01-01-2020, 04:49 PM
रामू असमांजस में था कि क्या करे. खुद का पेट वो चीर नही सकता था. तीसरा काम भी वो नही कर सकता था. बस एक ही ऑप्शन बचा था कि वो काट डाले निशा को.
"दूसरी ऑप्शन ही ठीक है रामू. चीर दे पेट मेमसाहब का. उनके मरने से तुम जिंदा रह सकते हो तो क्या दिक्कत है." वो काँपते हुए हाथ में चाकू लिए निशा की तरफ बढ़ता है.
"माफ़ करना मेमसाहब और कोई चारा नही है. आप आँखे बंद कर लो"
"नमक हराम, अपना पेट क्यों नही चीर लेते. दिखा दी अपनी औकात तुमने." निशा चिल्लाई.
"मुझे भी जीने का हक़ है. आपके मरने से मैं जींदा रह सकता हूँ तो क्या दिक्कत है." रामू चाकू हवा में लहराता है. निशा काँप उठती है.
"रूको...तीसरी ऑप्शन भी तो है." निशा रोते हुए कहती है.
रामू का हाथ हवा में ही रुक जाता है. "तो क्या आप डलवा लेंगी?"
"हां आ जाओ" निशा फूट फूट कर रोने लगती है.
साइको तालिया पीटने लगता है. "वाह भाई वाह, क्या बात है. ये तो पूरी बेशर्मी पर उतर आई है. कितनी प्यास है इसकी चूत में लंड के लिए. अपने नौकर का लेने के लिए भी तैयार हो गयी है. ऐसी बदचलन रंडी मैने आज तक नही देखी. निशा जी हैट्स ऑफ टू यू. कीप इट अप. जल्दी करो 5 मिनिट बर्बाद कर चुके हो तुम रामू. आधा घंटा है सिर्फ़ तुम्हारे पास."
रामू की तो आँखे ही चमक उठी थी ये सुनके. उसके लिंग में तुरंत हरकत होने लगी थी. उसने चाकू एक तरफ रखा और चढ़ गया बिस्तर पर.
"कहीं और मत छूना मुझे." निशा ने कहा
"ये करने को मिल रहा है, यही बहुत बड़ी बात है" रामू ने कहा और अपनी पेण्ट उतार दी. फुर्ती से उसने अंडरवेर भी उतार दिया. बहुत बेचैन हो रहा था.
निशा ने अपनी आँखे बंद कर ली. टाइम बीत-ता जा रहा था. रामू ने तुरत अपने लिंग पर थूक लगाया और टिका दिया निशा की योनि पर.
एक ही धक्के में रामू ने पूरा लिंग निशा की योनि में उतार दिया. "आआआहह....नऊओ" निशा कराह उठी.
निशा सोच रही थी कि अब साइको रामू का गला काट देगा और ये गंदा काम जल्दी ख़तम हो जाएगा. इसीलिए तो वो इसके लिए तैयार भी हुई थी.
पर वो चोंक गयी. रामू ने मज़े से धक्के लगाने शुरू कर दिए और ऐसा कुछ नही हुआ जैसा वो सोच रही थी. उसने साइको की तरफ देखा. वो कुर्सी पर बैठा था. उसके चेहरे पर नकाब था. इसलिए वो उसके चेहरे के भाव नही देख पाई. पर वो समझ गयी कि वो पूरे दृश्य का आनंद ले रहा था.
पहली बार निशा की योनि में लिंग अंदर बाहर घूम रहा था. मगर वो कुछ भी फील नही कर पा रही थी. उसकी आँखे टपक रही थी. रामू तो लगा हुआ था अपने काम में. उसे तो जैसे जन्नत मिल गयी थी.तूफान मचा दिया था उसने बिस्तर पर. भरपूर मज़ा ले रहा था वो निशा का. रुका नही एक भी बार. निशा की आँखो के आँसू भी नही दीखे उसे. लगा रहा बस. अपने चरम पर पहुँच कर गिर गया वो निशा के उपर और बोला, "माफ़ करना मुझे मेमसाहब. कोई और चारा नही था."
