01-01-2020, 01:08 PM
...................................
"निशा...मेरी प्यारी निशा...उठ जाओ कब से इंतजार कर रहा हूँ तुम्हारा. उठो ना." साइको निशा के पास बैठा बोल रहा था.
निशा को बहुत गहरा सदमा लगा था और वो अभी भी बेहोश ही थी. साइको बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था कि वो उठ जाए.
साइको ने निशा की नंगी टाँगो पर हाथ रखा और बोला, "उठो निशा और मुझे तुम्हारी आँखो में ख़ौफ़ दिखाओ. बहुत हसीन ख़ौफ़ है तुम्हारा. जब मैने लाइट जलाई थी तो बहुत सुंदर ख़ौफ़ था तुम्हारे चेहरे पे. ऐसा सुंदर ख़ौफ़ बहुत कम देखा है मैने. उठो और मुझे दीदार करने दो तुम्हारे ख़ौफ़ का."
जैसी कि ये खौफनाक बाते सुन ली निशा ने और उसकी आँख खुल गयी. लेकिन साइको को पास खड़े देख उसकी टांगे थर थर काँपने लगी. बहुत ज़्यादा डरी हुई थी वो.
"उठ गयी मेरी प्यारी निशा...गुड. अब मज़ा आएगा."
"मुझे छोड़ दो प्लीज़. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है." निशा रो पड़ी.
"मेरा कोई कुछ बिगाड़ भी नही सकता. अगर इस हिसाब से चलूँगा तो किस को कातूंगा मैं. बात को समझने की कोशिश करो."
निशा ने गौर किया कि वो उस जगह नही है जहाँ उसकी आँख खुली थी. वहाँ तो कमरे में कोई बेड नही था. लेकिन अब वो बेड पर पड़ी थी और साइको उसके पास खड़ा था. कमरा उस पहले वाले कमरे से कुछ मिलता जुलता ही था.
"क्या देख रही है चारो तरफ. चल एक गेम खेलते हैं. ये चाकू देख कितना तीखा है. अब मेरा लंड भी देख वो भी तीखा है." साइको अपनी ज़िप खोलने लगा.
साइको ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर खींच लिया. लिंग पूरी तरह तना हुआ था.
"देख इस लंड को. अब तुझे हाथ रख कर ये बताना है कि तू अपनी चूत में ये चाकू लेगी या फिर ये लंड लेगी. हाथ रख कर बोलना भी है. चाकू पर हाथ रखोगी तो चाकू बोलना, लंड पे हाथ रखोगी तो लंड बोलना"
"तुम ऐसा क्यों कर रहे हो मेरे साथ. प्लीज़ मुझे जाने दो." निशा फूट फूट कर रोने लगी."
"आर्टिस्ट हूँ मैं आर्टिस्ट. कत्ल करना भी एक आर्ट है. बहुत आर्टिस्टिक तरीके से मारता हूँ मैं लोगो को. मरने वालो को फख्र होना चाहिए की वो मेरी आर्ट का हिस्सा हैं. देखा ना तुमने कितने हसीन तरीके से मारा था मैने उस आदमी को. क्या पोज़ बना था कसम से. उसका लंड तेरी चूत में था. तू उसके नीचे थी. मैने पीछे से आकर उसकी गर्दन काट दी. लंड तो घुसा दिया था उसने तेरी चूत में पर एक भी धक्का नही लगा पाया बेचारा. रेप करना ग़लत बात है. यही सिखाया मैने उस आर्टिस्टिक कतल में. सबको सीख मिलेगी इस से. अब तुम बताओ कि क्या लेना चाहोगी तुम चूत में, लंड या चाकू. जल्दी बताओ वरना मैं खुद डिसाइड कर लूँगा. और मेरा डिसीज़न तुम्हे अच्छा नही लगेगा."
निशा करती भी तो क्या करती. उसने रोते हुए साइको के लिंग पर हाथ रख दिया.
"बोलेगा कौन, तेरा बाप बोलेगा क्या?"
"लंड" निशा रोते हुए बोली.
