01-01-2020, 01:16 PM
"फिर कुछ डिस्कस क्यों नही करती आप. क्या पता ऋतु और बिल्लू की तरह हम भी....."
"सोचिए भी मत ऐसा तो. मेरे भैया पोलीस में हैं. अंदर करवा दूँगी."
"सॉरी सॉरी मैं तो मज़ाक कर रहा था. पर आप मेरी हालत देख कर मुस्कुरा क्यों रही थी. अब ऐसी स्टोरी पढ़ुंगा तो लंड तो खड़ा होगा ही."
"व्हाट ऐसी बाते कैसे कर सकते हो तुम."
"छोड़िए भी ये तमासा आपने क्या इस स्टोरी में लंड शब्द को नही पढ़ा."
"पढ़ा है पर मैं आपसे क्यों सुनू ये सब."
"पढ़ लीजिए आप अपनी कहानी. मेरी हालत पर हँसना मत दुबारा. वरना आपके हाथ में पकड़ा दूँगा निकाल कर."
"अच्छा ऐसे मसलूंगी कि दुबारा नही पकड़ाओगे किसी को."
"ये चॅलेंज है क्या? मुझे चॅलेंज बहुत अच्छा लगता है."
"कुछ भी समझ लो." रीमा मुस्कुरा कर बोली.
"पता नही क्या मतलब है इसकी बात का. कही सच में ना कीमा निकाल दे मेरे बेचारे लंड का." गौरव सोच में पड़ गया.
रीमा अपने नॉवेल में खो गयी. गौरव भी वापिस अपनी कहानी पढ़ने में व्यस्त हो गया.
पर रीमा बार बार गौरव की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी.
"क्या करू यार ये तो हंस रही है देख कर. पकड़ा दू क्या इसके हाथ में. क्या करू." गौरव सोच रहा था.
"कौन सा सीन चल रहा है." रीमा ने पूछा.
"क्या करेंगी जान कर. कुछ डिस्कस करना है नही आपको. रहने दीजिए."
"वैसे ही पूछ रही थी. कीप रीडिंग."
"लगता है ये लड़की दिखावा कर रही है. मरी जा रही है डिस्कस करने के लिए पर करना नही चाहती. कुछ करना पड़ेगा इसका."
गौरव उठा और कम्पार्टमेंट से बाहर जाने लगा.
"क्या हुआ..." रीमा ने पूछा.
"कुछ नही...मुझे आपके सामने नही बैठा. कही और जा कर पढ़ता हूँ कहानी. आप तो हँसे जा रही हैं. क्या लंड खड़ा नही होगा ऐसी कहानी पढ़ कर. क्या आपकी गीली नही हुई थी पढ़ते वक्त."
"जैसी आपकी मर्ज़ी...सॉरी अगर मैने आपको डिस्टर्ब किया तो."
गौरव, रीमा के पास बैठ गया और बोला, "सॉरी की बात नही है. आप हमें यू देख कर तडपा रही हैं. हम बहक गये तो संभाल नही पाएँगे खुद को."
"अब नही देखूँगी. पढ़ लीजिए आप बैठ कर."
"क्या हम दोनो साथ में पढ़े"
रीमा मुस्कुराइ और बोली, "मुझे क्या पागल समझ रखा है. मैं छोटी सी भूल नही करूगी."
गौरव ने रीमा का हाथ पकड़ लिया और बोला, भूल तो हो चुकी है आपसे मेरी तरफ हंस कर. अब ऋतु की तरह आपको भी भुगतना पड़ेगा."
"यहाँ झाड़िया नही हैं."
"सोचिए भी मत ऐसा तो. मेरे भैया पोलीस में हैं. अंदर करवा दूँगी."
"सॉरी सॉरी मैं तो मज़ाक कर रहा था. पर आप मेरी हालत देख कर मुस्कुरा क्यों रही थी. अब ऐसी स्टोरी पढ़ुंगा तो लंड तो खड़ा होगा ही."
"व्हाट ऐसी बाते कैसे कर सकते हो तुम."
"छोड़िए भी ये तमासा आपने क्या इस स्टोरी में लंड शब्द को नही पढ़ा."
"पढ़ा है पर मैं आपसे क्यों सुनू ये सब."
"पढ़ लीजिए आप अपनी कहानी. मेरी हालत पर हँसना मत दुबारा. वरना आपके हाथ में पकड़ा दूँगा निकाल कर."
"अच्छा ऐसे मसलूंगी कि दुबारा नही पकड़ाओगे किसी को."
"ये चॅलेंज है क्या? मुझे चॅलेंज बहुत अच्छा लगता है."
"कुछ भी समझ लो." रीमा मुस्कुरा कर बोली.
"पता नही क्या मतलब है इसकी बात का. कही सच में ना कीमा निकाल दे मेरे बेचारे लंड का." गौरव सोच में पड़ गया.
रीमा अपने नॉवेल में खो गयी. गौरव भी वापिस अपनी कहानी पढ़ने में व्यस्त हो गया.
पर रीमा बार बार गौरव की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी.
"क्या करू यार ये तो हंस रही है देख कर. पकड़ा दू क्या इसके हाथ में. क्या करू." गौरव सोच रहा था.
"कौन सा सीन चल रहा है." रीमा ने पूछा.
"क्या करेंगी जान कर. कुछ डिस्कस करना है नही आपको. रहने दीजिए."
"वैसे ही पूछ रही थी. कीप रीडिंग."
"लगता है ये लड़की दिखावा कर रही है. मरी जा रही है डिस्कस करने के लिए पर करना नही चाहती. कुछ करना पड़ेगा इसका."
गौरव उठा और कम्पार्टमेंट से बाहर जाने लगा.
"क्या हुआ..." रीमा ने पूछा.
"कुछ नही...मुझे आपके सामने नही बैठा. कही और जा कर पढ़ता हूँ कहानी. आप तो हँसे जा रही हैं. क्या लंड खड़ा नही होगा ऐसी कहानी पढ़ कर. क्या आपकी गीली नही हुई थी पढ़ते वक्त."
"जैसी आपकी मर्ज़ी...सॉरी अगर मैने आपको डिस्टर्ब किया तो."
गौरव, रीमा के पास बैठ गया और बोला, "सॉरी की बात नही है. आप हमें यू देख कर तडपा रही हैं. हम बहक गये तो संभाल नही पाएँगे खुद को."
"अब नही देखूँगी. पढ़ लीजिए आप बैठ कर."
"क्या हम दोनो साथ में पढ़े"
रीमा मुस्कुराइ और बोली, "मुझे क्या पागल समझ रखा है. मैं छोटी सी भूल नही करूगी."
गौरव ने रीमा का हाथ पकड़ लिया और बोला, भूल तो हो चुकी है आपसे मेरी तरफ हंस कर. अब ऋतु की तरह आपको भी भुगतना पड़ेगा."
"यहाँ झाड़िया नही हैं."