मगर तभी छींख गूँज उठी रामू की कमरे में. साइको ने उसकी गर्दन के पीछे सर के बिल्कुल नीचे चाकू घुसा दिया. बड़ी बेरहमी से उसने वो चाकू नीचे की ओर खींचा और रामू की पीठ चीर डाली. चारो तरफ खून ही खून फैल गया. बिस्तर लाल हो गया. साइको ने रामू को टाँग पकड़ कर निशा के उपर से खींचा और ज़मीन पर पटक दिया.
"क्या सीन बना है. क्यों री रंडी. मिल गया तेरी चूत को पानी. अब तो खुश है तू. मैं चाहता था कि वो तुझे काट डाले. मगर नही. तुझे तो लंड चाहिए था उसका. बुझ गयी प्यास तेरी अब. अपनी चूत में लंड ले ले कर लोगो को मरवा रही है. तेरे जैसी रंडी नही देखि दुनिया में. बस बहुत हो गया तेरा ये गंदा खेल. नही चलने दूँगा मैं ये सब. साइको ने निशा के बाल पकड़े और उसे घसीट कर रामू की लाश पर पटक दिया. इसके साथ तू भी मरेगी अब. मुझे रंडी बिल्कुल पसंद नही." साइको की बातो में बहुत कठोरता थी
और फिर कमरे में दरिंदगी का वो खेल हुआ जिसे देख कर किसी की भी रूह काँप जाए. बड़ी बेरहमी से काट डाला था साइको ने निशा को. दम तोड़ दिया था उसने बहुत जल्दी. मगर साइको का चाकू नही थमा. वार पर वार करता रहा वो.
"मेरी गेम खराब करती है साली. मैं क्या यहाँ पॉर्न देखने बैठा था जो कि लंड ले लिया तूने मज़े से. साली रंडी..........." पता नही और क्या क्या बकवास करता रहा वो.
कमरे में बहुत ही दर्दनाक और खौफनाक दृश्य हुआ था. जिसका पूरा वर्णन बहुत ही मुश्किल है.
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"दूसरी ऑप्शन ही ठीक है रामू. चीर दे पेट मेमसाहब का. उनके मरने से तुम जिंदा रह सकते हो तो क्या दिक्कत है." वो काँपते हुए हाथ में चाकू लिए निशा की तरफ बढ़ता है.
"माफ़ करना मेमसाहब और कोई चारा नही है. आप आँखे बंद कर लो"
"नमक हराम, अपना पेट क्यों नही चीर लेते. दिखा दी अपनी औकात तुमने." निशा चिल्लाई.
"मुझे भी जीने का हक़ है. आपके मरने से मैं जींदा रह सकता हूँ तो क्या दिक्कत है." रामू चाकू हवा में लहराता है. निशा काँप उठती है.
"रूको...तीसरी ऑप्शन भी तो है." निशा रोते हुए कहती है.
रामू का हाथ हवा में ही रुक जाता है. "तो क्या आप डलवा लेंगी?"
"हां आ जाओ" निशा फूट फूट कर रोने लगती है.
साइको तालिया पीटने लगता है. "वाह भाई वाह, क्या बात है. ये तो पूरी बेशर्मी पर उतर आई है. कितनी प्यास है इसकी चूत में लंड के लिए. अपने नौकर का लेने के लिए भी तैयार हो गयी है. ऐसी बदचलन रंडी मैने आज तक नही देखी. निशा जी हैट्स ऑफ टू यू. कीप इट अप. जल्दी करो 5 मिनिट बर्बाद कर चुके हो तुम रामू. आधा घंटा है सिर्फ़ तुम्हारे पास."
रामू की तो आँखे ही चमक उठी थी ये सुनके. उसके लिंग में तुरंत हरकत होने लगी थी. उसने चाकू एक तरफ रखा और चढ़ गया बिस्तर पर.
