01-01-2020, 01:22 PM
गौरव बाहर आया तो उसके माथे पे पसीने थे.
"बाप रे बाप...सही कहता था वो कमीना चौहान ये तो सच में कयामत है...उफ्फ हालत खराब कर दी. "
गौरव सीधा चौहान के कमरे की तरफ चल दिया.
"गुड मॉर्निंग सर."
"गुड मॉर्निंग भोलू...कैसे हो?"
"ठीक हूँ सर. अच्छा लगा आपको वापिस देख कर." भोलू ने कहा.
गौरव चौहान के कमरे में घुसा तो वो चाय पी रहा था.
"बैठे रहते हैं आप यहाँ...चाय पीते रहते है. तभी तो मुजरिम खुले आम घूम रहे हैं." गौरव ने कहा.
"ज़्यादा बकवास तो करो मत. तुम अभी नये नये हो पोलीस में. देखता हूँ क्या करोगे. ज़्यादा ही दम है तो पकड़ो इस साइको को जिसने बाहर में आतंक मचा रखा है."
"केस रेकॉर्ड्स तो दे दो सारा उसके बिना क्या घंटा पकडूँगा मैं."
"देता हूँ...पहले चाय तो पी लू...मेरे साथ ज़्यादा पंगा मत लिया कर...बड़ी मुश्किल से बहाल हुआ है नौकरी पे. फिर से सस्पेंड हो सकते हो. तुम्हे पता नही मैं कौन हूँ."
"इसको अगर पता चल गया कि मैने इसकी बहन की ली है तो बीफ़र जाएगा ये." गौरव ने मन में सोचा और हँसने लगा.
"क्या हुआ हंस क्यों रहे हो?" चौहान ने पूछा.
"कुछ नही आप मुझे रेकॉर्ड्स दे दो. वक्त कम है मेरे पास. कुछ नही किया तो फिर से सस्पेंड हो जाउन्गा."
"वो तो तुम्हे होना ही है." चौहान ने उठते हुए कहा.
चौहान ने सारा रेकॉर्ड गौरव को सौंप दिया और गौरव ने बड़ी बारीकी से सब कुछ पड़ा.
"ह्म्म....एक बात है...इस साइको का कोई पॅटर्न नही है जिसे समझ कर हम कुछ एनालिसिस कर सकें. या फिर पॅटर्न है...जो समझ नही आ रहा. ये केके कौन हो सकता है. इतना मुश्किल केस और इतना कम वक्त. गौरव बेटा तेरी सस्पेंशन तो फिर से पक्की है."
गौरव सब कुछ पढ़ कर अपने केबिन से बाहर निकला तो उसने देखा की अंकिता चेहरे पर शिकन सी लिए अपने केबिन से निकल रही हैं.
गौरव की हिम्मत नही हुई अंकिता के पास जाने की. अंकिता उसके आगे से निकली तो बोली, "स्टडी किया तुमने केस?"
"हां मेडम कर लिया."
"चलो एसपी साहिब ने बुलाया है मुझे. तुम भी साथ चलो."
"जैसी आपकी मर्ज़ी मेडम." गौरव ने कहा. "डाँट पड़ेगी शायद ए एस पी साहिबा को. क्योंकि वो कमीना डाँट-ने के लिए ही बुलाता है. बहुत डांटा था एक बार बुला के मुझे साले ने."
"मेडम क्या आप मिली हैं एसपी साहिब से पहले."
"हां मिली हूँ...जब यहाँ जॉइन किया था तभी मिली थी. आज उन्होने पहली बार बुलाया है."
"बुरा ना माने तो एक बात कहूँ." गौरव ने कहा.
"अपना मूह बंद रखो...मुझे ज़्यादा बकवास सुनना अच्छा नही लगता."
गौरव की तो बोलती बंद हो गयी. एसपी साहिब के यहाँ पहुँच कर अंकिता ने कहा, "तुम यही रूको मैं मिल कर आती हूँ. कोई भी ज़रूरत हुई तो तुम्हे बुला लूँगी."
