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Adultery बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed}
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रात बीत गयी और सुबह ने दस्तक दी. आशुतोष तो एक पल भी नही शोया था. वो नहा धो कर वर्दी पहन कर सौरभ के घर की तरफ निकल पड़ा. दिल जब बहुत बेचैन हो किसी बात को लेकर तो अक्सर एक अच्छे दोस्त की याद आती है जिसके साथ अपना गम बाँटने की इच्छा रहती है.
 
"आशुतोष तू...सुबह सुबह आज कैसे याद गयी मेरी." सौरभ ने पूछा.
 
"पहले ये बता कल क्या तमासा लगा रखा था जंगल में. शूकर मनाओ की मैं साथ था एस पी साहिबा के वरना तुम जैल मे पड़े होते अभी. कौन थी वो लड़की और उसे जंगल में क्यों ले गये थे तुम."
 
"पूछ मत यार. बैठ. वर्दी बहुत जच रही है तुझ पे."
 
आशुतोष कुर्सी पर बैठ जाता है और सौरभ अपने बिस्तर पर.  
 
"हां बताओ अब गुरु क्या मामला था."
 
"कल पूजा के कॉलेज गया था. अब यार कुछ तो करना होगा ना पूजा को पटाने के लिए. पूजा के साथ दो लड़किया थी. उनमे से एक कविता थी. उसने सारा मामला बिगाड़ दिया मेरा." सौरभ पूरी बात डीटेल में बताता है.
 
"बस मैं उस कविता को मज़ा चखाने के लिए उसकी गान्ड में डाल रहा था. बस फिर तुम लोग गये. बहुत अच्छी फ़ज़ीहत हुई मेरी. कही मूह दिखाने लायक नही रहा."
 
"शूकर मना उस कविता ने बोल दिया कि तुम रेप नही कर रहे थे वरना एस पी साहिबा जैल में डाल देती तुम्हे."
 
"ये तो है...बाल-बाल बचा हूँ मैं. शुक्रिया तेरा दोस्त. अच्छा ये बता कैसा चल रहा है. कल से मैं भी जा रहा हूँ जॉब पर."
 
"कौन सी जॉब?" आशुतोष ने पूछा.
 
"एक प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी जॉइन कर ली है मैने. कल से मैं भी बिज़ी रहूँगा."
 
"बहुत अच्छी बात है ये तो गुरु. मैं पोलीस तुम डीटेक्टिव."
 
"और बताओ क्या चल रहा है." सौरभ ने कहा
 
"पूछ मत गुरु, एक अजीब मुसीबत में पड़ गया हूँ मैं. कल सारी रात सो भी नही पाया."
 
"ऐसा क्या हो गया आशुतोष." सौरभ ने पूछा
 
"लगता है फिर से प्यार हो गया है मुझे."
 
"क्या बात कर रहा है, कौन है वो बदनसीब?"
 
"मज़ाक मत करो गुरु. ये मज़ाक की बात नही है." आशुतोष के चेहरे पर गंभीर भाव थे.
 
"तूने भी तो मुझे यही कहा था जब मैं हॉस्पिटल में था. कुछ याद आया. अच्छा चल छोड़. बताओ कौन है वो हसीना जो तेरा दिल ले उड़ी."
 
"अपर्णा जी...पर किसी को बताना मत." आशुतोष ने कहा.
 
"क्या! तुझे अपर्णा से प्यार हो गया...... क्यों अपनी जान जोखिम में डाल रहा है."
 
"मैं पहले ही परेशान हू गुरु अब और परेशान मत करो."
 
"तूने कुछ कहा अभी तक उसे?"
 
"पागल हो क्या, ज़ुबान खींच लेंगी वो मेरी. कुछ कहूँगा नही कभी. बस अपने दिल तक ही शिमित रखूँगा इस प्यार को मैं."
 
"फिर तो परेशानी की कोई बात ही नही है, क्यों परेशान हो फिर."
 
"कल रात नींद नही आई भाई इस चक्कर में. बताओ मैं क्या करू."
 
"ऐसा है तो बोल दो जाके अपने दिल का हाल अपर्णा को. दिक्कत क्या है."
 
"नही गुरु उन्हे कुछ नही कह पाउन्गा. मैं तो बस तुम्हे बता रहा था. मेरा कोई इरादा नही है कि लव के पछदे में पडू फिर से."

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RE: बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed} - by usaiha2 - 01-01-2020, 12:58 PM



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