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Adultery बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed}
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आशुतोष ने थाने पहुँच कर चौहान से अपर्णा के लिए 2 और कॉन्स्टेबल की माँग की जो उसे ऑफीस से घर और घर से ऑफीस छोड़ेंगे.
 
"जिन्हे ऑफीस के बाहर लगाया है वो ही अपर्णा के साथ चले जाया करेंगे. इसमे दिक्कत क्या है."
 
"बिल्कुल ठीक है सर. मैं ज़रा एस पी साहिबा से मिल आउ." आशुतोष ने कहा.
 
"बिल्कुल मिल आओ. हम तो दूर ही रहते हैं ऐसी कयामत से."
 
आशुतोष अंकिता के कमरे में आता है.
 
"मिल गयी रेवोल्वेर तुम्हे?" अंकिता ने पूछा.
 
"मिल गयी मेडम, थॅंक यू वेरी मच. मेडम आपसे कुछ बात करनी थी."
 
"थोड़ा बिज़ी हो...बहुत ज़रूरी हो तो बोलो." अंकिता ने कहा.
 
"मेडम...साइको के बारे में है ये."
 
"क्या है...बैठो और बताओ क्या बात है."
 
"मेडम मैने नोट किया है कि साइको ने अधिकतर वारदात जंगल के आस-पास ही की है."
 
"आज की वारदात का पता चला तुम्हे."
 
"नही मेडम क्या हुआ."
 
"अपर्णा के ऑफीस के ठीक बाहर मर्डर हुआ है कल कहाँ रहते हो तुम. ऐसे ही करोगे क्या नौकरी."
 
"क्या! मुझे ये किसी ने नही बताया." आशुतोष ने कहा.
 
"आस पास क्या हो रहा है उसकी खबर रखना तुम्हारी ड्यूटी है. ऐसे बेख़बर रहोगे तो सस्पेंड कर दूँगी तुम्हे."
 
आशुतोष का तो चेहरा ही उतर गया.
 
"मुझे लगता है वो साइको अपर्णा के लिए ही आया था वहाँ. लेकिन किसी कारण वश वो अपर्णा को नुकसान नही पहुँचा सका."
 
"इसका मतलब अपर्णा जी को और ज़्यादा प्रोटेक्शन की ज़रूरत है."
 
"बिल्कुल. आज से तुम उसके साथ 24 घंटे रहोगे. अपर्णा की रक्षा करना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है अब. मैने अपर्णा को भी बता दी है ये बात. पता नही वो क्यों कह रही थी कि तुम्हारी जगह किसी और को रखा जाए उसके साथ. लेकिन कुछ कारनो से मुझे किसी और पर विश्वास नही है अभी."
 
"ऐसा क्यों मेडम?"
 
"जो गोली चलाई थी उस साइको ने मेरी तरफ सड़क पर वो पोलीस महकमे की है. वो गोली जीप में घुस गयी थी. जाँच कराई मैने उसकी."
 
"ये तो बहुत गंभीर बात है मेडम. आपने इतनी बड़ी बात मुझे बताई. क्या आपको विश्वास है मुझ पर."
 
"है लेकिन अगर तुम ऐसे बेख़बर रहोगे तो विश्वास खो दोगे मेरा. बहुत अलर्ट रहने की ज़रूरत है तुम्हे."
 
"समझ गया मेडम."
 
"जाओ अब से तुम्हारी ड्यूटी बस अपर्णा की प्रोटेक्शन की है. उसका जींदा रहना ज़रूरी है अगर साइको को पकड़ना है तो."
 
"वो जींदा रहेंगी तभी मैं भी जींदा रहूँगा." आशुतोष बहुत धीरे से बोला.
 
"कुछ कहा तुमने?"
 
"नही मेडम, आपकी इज़ाज़त हो तो मैं चलु."
 
"हां जाओ. और हन सारे कॉन्स्टेबल जो अपर्णा की सुरक्षा के लिए लगे हैं वो सब तुम्हारे अंडर हैं अब. डू योर जॉब प्रॉपर्ली वरना."
 
"सस्पेंड नही होना मुझे.... समझ गया मैं मेडम." आशुतोष ने कहा.
 
"ओके दॅन डू योर ड्यूटी." अंकिता ने कहा.
 
"थॅंक यू मेडम" आशुतोष बाहर जाता है.
 