"ठीक है मेडम मैं यही खड़ा हूँ."
अंकिता अंदर घुस गयी. वो काफ़ी तनाव में थी.
"आओ...आओ ए एस पी साहिबा, क्या हुआ साइको के केस का. ऍम.पि. की बेटी का कुछ पता चला. कुछ कर भी रही हो या हाथ पे हाथ धर के बैठी हो."
"सर हम पूरी कोशिश कर रहे हैं."
"क्या कोशिश कर रही हो तुम. 24 घंटे से ज़्यादा हो गये ऍम.पि. की बेटी को अगवा हुए. कुछ नही किया तुमने अब तक. सारी डाँट तो मुझे खानी पड़ रही है."
"सर आय ऍम ट्राइयिंग माय बेस्ट."
"बुलशिट....अगर बेस्ट ट्राइ किया होता तो कोई रिज़ल्ट होता तुम्हारे पास.पोलीस में आने की बजाए मॉडलिंग करनी चाहिए थी तुम्हे. आ गयी यहाँ अपनी गान्ड मरवाने के लिए पोलीस में. जाओ दफ़ा हो जाओ और कुछ करो वरना बर्खास्त कर दूँगा तुम्हे."
अंकिता को इस तरह की फटकार का अंदाज़ा नही था. वो कुछ भी नही बोल पाई.
"मुझे वो साइको जींदा या मुर्दा चाहिए. निशा और अपर्णा दोनो को कुछ नही होना चाहिए...जाओ अब यहाँ से खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो."
"थॅंक यू सर." अंकिता कुछ और नही बोल पाई और चुपचाप बाहर आ गयी.
जब वो बाहर आई तो उसकी आँखे नम थी.
गौरव अंकिता को देखते ही समझ गया कि खूब डाँट पड़ी है उन्हे. उसने कुछ नही पूछा अंकिता से. डर भी तो था उसे कही वो उस पर ना भड़क जाए.
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"बाप रे बाप...सही कहता था वो कमीना चौहान ये तो सच में कयामत है...उफ्फ हालत खराब कर दी. "
गौरव सीधा चौहान के कमरे की तरफ चल दिया.
"गुड मॉर्निंग सर."
"गुड मॉर्निंग भोलू...कैसे हो?"
"ठीक हूँ सर. अच्छा लगा आपको वापिस देख कर." भोलू ने कहा.
गौरव चौहान के कमरे में घुसा तो वो चाय पी रहा था.
"बैठे रहते हैं आप यहाँ...चाय पीते रहते है. तभी तो मुजरिम खुले आम घूम रहे हैं." गौरव ने कहा.
"ज़्यादा बकवास तो करो मत. तुम अभी नये नये हो पोलीस में. देखता हूँ क्या करोगे. ज़्यादा ही दम है तो पकड़ो इस साइको को जिसने बाहर में आतंक मचा रखा है."
"केस रेकॉर्ड्स तो दे दो सारा उसके बिना क्या घंटा पकडूँगा मैं."
"देता हूँ...पहले चाय तो पी लू...मेरे साथ ज़्यादा पंगा मत लिया कर...बड़ी मुश्किल से बहाल हुआ है नौकरी पे. फिर से सस्पेंड हो सकते हो. तुम्हे पता नही मैं कौन हूँ."
"इसको अगर पता चल गया कि मैने इसकी बहन की ली है तो बीफ़र जाएगा ये." गौरव ने मन में सोचा और हँसने लगा.
"क्या हुआ हंस क्यों रहे हो?" चौहान ने पूछा.
"कुछ नही आप मुझे रेकॉर्ड्स दे दो. वक्त कम है मेरे पास. कुछ नही किया तो फिर से सस्पेंड हो जाउन्गा."
"वो तो तुम्हे होना ही है." चौहान ने उठते हुए कहा.
