01-01-2020, 01:17 PM
"सादे 11 बज रहे हैं. बर्थ में हम अकेले हैं. परदा लगा लेते हैं. वही माहौल बन जाएगा."
"उफ्फ आप तो बहुत बड़े फ्लर्ट निकले."
"ईमानदारी रखता हूँ. जिंदगी में. लड़की की मर्ज़ी के बिना कुछ नही करता. इज़ात करता हूँ पूरी वीमेन की."
"कोई आ गया तो. यहाँ 2 सीट्स खाली हैं. कोई तो आएगा इस बर्थ में."
"जब आएगा तब धखेंगे अभी तो हम एक दूसरे में खो सकते हैं."
"क्या आप मॅरीड हैं."
"बस 26 का हूँ अभी. अभी मेरे हँसने खेलने के दिन है. शादी नही करना चाहता अभी. क्या आप मॅरीड हैं."
" मैं 20 की हूँ. क्या शादी शुदा लगती हूँ तुम्हे.?"
"नही नही वैसे ही पूछ रहा था. क्या आप कुँवारी हैं."
"उस से कुछ फर्क पड़ेगा क्या."
"कुछ फर्क नही पड़ेगा लेकिन किसी कुँवारी कन्या को मैं हवस के जंजाल में नही फँसा सकता. एक बार लंड ले लिया तो आदत पड़ जाती है. बिगड़ जाते हैं लोग."
"जैसे आप बिगड़े हुए हैं."
"हाँ बिल्कुल. हम तो बिगड़ ही चुके हैं. किसी और को क्यों बिगाड़े. वैसे आप कुँवारी भी होंगी तो भी चोदने वाला नही आपको. भड़का दिया है आपके हुसन ने मुझे."
"मेरा बॉय फ्रेंड है"
"ओके देट्स मीन आप पहले ले चुकी हैं...गुड. नाओ इट्स माय टर्न "
"पर यहाँ ख़तरा है."
"ख़तरे को मारिए गोली वो मैं संभाल लूँगा. आप ये लंड पकडीए बस." गौरव ने रीमा का हाथ अपने तंबू पर टिका दिया.
"उफ्फ ये तो भारी भरकम लग रहा है."
"ऐसा कुछ नही है डरिये मत ... निकाल देता हूँ आपके लिए. ये नॉवेल एक तरफ रख दीजिए अब. कुछ बहुत इम्पोर्टेन्ट करने जा रहे हैं हम."
रीमा ने नॉवेल एक तरफ रख दिया. गौरव ने अपनी पेण्ट की ज़िप खोली और लंड को बाहर निकाल लिया और उसे रीमा के हाथ में थमा दिया.
"ओ.ऍम.जी. ये तो सच में बहुत बड़ा है."
"मज़ाक मत कीजिए आप. ऐसा कुछ नही है. प्यार कीजिए इसे डरिये मत. मूह में लेती हैं तो थोड़ा चूस भी सकती हैं."
"आप ध्यान रखो चारो तरफ. आइ डोंट सक. बट दिस मॅग्निफिसेंट डिक डिज़र्व्स आ ब्लो जॉब."
"धन्य हो गया मैं तो ये सुन कर. प्लीज़ फील फ्री टू सक इट द वे यू लाइक."
"उफ्फ आप तो बहुत बड़े फ्लर्ट निकले."
"ईमानदारी रखता हूँ. जिंदगी में. लड़की की मर्ज़ी के बिना कुछ नही करता. इज़ात करता हूँ पूरी वीमेन की."
"कोई आ गया तो. यहाँ 2 सीट्स खाली हैं. कोई तो आएगा इस बर्थ में."
"जब आएगा तब धखेंगे अभी तो हम एक दूसरे में खो सकते हैं."
"क्या आप मॅरीड हैं."
"बस 26 का हूँ अभी. अभी मेरे हँसने खेलने के दिन है. शादी नही करना चाहता अभी. क्या आप मॅरीड हैं."
" मैं 20 की हूँ. क्या शादी शुदा लगती हूँ तुम्हे.?"
"नही नही वैसे ही पूछ रहा था. क्या आप कुँवारी हैं."
"उस से कुछ फर्क पड़ेगा क्या."
"कुछ फर्क नही पड़ेगा लेकिन किसी कुँवारी कन्या को मैं हवस के जंजाल में नही फँसा सकता. एक बार लंड ले लिया तो आदत पड़ जाती है. बिगड़ जाते हैं लोग."
"जैसे आप बिगड़े हुए हैं."
"हाँ बिल्कुल. हम तो बिगड़ ही चुके हैं. किसी और को क्यों बिगाड़े. वैसे आप कुँवारी भी होंगी तो भी चोदने वाला नही आपको. भड़का दिया है आपके हुसन ने मुझे."
"मेरा बॉय फ्रेंड है"
"ओके देट्स मीन आप पहले ले चुकी हैं...गुड. नाओ इट्स माय टर्न "
"पर यहाँ ख़तरा है."
"ख़तरे को मारिए गोली वो मैं संभाल लूँगा. आप ये लंड पकडीए बस." गौरव ने रीमा का हाथ अपने तंबू पर टिका दिया.
"उफ्फ ये तो भारी भरकम लग रहा है."
"ऐसा कुछ नही है डरिये मत ... निकाल देता हूँ आपके लिए. ये नॉवेल एक तरफ रख दीजिए अब. कुछ बहुत इम्पोर्टेन्ट करने जा रहे हैं हम."
रीमा ने नॉवेल एक तरफ रख दिया. गौरव ने अपनी पेण्ट की ज़िप खोली और लंड को बाहर निकाल लिया और उसे रीमा के हाथ में थमा दिया.
"ओ.ऍम.जी. ये तो सच में बहुत बड़ा है."
"मज़ाक मत कीजिए आप. ऐसा कुछ नही है. प्यार कीजिए इसे डरिये मत. मूह में लेती हैं तो थोड़ा चूस भी सकती हैं."
"आप ध्यान रखो चारो तरफ. आइ डोंट सक. बट दिस मॅग्निफिसेंट डिक डिज़र्व्स आ ब्लो जॉब."
"धन्य हो गया मैं तो ये सुन कर. प्लीज़ फील फ्री टू सक इट द वे यू लाइक."