"अपर्णा जी के साथ 24 घंटे. इस से अच्छा कुछ नही हो सकता मेरे लिए. पर अपर्णा जी पता नही कैसे लेंगी इस बात को." आशुतोष थाने से बाहर निकलते हुए सोच रहा है.
 
आशुतोष जीप में बैठा अपर्णा के ऑफीस की तरफ बढ़ रहा था. "इस वक्त तो ऑफीस में ही होंगी अपर्णा जी. पता नही कैसे रिक्ट करेंगी मुझे देख कर. पर ये गोली वाला मसला तो बहुत गंभीर है. मडड़म साहिबा का मतलब क्या था. क्या साइको पोलीस वाला? या फिर वो ब्लॅक मार्केट से पोलीस की गोलिया खरीद कर पोलीस पर ही बरसा रहा है. गोली पोलीस महकमे की होने से ये साबित नही होता की वो पोलीस वाला है. लेकिन जो भी हो ये मुद्दा है बहुत गंभीर. मुझे अलर्ट रहना होगा. मेरे होते हुए अपर्णा जी को कोई भी ज़रा सा भी नुकसान नही पहुँचा सकता."
 
अपर्णा के ऑफीस पहुँच कर आशुतोष एक कॉन्स्टेबल से पूछता है. "कहाँ हुआ खून कल रात."
 
"सर जहा आप खड़े हैं बिल्कुल यही मिली थी लाश."
 
"क्या! यहाँ." आशुतोष तुरंत वहाँ से हट जाता है.
 
"तुम लोगो ने देखा कुछ?" आशुतोष ने पूछा.
 
"सर उन मेडम के जाने के बाद हम भी चले गये थे. हमने कुछ नही देखा."
 
"ह्म्म...मेरी ड्यूटी भी अब मेडम को प्रोटेक्ट करने की है. मुझे बताए बिना इधर उधर मत जाना. मेरा मोबायल नंबर ले लो. कोई भी बात हो तो तुरंत मुझे कॉल करना."
 
"जी सर बिल्कुल" दोनो कॉन्स्टेबल्स ने जवाब दिया.
 
आशुतोष ने ऑफीस के बाहर अच्छी तरह मूवाईना किया. पहले तो अपर्णा के कारण ऑफीस के अंदर जाने की उसकी हिम्मत नही हुई. लेकिन फिर वो हिम्मत करके घुस ही गया. "कोई और रास्ता है ऑफीस में घुसने का." आशुतोष ने चौकीदार से पूछा.
 
"नही साहिब बस यही एक रास्ता है जहा से आप आए हैं."
 
"पिछली तरफ तो कोई गेट नही है ना." आशुतोष ने पूछा.
 
"नही साहिब पीछे कोई गेट नही है"
 
अपर्णा एक फाइल हाथ में लिए अपने बॉस के केबिन की तरफ बढ़ रही थी. सामने से आशुतोष चौकीदार से बाते करता हुआ रहा था. दोनो का ध्यान एक दूसरे पर नही गया. टक्कर हो ही जाती वो तो आखरी मोमेंट पर अपर्णा ने देख लिया आशुतोष को. "तुम ऑफीस में क्या कर रहे हो?"
 
"अपर्णा जी आपकी सुरक्षा के लिए मूवाईना कर रहा था ऑफीस का मैं. देख लिया मैने सब कुछ. यहाँ अंदर कोई ख़तरा नही है आपको. बाहर हम हैं ही."
 
"अच्छी बात है, इसका मतलब तुम बाहर ही रहोगे. शूकर है...." अपर्णा ने कहा.
 
"हां मैं बाहर ही रहूँगा, कोई भी बात हो तो आप तुरंत फोन करना मुझे."
 
"हां ये ठीक है. बाहर ही रहो तुम. अंदर मत आना बार-बार ऑफीस के काम में डिस्टर्बेन्स होती है."
 
"आप चिंता ना करो अपर्णा जी. मेरी वजह से कोई परेशानी नही होगी आपको."
 
आशुतोष बाहर गया ऑफीस से और ऑफीस के सामने खड़ी अपनी जीप में बैठ गया.
 
"बहुत सुंदर लग रही थी आज भी अपर्णा जी. चेहरे पर गुस्सा था मुझे देख कर. भगवान हसीन लोगों को इतना गुस्सैल क्यों बनाते हैं."
 
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RE: बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed} - by usaiha2 - 01-01-2020, 01:04 PM



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