चौहान ने सारा रेकॉर्ड गौरव को सौंप दिया और गौरव ने बड़ी बारीकी से सब कुछ पड़ा.
"ह्म्म....एक बात है...इस साइको का कोई पॅटर्न नही है जिसे समझ कर हम कुछ एनालिसिस कर सकें. या फिर पॅटर्न है...जो समझ नही आ रहा. ये केके कौन हो सकता है. इतना मुश्किल केस और इतना कम वक्त. गौरव बेटा तेरी सस्पेंशन तो फिर से पक्की है."
गौरव सब कुछ पढ़ कर अपने केबिन से बाहर निकला तो उसने देखा की अंकिता चेहरे पर शिकन सी लिए अपने केबिन से निकल रही हैं.
गौरव की हिम्मत नही हुई अंकिता के पास जाने की. अंकिता उसके आगे से निकली तो बोली, "स्टडी किया तुमने केस?"
"हां मेडम कर लिया."
"चलो एसपी साहिब ने बुलाया है मुझे. तुम भी साथ चलो."
"जैसी आपकी मर्ज़ी मेडम." गौरव ने कहा. "डाँट पड़ेगी शायद ए एस पी साहिबा को. क्योंकि वो कमीना डाँट-ने के लिए ही बुलाता है. बहुत डांटा था एक बार बुला के मुझे साले ने."
"मेडम क्या आप मिली हैं एसपी साहिब से पहले."
"हां मिली हूँ...जब यहाँ जॉइन किया था तभी मिली थी. आज उन्होने पहली बार बुलाया है."
"बुरा ना माने तो एक बात कहूँ." गौरव ने कहा.
"अपना मूह बंद रखो...मुझे ज़्यादा बकवास सुनना अच्छा नही लगता."
गौरव की तो बोलती बंद हो गयी. एसपी साहिब के यहाँ पहुँच कर अंकिता ने कहा, "तुम यही रूको मैं मिल कर आती हूँ. कोई भी ज़रूरत हुई तो तुम्हे बुला लूँगी."
"ठीक है मेडम मैं यही खड़ा हूँ."
अंकिता अंदर घुस गयी. वो काफ़ी तनाव में थी.
"आओ...आओ ए एस पी साहिबा, क्या हुआ साइको के केस का. ऍम.पि. की बेटी का कुछ पता चला. कुछ कर भी रही हो या हाथ पे हाथ धर के बैठी हो."
"सर हम पूरी कोशिश कर रहे हैं."
"क्या कोशिश कर रही हो तुम. 24 घंटे से ज़्यादा हो गये ऍम.पि. की बेटी को अगवा हुए. कुछ नही किया तुमने अब तक. सारी डाँट तो मुझे खानी पड़ रही है."
"सर आय ऍम ट्राइयिंग माय बेस्ट."
"बुलशिट....अगर बेस्ट ट्राइ किया होता तो कोई रिज़ल्ट होता तुम्हारे पास.पोलीस में आने की बजाए मॉडलिंग करनी चाहिए थी तुम्हे. आ गयी यहाँ अपनी गान्ड मरवाने के लिए पोलीस में. जाओ दफ़ा हो जाओ और कुछ करो वरना बर्खास्त कर दूँगा तुम्हे."
अंकिता को इस तरह की फटकार का अंदाज़ा नही था. वो कुछ भी नही बोल पाई.
"मुझे वो साइको जींदा या मुर्दा चाहिए. निशा और अपर्णा दोनो को कुछ नही होना चाहिए...जाओ अब यहाँ से खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो."
"थॅंक यू सर." अंकिता कुछ और नही बोल पाई और चुपचाप बाहर आ गयी.
जब वो बाहर आई तो उसकी आँखे नम थी.
गौरव अंकिता को देखते ही समझ गया कि खूब डाँट पड़ी है उन्हे. उसने कुछ नही पूछा अंकिता से. डर भी तो था उसे कही वो उस पर ना भड़क जाए.
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