01-01-2020, 01:21 PM
Update 59
ट्रेन ठीक 7 बजे पहुँच गयी देहरादून. गौरव और रीमा ने ख़ुशी ख़ुशी एक दूसरे को बाय किया और अपने अपने रास्ते निकल पड़े.
ठीक 10 बजे गौरव थाने में था.
"आ गये आप?" चौहान ने कहा
"जी हां आ गये."
"ए एस पी साहिबा आपका इंतजार कर रही हैं. संभाल कर रहना कयामत है कयामत. मेरी तो जान झूठी आपके आने से. अब साइको का केस आप संभालेंगे."
"कोई बात नही साइको को भी देख लेंगे. मैं ए एस पी साहिबा से मिल कर आता हूँ."
इनस्पेक्टर गौरव पांडे अंकिता के केबिन की तरफ चल दिया.
"अब पता चलेगा इसे की पोलीस की नौकरी क्या होती है...गौरव पांडे हा." चौहान बड़बड़ाया.
गौरव घुस गया आ स प साहिबा के केबिन में. अंकिता फोन पर व्यस्त थी. गौरव चुपचाप अंदर आ कर उनकी टेबल के सामने खड़ा हो गया. अंकिता ने फोन पटका और बोली, "यस हू आर यू."
"आय ऍम गौरव मेडम. गौरव पांडे..."
"ओह हां...आज ही आ गये तुम."
"अब जब आपने मेरा सस्पेंशन कैंसिल करवा दिया तो देर क्यू करता आने में."
"गुड...बैठो, मैने तुम्हारा सर्विस रेकॉर्ड देखा. मैं तुम्हे एक इम्पोर्टेन्ट केस देना चाहती हूँ. हैंडल कर पाओगे."
"बेशक मेडम आप हुकुम कीजिए, मेरा सस्पेंशन अच्छा काम करने के कारण ही हुआ था. पॉलिटीशियन के बेटे को रेप के केस में अंदर डाल दिया था मैने. सज़ा भी दिलवाता उसे. पर मुझे अवॉर्ड तो क्या मिलता उल्टा सस्पेंशन ऑर्डर मिल गया. पुणे चला गया था मैं तो अपने चाचा जी के पास.."
"बस बस ज़्यादा कहानियाँ मत सूनाओ. मैं जानती हूँ सब तभी तुम्हे वापिस लिया गया है महकमे में."
"बहुत कड़क है भाई ये तो." गौरव ने सोचा.
"साइको किलर का केस अब से तुम हैंडल करोगे. और मुझे रिज़ल्ट्स चाहिए. बहुत दबाव है उपर से."
"आइ विल डू मी बेस्ट मेडम. आपको निराश नही करूँगा." गौरव ने कहा.
"जाओ जाकर चौहान से सारा केस रेकॉर्ड ले लो. उस साइको ने ऍम.पि. की बेटी को अगवा कर रखा है और बदले में अपर्णा को माँग रहा है. हमें ऍम.पि. की बेटी को भी सुरक्षित छुड़ाना है और अपर्णा को भी उसे नही सोंपना. अब तुम देखो तुम क्या कर सकते हो. मुझे जल्द से जल्द वो साइको सलाखों के पीछे चाहिए."
"मुझे उम्मीद है की आपको निराश नही करूँगा."
"तुम्हारे पास ऑप्शन भी नही है. अगर कुछ नही कर पाए तो मैं तुम फिर से सस्पेंड हो जाओगे. इज़ देट क्लियर.
"सभी कुछ क्लियर हो गया अब तो."
"गुड, नाओ गो एन्ड डू योर ड्यूटी. और मुझे शक्ल तभी दिखाना जब कुछ कर लो. इज़ देट क्लियर."
"सभी कुछ क्लियर है मेडम." गौरव का गला सुख गया बोलते-बोलते.
"फाइन, यू कैन गो नाओ."
ट्रेन ठीक 7 बजे पहुँच गयी देहरादून. गौरव और रीमा ने ख़ुशी ख़ुशी एक दूसरे को बाय किया और अपने अपने रास्ते निकल पड़े.
ठीक 10 बजे गौरव थाने में था.
"आ गये आप?" चौहान ने कहा
"जी हां आ गये."
"ए एस पी साहिबा आपका इंतजार कर रही हैं. संभाल कर रहना कयामत है कयामत. मेरी तो जान झूठी आपके आने से. अब साइको का केस आप संभालेंगे."
"कोई बात नही साइको को भी देख लेंगे. मैं ए एस पी साहिबा से मिल कर आता हूँ."
इनस्पेक्टर गौरव पांडे अंकिता के केबिन की तरफ चल दिया.
"अब पता चलेगा इसे की पोलीस की नौकरी क्या होती है...गौरव पांडे हा." चौहान बड़बड़ाया.
गौरव घुस गया आ स प साहिबा के केबिन में. अंकिता फोन पर व्यस्त थी. गौरव चुपचाप अंदर आ कर उनकी टेबल के सामने खड़ा हो गया. अंकिता ने फोन पटका और बोली, "यस हू आर यू."
"आय ऍम गौरव मेडम. गौरव पांडे..."
"ओह हां...आज ही आ गये तुम."
"अब जब आपने मेरा सस्पेंशन कैंसिल करवा दिया तो देर क्यू करता आने में."
"गुड...बैठो, मैने तुम्हारा सर्विस रेकॉर्ड देखा. मैं तुम्हे एक इम्पोर्टेन्ट केस देना चाहती हूँ. हैंडल कर पाओगे."
"बेशक मेडम आप हुकुम कीजिए, मेरा सस्पेंशन अच्छा काम करने के कारण ही हुआ था. पॉलिटीशियन के बेटे को रेप के केस में अंदर डाल दिया था मैने. सज़ा भी दिलवाता उसे. पर मुझे अवॉर्ड तो क्या मिलता उल्टा सस्पेंशन ऑर्डर मिल गया. पुणे चला गया था मैं तो अपने चाचा जी के पास.."
"बस बस ज़्यादा कहानियाँ मत सूनाओ. मैं जानती हूँ सब तभी तुम्हे वापिस लिया गया है महकमे में."
"बहुत कड़क है भाई ये तो." गौरव ने सोचा.
"साइको किलर का केस अब से तुम हैंडल करोगे. और मुझे रिज़ल्ट्स चाहिए. बहुत दबाव है उपर से."
"आइ विल डू मी बेस्ट मेडम. आपको निराश नही करूँगा." गौरव ने कहा.
"जाओ जाकर चौहान से सारा केस रेकॉर्ड ले लो. उस साइको ने ऍम.पि. की बेटी को अगवा कर रखा है और बदले में अपर्णा को माँग रहा है. हमें ऍम.पि. की बेटी को भी सुरक्षित छुड़ाना है और अपर्णा को भी उसे नही सोंपना. अब तुम देखो तुम क्या कर सकते हो. मुझे जल्द से जल्द वो साइको सलाखों के पीछे चाहिए."
"मुझे उम्मीद है की आपको निराश नही करूँगा."
"तुम्हारे पास ऑप्शन भी नही है. अगर कुछ नही कर पाए तो मैं तुम फिर से सस्पेंड हो जाओगे. इज़ देट क्लियर.
"सभी कुछ क्लियर हो गया अब तो."
"गुड, नाओ गो एन्ड डू योर ड्यूटी. और मुझे शक्ल तभी दिखाना जब कुछ कर लो. इज़ देट क्लियर."
"सभी कुछ क्लियर है मेडम." गौरव का गला सुख गया बोलते-बोलते.
"फाइन, यू कैन गो नाओ."