"कहीं और मत छूना मुझे." निशा ने कहा
"ये करने को मिल रहा है, यही बहुत बड़ी बात है" रामू ने कहा और अपनी पेण्ट उतार दी. फुर्ती से उसने अंडरवेर भी उतार दिया. बहुत बेचैन हो रहा था.
निशा ने अपनी आँखे बंद कर ली. टाइम बीत-ता जा रहा था. रामू ने तुरत अपने लिंग पर थूक लगाया और टिका दिया निशा की योनि पर.
एक ही धक्के में रामू ने पूरा लिंग निशा की योनि में उतार दिया. "आआआहह....नऊओ" निशा कराह उठी.
निशा सोच रही थी कि अब साइको रामू का गला काट देगा और ये गंदा काम जल्दी ख़तम हो जाएगा. इसीलिए तो वो इसके लिए तैयार भी हुई थी.
पर वो चोंक गयी. रामू ने मज़े से धक्के लगाने शुरू कर दिए और ऐसा कुछ नही हुआ जैसा वो सोच रही थी. उसने साइको की तरफ देखा. वो कुर्सी पर बैठा था. उसके चेहरे पर नकाब था. इसलिए वो उसके चेहरे के भाव नही देख पाई. पर वो समझ गयी कि वो पूरे दृश्य का आनंद ले रहा था.
पहली बार निशा की योनि में लिंग अंदर बाहर घूम रहा था. मगर वो कुछ भी फील नही कर पा रही थी. उसकी आँखे टपक रही थी. रामू तो लगा हुआ था अपने काम में. उसे तो जैसे जन्नत मिल गयी थी.तूफान मचा दिया था उसने बिस्तर पर. भरपूर मज़ा ले रहा था वो निशा का. रुका नही एक भी बार. निशा की आँखो के आँसू भी नही दीखे उसे. लगा रहा बस. अपने चरम पर पहुँच कर गिर गया वो निशा के उपर और बोला, "माफ़ करना मुझे मेमसाहब. कोई और चारा नही था."
मगर तभी छींख गूँज उठी रामू की कमरे में. साइको ने उसकी गर्दन के पीछे सर के बिल्कुल नीचे चाकू घुसा दिया. बड़ी बेरहमी से उसने वो चाकू नीचे की ओर खींचा और रामू की पीठ चीर डाली. चारो तरफ खून ही खून फैल गया. बिस्तर लाल हो गया. साइको ने रामू को टाँग पकड़ कर निशा के उपर से खींचा और ज़मीन पर पटक दिया.
"क्या सीन बना है. क्यों री रंडी. मिल गया तेरी चूत को पानी. अब तो खुश है तू. मैं चाहता था कि वो तुझे काट डाले. मगर नही. तुझे तो लंड चाहिए था उसका. बुझ गयी प्यास तेरी अब. अपनी चूत में लंड ले ले कर लोगो को मरवा रही है. तेरे जैसी रंडी नही देखि दुनिया में. बस बहुत हो गया तेरा ये गंदा खेल. नही चलने दूँगा मैं ये सब. साइको ने निशा के बाल पकड़े और उसे घसीट कर रामू की लाश पर पटक दिया. इसके साथ तू भी मरेगी अब. मुझे रंडी बिल्कुल पसंद नही." साइको की बातो में बहुत कठोरता थी
और फिर कमरे में दरिंदगी का वो खेल हुआ जिसे देख कर किसी की भी रूह काँप जाए. बड़ी बेरहमी से काट डाला था साइको ने निशा को. दम तोड़ दिया था उसने बहुत जल्दी. मगर साइको का चाकू नही थमा. वार पर वार करता रहा वो.
"मेरी गेम खराब करती है साली. मैं क्या यहाँ पॉर्न देखने बैठा था जो कि लंड ले लिया तूने मज़े से. साली रंडी..........." पता नही और क्या क्या बकवास करता रहा वो.
कमरे में बहुत ही दर्दनाक और खौफनाक दृश्य हुआ था. जिसका पूरा वर्णन बहुत ही मुश्किल है.
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