01-01-2020, 04:47 PM
घने जंगल का दृश्य है. चारो तरफ खौफनाक सन्नाटा है. अपर्णा और आशुतोष घबराए खड़े हैं.घबराए भी क्यों ना उनके सामने साइको खड़ा है उनकी तरफ बंदूक ताने.
"तुम दोनो डिसाइड करलो पहले कौन मरना चाहता है." साइको ने कहा.
"हमने डिसाइड कर लिया. पहले तुम मरोगे." आशुतोष ने पाँव से मिट्टी उछाल दी साइको की तरफ और उस पर टूट पड़ा. साइको के हाथ से पिस्टल छूट कर दूर गिर गयी. उसका चाकू भी ज़मीन पर गिर गया. मगर साइको पिस्टल के बिना भी बलशाली था. वो आशुतोष पर भारी पड़ रहा था. किसी तरह आशुतोष के हाथ चाकू आ गया और उसने चाकू साइको के पेट में गाढ दिया. साइको ढेर हो गया ज़मीन पर. आशुतोष को लगा साइको का काम ख़तम. वो अपर्णा की तरफ बढ़ा. लेकिन तभी साइको बोला, "पहले अपर्णा ही मरेगी...बचा सको तो बचा लो."
आशुतोष ने तुरंत पीछे मूड कर देखा. साइको के हाथ में पिस्टल थी और उसने अपर्णा को निशाना बना रखा था. वक्त रहते आशुतोष अपर्णा और गोली के बीच आ गया और आशुतोष ज़मीन पर ढेर हो गया. गोली बिल्कुल दिल के पास लगी थी.
अपर्णा भाग कर आई आशुतोष के पास और फूट फूट कर रोने लगी. "ऐसा क्यों किया तुमने. मुझे मर जाने देते."
"प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही" आशुतोष ने कहा और उसने दम तोड़ दिया.
"आशुतोष!" और अपर्णा चिल्ला कर फ़ौरन उठ गयी गहरी नींद से. सपना था ही कुछ ऐसा. उसने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली, "प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही...आशुतोष ने यही कहा था शाम को. उफ्फ क्या हो रहा है मेरे साथ. इतने अजीब सपने क्यों आते हैं मुझे. ओह..आशुतोष मुझे क्यों परेशान कर रहे हो."
अपर्णा सपने के बाद बहुत बेचैन हो गयी थी. उसने घड़ी की तरफ देखा तो पाया कि रात के 2 बज रहे हैं. वो उठी और पानी पिया.
पानी पीने के बाद अपर्णा खिड़की में आई और परदा हटा कर बाहर देखा. उसे अपने घर के बाहर सिर्फ़ आशुतोष दिखाई दिया. वो जीप का सहारा लेकर खड़ा था. आशुतोष ने अपर्णा को खिड़की से झाँकते हुए देख लिया. वो तुरंत जीप का सहारा छोड़ कर सीधा खड़ा हो गया...जैसे कि कुछ कहना चाहता हो.
अपर्णा ने फ़ौरन परदा छोड़ दिया और वापिस आ कर बिस्तर पर गिर गयी. बहुत कोशिश की उसने दिमाग़ को डाइवर्ट करने की मगर बार बार उसके दिमाग़ में आशुतोष के यही बोल गूँज रहे थे, "प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही."
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"तुम दोनो डिसाइड करलो पहले कौन मरना चाहता है." साइको ने कहा.
"हमने डिसाइड कर लिया. पहले तुम मरोगे." आशुतोष ने पाँव से मिट्टी उछाल दी साइको की तरफ और उस पर टूट पड़ा. साइको के हाथ से पिस्टल छूट कर दूर गिर गयी. उसका चाकू भी ज़मीन पर गिर गया. मगर साइको पिस्टल के बिना भी बलशाली था. वो आशुतोष पर भारी पड़ रहा था. किसी तरह आशुतोष के हाथ चाकू आ गया और उसने चाकू साइको के पेट में गाढ दिया. साइको ढेर हो गया ज़मीन पर. आशुतोष को लगा साइको का काम ख़तम. वो अपर्णा की तरफ बढ़ा. लेकिन तभी साइको बोला, "पहले अपर्णा ही मरेगी...बचा सको तो बचा लो."
आशुतोष ने तुरंत पीछे मूड कर देखा. साइको के हाथ में पिस्टल थी और उसने अपर्णा को निशाना बना रखा था. वक्त रहते आशुतोष अपर्णा और गोली के बीच आ गया और आशुतोष ज़मीन पर ढेर हो गया. गोली बिल्कुल दिल के पास लगी थी.
अपर्णा भाग कर आई आशुतोष के पास और फूट फूट कर रोने लगी. "ऐसा क्यों किया तुमने. मुझे मर जाने देते."
"प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही" आशुतोष ने कहा और उसने दम तोड़ दिया.
"आशुतोष!" और अपर्णा चिल्ला कर फ़ौरन उठ गयी गहरी नींद से. सपना था ही कुछ ऐसा. उसने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली, "प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही...आशुतोष ने यही कहा था शाम को. उफ्फ क्या हो रहा है मेरे साथ. इतने अजीब सपने क्यों आते हैं मुझे. ओह..आशुतोष मुझे क्यों परेशान कर रहे हो."
अपर्णा सपने के बाद बहुत बेचैन हो गयी थी. उसने घड़ी की तरफ देखा तो पाया कि रात के 2 बज रहे हैं. वो उठी और पानी पिया.
पानी पीने के बाद अपर्णा खिड़की में आई और परदा हटा कर बाहर देखा. उसे अपने घर के बाहर सिर्फ़ आशुतोष दिखाई दिया. वो जीप का सहारा लेकर खड़ा था. आशुतोष ने अपर्णा को खिड़की से झाँकते हुए देख लिया. वो तुरंत जीप का सहारा छोड़ कर सीधा खड़ा हो गया...जैसे कि कुछ कहना चाहता हो.
अपर्णा ने फ़ौरन परदा छोड़ दिया और वापिस आ कर बिस्तर पर गिर गयी. बहुत कोशिश की उसने दिमाग़ को डाइवर्ट करने की मगर बार बार उसके दिमाग़ में आशुतोष के यही बोल गूँज रहे थे, "प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही."
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