"तेरे जैसी बेशरम लड़की नही देखी मैने आज तक. पहले तो अपनी कुँवारी चूत में उस आदमी का ले लिया अब मेरा लेना चाहती है. तू तो एक ही दिन में रंडी बन गयी. तेरी चूत में चाकू ही जाएगा समझ ले. तेरे जैसी बेशरम लड़की की चूत में लंड नही डालूँगा मैं. तेरी चूत में जब चाकू जाएगा तो कुछ अलग ही आर्ट बनेगी हे...हे...हे. लेकिन अभी इंतजार करना होगा. तेरे बदले में अपर्णा को माँगा है मैने. इस साली अपर्णा ने देख लिया था मुझे. लेकिन तब से मैं होशियार हूँ. नकाब पहन के रखता हूँ मैं अब. मेरे जैसे आर्टिस्ट गुमनाम ही रहे तो ज़्यादा अच्छा है. क्यों सही कह रहा हूँ ना मैं."
"जब ये अपर्णा तुम्हे मिल जाएगी तो तुम मुझे छोड़ दोगे ना." निशा ने शूबक्ते हुए पूछा.
"मेरी ओरिजिनल गेम मैं किसी से डिस्कस नही करता. उस आदमी को ये पता था कि वो रेप करेगा तो बच जाएगा. लेकिन मेरी गेम ये थी के जैसे ही वो तेरी चूत में लंड डालेगा मैं उसकी गर्दन काट दूँगा. बहुत बारीकी का काम है ये आर्ट. हर किसी के बस्कि नही है. एक बार बस अपर्णा मिल जाए. तुम्हारे साथ क्या होगा सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ....हे...हे...हे." साइको बहुत ही भयानक तरीके से हँसने लगा.
"अगर तुम्हारा मन है तो कर लो प्लीज़ पर मुझे मत मारो. मैं मरना नही चाहती." निशा ने कहा. उसके चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था.
"यही तो वो ख़ौफ़ है जो कि खुब्शुरत है. मज़ा आ गया यार. अति सुंदर."
.....................................................................
"निशा...मेरी प्यारी निशा...उठ जाओ कब से इंतजार कर रहा हूँ तुम्हारा. उठो ना." साइको निशा के पास बैठा बोल रहा था.
निशा को बहुत गहरा सदमा लगा था और वो अभी भी बेहोश ही थी. साइको बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था कि वो उठ जाए.
साइको ने निशा की नंगी टाँगो पर हाथ रखा और बोला, "उठो निशा और मुझे तुम्हारी आँखो में ख़ौफ़ दिखाओ. बहुत हसीन ख़ौफ़ है तुम्हारा. जब मैने लाइट जलाई थी तो बहुत सुंदर ख़ौफ़ था तुम्हारे चेहरे पे. ऐसा सुंदर ख़ौफ़ बहुत कम देखा है मैने. उठो और मुझे दीदार करने दो तुम्हारे ख़ौफ़ का."
जैसी कि ये खौफनाक बाते सुन ली निशा ने और उसकी आँख खुल गयी. लेकिन साइको को पास खड़े देख उसकी टांगे थर थर काँपने लगी. बहुत ज़्यादा डरी हुई थी वो.
"उठ गयी मेरी प्यारी निशा...गुड. अब मज़ा आएगा."
"मुझे छोड़ दो प्लीज़. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है." निशा रो पड़ी.
"मेरा कोई कुछ बिगाड़ भी नही सकता. अगर इस हिसाब से चलूँगा तो किस को कातूंगा मैं. बात को समझने की कोशिश करो."
निशा ने गौर किया कि वो उस जगह नही है जहाँ उसकी आँख खुली थी. वहाँ तो कमरे में कोई बेड नही था. लेकिन अब वो बेड पर पड़ी थी और साइको उसके पास खड़ा था. कमरा उस पहले वाले कमरे से कुछ मिलता जुलता ही था.
"क्या देख रही है चारो तरफ. चल एक गेम खेलते हैं. ये चाकू देख कितना तीखा है. अब मेरा लंड भी देख वो भी तीखा है." साइको अपनी ज़िप खोलने लगा.
