01-01-2020, 12:51 PM
"आप बुरा ना माने तो मैं आपके साथ चलता हूँ अपर्णा जी. आपका अकेले वहाँ से गुज़रना ठीक नही होगा."
"नही..नही मैं चली जाउंगी तुम रहने दो."
"वैसे अब तक आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया. आप मुझसे दूर क्यों भागती है. कोई डर है क्या आपको मुझसे."
"नही...नही ऐसा कुछ नही है"
अब अपर्णा कैसे बताए अपने सपने का आशु. वो तो हर हाल में आशुतोष से दूरी बनाए रखना चाहती है.
"अपर्णा जी रोज याद करता हूँ उस दिन को जब आप आग बाबूला हो कर मेरे सामने आई थी और मेरी हालत पतली हो गयी थी. पता नही कैसे पेण्ट गीली हो गयी."
अपर्णा के होंठो पे मुस्कान बिखर आई और वो बोली, "तुम याद करते हो उस वाकये को. तुम्हे तो भूल जाना चाहिए हे...हे..हे."
"बस ये प्यारी सी हँसी देखनी थी आपकी इसलिए ये सब बोल रहा था."
अपर्णा फ़ौरन चुप हो गयी. "अच्छा मैं चलती हूँ."
"अपर्णा जी बुरा मत मानीएगा आप बहुत सुंदर लग रही हैं इन कपड़ो में." आशुतोष ने कहा.
"मुझे फ्लर्ट पसंद नही है आशुतोष, दुबारा ऐसा मत बोलना."
"पर मैं फ्लर्ट नही कर रहा मैं तो...."
"मैं तो क्या आशुतोष...मैं खूब जानती हूँ कि तुम्हारा मकसद क्या है?"
"कैसी बाते कर रही हैं आप. मैं तो आपकी यू ही प्रशन्षा कर रहा था. आपको मेरी बात बुरी लगी है तो माफ़ कर दीजिए."
"आशुतोष मैं सब समझ रही हूँ. पागल नही हूँ मैं. मैं जा रही हूँ. शुक्रिया तुम्हारा कि तुमने मुझे अलर्ट किया." अपर्णा कार में बैठी और चली गयी.
"मेरी छवि कितनी कराब हो रखी है दुनिया में. पता नही श्रद्धा ने क्या क्या बताया होगा अपर्णा जी को. मेरी भी ग़लती है. उस दिन बहुत अश्लील बाते बोल दी थी अपर्णा जी के बारे में. शायद वो भूली नही वो बाते. कुछ करना होगा अपनी छवि सुधारने के लिए. फिलहाल जीप ले कर पीछे चलता हूँ इनके. ये समझ नही रहीं है कि उनकी जान को ख़तरा है."
आशुतोष अपनी जीप अपर्णा की कार के पीछे लगा देता है. ना अपर्णा ने ध्यान दिया ना ही आशुतोष ने पास ही एक ब्लॅक स्कॉर्पियो कार में एक शख्स बैठा उन्हे लगातार घूर रहा था. उसका हाथ बाजू की सीट पर पड़े चाकू पर था. वो चाकू पर हल्का हल्का हाथ घुमा रहा था. "कोई बात नही अपर्णा का पेट चीर्ने को भी मिलेगा तुझे. कुछ दिन और जी लेने दो बेचारी को हे..हे...हे. चल किसी और को काट-ते हैं."
अपर्णा ने देख लिया कि आशुतोष उसके पीछे जीप लेकर आ रहा है. "साइको से ज़्यादा तो मुझे इस से डर लगता है. वो गंदा सपना कभी सच नही हो सकता. ना मैं आशुतोष से प्यार करूगि और ना ही वो सब होने दूँगी."
अपर्णा शांति से घर पहुँच गयी. घर पहुँचते ही वो आशुतोष को इग्नोर करते हुए घर के दरवाजे की तरफ लपकी.
"अपर्णा जी रुकिये."
"क्या बात है क्यों आए तुम पीछे मेरे."
