
गौरव भोलू के साथ बाहर का चक्कर लगा रहा है.
"सर ये साइको बिना मतलब क्यों मारता फिरता है लोगो को." भोलू ने कहा.
"क्योंकि वो साइको है. पागल हो गया है साला...एक बार मिल जाए मुझे. सारा साइको पाना निकाल दूँगा साले का."
अचानक उनकी जीप के आगे से एक बायक निकलती है.
"ये कौन घूम रहा है बायक पर इतनी रात को." गौरव जीप की स्पीड बढ़ा कर बायक के आगे आ जाता है और बायक सवार को रुकने पर मजबूर कर देता है.
"ये तो सौरभ है?" भोलू कहता है.
"कौन सौरभ?"
"मेरे घर के पास ही रहता है सर."
"तुम इतनी रात को कहा घूम रहे हो. किसी का खून करके तो नही आ रहे" गौरव ने पूछा.
"मैं अपनी ड्यूटी से आ रहा हूँ. घर जा रहा हूँ." सौरभ ने कहा.
"क्या काम करते हो?" गौरव ने पूछा.
"प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ."
"देट्स इंट्रेस्टिंग. साइको का डर नही तुम्हे."
"2 बार सामना हो चुका है उस से. अब दर नही लगता उस से. मुझे मिला दुबारा तो बचेगा नही इस बार वो." सौरभ ने कहा.
"पढ़ी है मैने केस फाइल. तुमने उसे घायल किया था."
"हां पेट चीर दिया था मैने उसका." सौरभ ने कहा.
"फिर तो उसके पेट पे निशान होना चाहिए. मेरा ध्यान नही गया था इस बात पर. ये बहुत इम्पोर्टेन्ट क्लू है."
"क्या मैं जा सकता हूँ अब." सौरभ ने कहा.
"हां बिल्कुल. क्या तुमने रास्ते में कुछ अजीब देखा. जैसे कि कोई व्यक्ति घूमता हुआ."
"मैने एक ब्लॅक स्कॉर्पियो देखी खड़ी हुई मंदिर के बाहर. मंदिर से एक आदमी निकला और स्कॉर्पियो में बैठ कर चला गया. मैं शक्ल नही देख पाया उसकी. मुझे ये अजीब सा लगा कुछ." सौरभ ने कहा.
"कौन से मंदिर की बात कर रहे हो तुम." गौरव ने पूछा.
"बहुत पुराना सा मंदिर है भोले नाथ का. मैं वहाँ कभी गया नही." सौरभ ने कहा
"बस स्टॅंड के सामने जो है उसकी बात तो नही कर रहे कही." गौरव ने कहा.
"हां हां वही मंदिर."
गौरव भोलू के साथ बाहर का चक्कर लगा रहा है.
"सर ये साइको बिना मतलब क्यों मारता फिरता है लोगो को." भोलू ने कहा.
"क्योंकि वो साइको है. पागल हो गया है साला...एक बार मिल जाए मुझे. सारा साइको पाना निकाल दूँगा साले का."
अचानक उनकी जीप के आगे से एक बायक निकलती है.
"ये कौन घूम रहा है बायक पर इतनी रात को." गौरव जीप की स्पीड बढ़ा कर बायक के आगे आ जाता है और बायक सवार को रुकने पर मजबूर कर देता है.
"ये तो सौरभ है?" भोलू कहता है.
"कौन सौरभ?"
"मेरे घर के पास ही रहता है सर."
"तुम इतनी रात को कहा घूम रहे हो. किसी का खून करके तो नही आ रहे" गौरव ने पूछा.
"मैं अपनी ड्यूटी से आ रहा हूँ. घर जा रहा हूँ." सौरभ ने कहा.
"क्या काम करते हो?" गौरव ने पूछा.
"प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ."
"देट्स इंट्रेस्टिंग. साइको का डर नही तुम्हे."
"2 बार सामना हो चुका है उस से. अब दर नही लगता उस से. मुझे मिला दुबारा तो बचेगा नही इस बार वो." सौरभ ने कहा.
"पढ़ी है मैने केस फाइल. तुमने उसे घायल किया था."
"हां पेट चीर दिया था मैने उसका." सौरभ ने कहा.
"फिर तो उसके पेट पे निशान होना चाहिए. मेरा ध्यान नही गया था इस बात पर. ये बहुत इम्पोर्टेन्ट क्लू है."
"क्या मैं जा सकता हूँ अब." सौरभ ने कहा.
"हां बिल्कुल. क्या तुमने रास्ते में कुछ अजीब देखा. जैसे कि कोई व्यक्ति घूमता हुआ."
"मैने एक ब्लॅक स्कॉर्पियो देखी खड़ी हुई मंदिर के बाहर. मंदिर से एक आदमी निकला और स्कॉर्पियो में बैठ कर चला गया. मैं शक्ल नही देख पाया उसकी. मुझे ये अजीब सा लगा कुछ." सौरभ ने कहा.
"कौन से मंदिर की बात कर रहे हो तुम." गौरव ने पूछा.
"बहुत पुराना सा मंदिर है भोले नाथ का. मैं वहाँ कभी गया नही." सौरभ ने कहा
"बस स्टॅंड के सामने जो है उसकी बात तो नही कर रहे कही." गौरव ने कहा.
"हां हां वही मंदिर."