साइको ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर खींच लिया. लिंग पूरी तरह तना हुआ था.
"देख इस लंड को. अब तुझे हाथ रख कर ये बताना है कि तू अपनी चूत में ये चाकू लेगी या फिर ये लंड लेगी. हाथ रख कर बोलना भी है. चाकू पर हाथ रखोगी तो चाकू बोलना, लंड पे हाथ रखोगी तो लंड बोलना"
"तुम ऐसा क्यों कर रहे हो मेरे साथ. प्लीज़ मुझे जाने दो." निशा फूट फूट कर रोने लगी."
"आर्टिस्ट हूँ मैं आर्टिस्ट. कत्ल करना भी एक आर्ट है. बहुत आर्टिस्टिक तरीके से मारता हूँ मैं लोगो को. मरने वालो को फख्र होना चाहिए की वो मेरी आर्ट का हिस्सा हैं. देखा ना तुमने कितने हसीन तरीके से मारा था मैने उस आदमी को. क्या पोज़ बना था कसम से. उसका लंड तेरी चूत में था. तू उसके नीचे थी. मैने पीछे से आकर उसकी गर्दन काट दी. लंड तो घुसा दिया था उसने तेरी चूत में पर एक भी धक्का नही लगा पाया बेचारा. रेप करना ग़लत बात है. यही सिखाया मैने उस आर्टिस्टिक कतल में. सबको सीख मिलेगी इस से. अब तुम बताओ कि क्या लेना चाहोगी तुम चूत में, लंड या चाकू. जल्दी बताओ वरना मैं खुद डिसाइड कर लूँगा. और मेरा डिसीज़न तुम्हे अच्छा नही लगेगा."
निशा करती भी तो क्या करती. उसने रोते हुए साइको के लिंग पर हाथ रख दिया.
"बोलेगा कौन, तेरा बाप बोलेगा क्या?"
"लंड" निशा रोते हुए बोली.
"तेरे जैसी बेशरम लड़की नही देखी मैने आज तक. पहले तो अपनी कुँवारी चूत में उस आदमी का ले लिया अब मेरा लेना चाहती है. तू तो एक ही दिन में रंडी बन गयी. तेरी चूत में चाकू ही जाएगा समझ ले. तेरे जैसी बेशरम लड़की की चूत में लंड नही डालूँगा मैं. तेरी चूत में जब चाकू जाएगा तो कुछ अलग ही आर्ट बनेगी हे...हे...हे. लेकिन अभी इंतजार करना होगा. तेरे बदले में अपर्णा को माँगा है मैने. इस साली अपर्णा ने देख लिया था मुझे. लेकिन तब से मैं होशियार हूँ. नकाब पहन के रखता हूँ मैं अब. मेरे जैसे आर्टिस्ट गुमनाम ही रहे तो ज़्यादा अच्छा है. क्यों सही कह रहा हूँ ना मैं."
"जब ये अपर्णा तुम्हे मिल जाएगी तो तुम मुझे छोड़ दोगे ना." निशा ने शूबक्ते हुए पूछा.
"मेरी ओरिजिनल गेम मैं किसी से डिस्कस नही करता. उस आदमी को ये पता था कि वो रेप करेगा तो बच जाएगा. लेकिन मेरी गेम ये थी के जैसे ही वो तेरी चूत में लंड डालेगा मैं उसकी गर्दन काट दूँगा. बहुत बारीकी का काम है ये आर्ट. हर किसी के बस्कि नही है. एक बार बस अपर्णा मिल जाए. तुम्हारे साथ क्या होगा सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ....हे...हे...हे." साइको बहुत ही भयानक तरीके से हँसने लगा.
"अगर तुम्हारा मन है तो कर लो प्लीज़ पर मुझे मत मारो. मैं मरना नही चाहती." निशा ने कहा. उसके चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था.
"यही तो वो ख़ौफ़ है जो कि खुब्शुरत है. मज़ा आ गया यार. अति सुंदर."
.....................................................................