"आपको अकेले कैसे आने देता मैं. कल से 2 कॉन्स्टेबल लगवा दूँगा आपके साथ जो आपके साथ रहेंगे आते जाते वक्त. घर पर तो 4 पहले से हैं ही."
"बहुत बहुत शुक्रिया इस सब के लिए. अब मैं जाऊ."
"अपर्णा जी मैं इतना बुरा भी नही हूँ जैसा आपने शायद सोच लिया है. हां मैं मानता हूँ की मैं फ्लर्ट हूँ. लेकिन मेरी तारीफ़ में फ्लर्ट नही था. वो तो मुझे आप बहुत सुंदर लगी आज इसलिए बोल दिया. फिर भी अगर आपको दुख हुआ है तो मुझे माफ़ कर दीजिए. मैं सच कह रहा हूँ मेरा आपके प्रति कोई ग़लत इरादा नही है."
"इरादे रखना भी मत" अपर्णा ने कहा.
"आपके चेहरे पे गुस्सा और मुस्कान दोनो बहुत प्यारे लगते हैं. अब ये इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि आपको देख कर ये ख्याल आता है मुझे और मैं बोल देता हूँ. इसमें फ्लर्ट शामिल नही रहता. और मैं आपसे फ्लर्ट क्यों करूँगा. कहाँ आप कहाँ मैं. मुझे पता है की मेरा कोई चान्स ही नही है. बहुत किरकिरी हो चुकी है आपके सामने मेरी अब बस यही चाहता हूँ की आप मुझे ग़लत ना समझे. आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ मैं. आइ नेवेर एवर सीन वुमन लाइक यू. आप सुंदर भी हैं और आपका चरित्र भी उँचा है. दोनो एक कॉंबिनेशन में कम ही मिलते हैं."
"जनाब कुछ ज़्यादा नही हो रहा अब. तुम्हे चलना चाहिए अब."
"ओह हां बिल्कुल...गुड नाइट अपर्णा जी. स्वीट ड्रीम्स."
आशुतोष चला गया. अपर्णा सर हिलेट हुए घर में घुस गयी.
"नही..नही मैं चली जाउंगी तुम रहने दो."
"वैसे अब तक आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया. आप मुझसे दूर क्यों भागती है. कोई डर है क्या आपको मुझसे."
"नही...नही ऐसा कुछ नही है"
अब अपर्णा कैसे बताए अपने सपने का आशु. वो तो हर हाल में आशुतोष से दूरी बनाए रखना चाहती है.
"अपर्णा जी रोज याद करता हूँ उस दिन को जब आप आग बाबूला हो कर मेरे सामने आई थी और मेरी हालत पतली हो गयी थी. पता नही कैसे पेण्ट गीली हो गयी."
अपर्णा के होंठो पे मुस्कान बिखर आई और वो बोली, "तुम याद करते हो उस वाकये को. तुम्हे तो भूल जाना चाहिए हे...हे..हे."
"बस ये प्यारी सी हँसी देखनी थी आपकी इसलिए ये सब बोल रहा था."
अपर्णा फ़ौरन चुप हो गयी. "अच्छा मैं चलती हूँ."
"अपर्णा जी बुरा मत मानीएगा आप बहुत सुंदर लग रही हैं इन कपड़ो में." आशुतोष ने कहा.
"मुझे फ्लर्ट पसंद नही है आशुतोष, दुबारा ऐसा मत बोलना."
"पर मैं फ्लर्ट नही कर रहा मैं तो...."
"मैं तो क्या आशुतोष...मैं खूब जानती हूँ कि तुम्हारा मकसद क्या है?"
"कैसी बाते कर रही हैं आप. मैं तो आपकी यू ही प्रशन्षा कर रहा था. आपको मेरी बात बुरी लगी है तो माफ़ कर दीजिए."
"आशुतोष मैं सब समझ रही हूँ. पागल नही हूँ मैं. मैं जा रही हूँ. शुक्रिया तुम्हारा कि तुमने मुझे अलर्ट किया." अपर्णा कार में बैठी और चली गयी.
"मेरी छवि कितनी कराब हो रखी है दुनिया में. पता नही श्रद्धा ने क्या क्या बताया होगा अपर्णा जी को. मेरी भी ग़लती है. उस दिन बहुत अश्लील बाते बोल दी थी अपर्णा जी के बारे में. शायद वो भूली नही वो बाते. कुछ करना होगा अपनी छवि सुधारने के लिए. फिलहाल जीप ले कर पीछे चलता हूँ इनके. ये समझ नही रहीं है कि उनकी जान को ख़तरा है."
आशुतोष अपनी जीप अपर्णा की कार के पीछे लगा देता है. ना अपर्णा ने ध्यान दिया ना ही आशुतोष ने पास ही एक ब्लॅक स्कॉर्पियो कार में एक शख्स बैठा उन्हे लगातार घूर रहा था. उसका हाथ बाजू की सीट पर पड़े चाकू पर था. वो चाकू पर हल्का हल्का हाथ घुमा रहा था. "कोई बात नही अपर्णा का पेट चीर्ने को भी मिलेगा तुझे. कुछ दिन और जी लेने दो बेचारी को हे..हे...हे. चल किसी और को काट-ते हैं."
अपर्णा ने देख लिया कि आशुतोष उसके पीछे जीप लेकर आ रहा है. "साइको से ज़्यादा तो मुझे इस से डर लगता है. वो गंदा सपना कभी सच नही हो सकता. ना मैं आशुतोष से प्यार करूगि और ना ही वो सब होने दूँगी."
अपर्णा शांति से घर पहुँच गयी. घर पहुँचते ही वो आशुतोष को इग्नोर करते हुए घर के दरवाजे की तरफ लपकी.
"अपर्णा जी रुकिये."
"क्या बात है क्यों आए तुम पीछे मेरे."
"आपको अकेले कैसे आने देता मैं. कल से 2 कॉन्स्टेबल लगवा दूँगा आपके साथ जो आपके साथ रहेंगे आते जाते वक्त. घर पर तो 4 पहले से हैं ही."
"बहुत बहुत शुक्रिया इस सब के लिए. अब मैं जाऊ."
"अपर्णा जी मैं इतना बुरा भी नही हूँ जैसा आपने शायद सोच लिया है. हां मैं मानता हूँ की मैं फ्लर्ट हूँ. लेकिन मेरी तारीफ़ में फ्लर्ट नही था. वो तो मुझे आप बहुत सुंदर लगी आज इसलिए बोल दिया. फिर भी अगर आपको दुख हुआ है तो मुझे माफ़ कर दीजिए. मैं सच कह रहा हूँ मेरा आपके प्रति कोई ग़लत इरादा नही है."
"इरादे रखना भी मत" अपर्णा ने कहा.
"आपके चेहरे पे गुस्सा और मुस्कान दोनो बहुत प्यारे लगते हैं. अब ये इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि आपको देख कर ये ख्याल आता है मुझे और मैं बोल देता हूँ. इसमें फ्लर्ट शामिल नही रहता. और मैं आपसे फ्लर्ट क्यों करूँगा. कहाँ आप कहाँ मैं. मुझे पता है की मेरा कोई चान्स ही नही है. बहुत किरकिरी हो चुकी है आपके सामने मेरी अब बस यही चाहता हूँ की आप मुझे ग़लत ना समझे. आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ मैं. आइ नेवेर एवर सीन वुमन लाइक यू. आप सुंदर भी हैं और आपका चरित्र भी उँचा है. दोनो एक कॉंबिनेशन में कम ही मिलते हैं."
"जनाब कुछ ज़्यादा नही हो रहा अब. तुम्हे चलना चाहिए अब."
"ओह हां बिल्कुल...गुड नाइट अपर्णा जी. स्वीट ड्रीम्स."
आशुतोष चला गया. अपर्णा सर हिलेट हुए घर में घुस गयी.