01-01-2020, 12:50 PM
तब तक पोलीस पार्टीस भी वहाँ पहुँच गयी. पूरे जंगल को छान मारा गया. लेकिन वो नकाब पोश कही नही मिला.
सौरभ और कविता बायक पर जंगल से निकल गये. अंकिता आशुतोष के साथ ही पोलीस स्टेशन की तरफ चल दी.
"एक दम निक्कमि पोलीस फोर्स है हमारी. एक तो देर से पहुँचे उपर से कुछ नही ढूँढ पाए जंगल में." अंकिता ने कहा.
"पर एक बात है मेडम. वो नकाब पोश ज़रूर साइको ही है. वो वापिस आ गया है अब. जैसे बेखौफ़ हो कर वो गोली चला रहा था उस से तो यही लगता है कि ये साइको ही है."
"सही कह रहे हो आशुतोष तुम. पर एक अहसान कर दिया तुमने हम पर आज."
"वो क्या मेडम?"
"हमारी जान बचाई तुमने आज शुक्रिया तुम्हारा. उस वक्त मैं कुछ बोल नही पाई थी."
"मेरे होते हुए आपका कोई बॉल भी बांका नही कर सकता मेडम. इस साइको की तो वाट लगानी है मुझे."
आशुतोष की बाते सुन कर एक हल्की सी मुस्कान अंकिता के होंठो पे बिखर गयी. आशुतोष ने उसके होंठो पर मुस्कान देख ली और बोला, "पहली बार आपको हंसते हुए देख रहा हूँ मेडम."
"मैं भी इंसान ही हूँ कोई पत्थर नही हूँ."
"मेडम अगर ये साइको ही है तो हमें चोककन्ना रहना होगा अब. इस बार ये हाथ से निकलना नही चाहिए."
"तुम्ही लोगो को करना है ये काम."
"मेडम वो सर्विस रेवोल्वेर ज़रूर दिला दीजिए. आज मेरे हाथ में भी होती तो भेजा उड़ा देता मैं उसका."
"मिल जाएगी आज शाम तक तुम्हे" अंकिता ने कहा.
आशुतोष को रेवोल्वेर मिल गयी थी. अंकिता जो कहती है कर देती है. आशुतोष रेवोल्वेर ले कर थाने से निकल पड़ा. उसके दिमाग़ में कुछ उधेड़बून चल रही थी.
"अपर्णा जी से मिलना होगा तुरंत मुझे. अगर आज जंगल में साइको ही था तो वो ज़रूर कोशिश करेगा अपर्णा जी को रास्ते से हटाने की. वही तो जानती है कि वो कौन है. लेकिन एक बात है. इस जंगल में ज़रूर कुछ गड़बड़ है. मॅग्ज़िमम खून जंगल के आस पास ही हुए हैं एक आध को छोड़ कर. उस रात अपर्णा जी के साथ जो वाक़या हुआ था वो भी तो जंगल के बीच की सड़क पर ही हुआ था. आज वो दिन में ही जंगल में घूम रहा था बंदूक लेकर. कुछ गड़बड़ ज़रूर है जंगल में. ये बात ए एस पी साहिबा को बतानी होगी. पहले अपर्णा जी से मिल आता हूँ. वो निकल ना जाए कही ऑफीस से. रास्ता भी वो जंगल का ही लेंगी."
ये सब सोचता हुआ आशुतोष जीप में बैठ गया और अपर्णा के ऑफीस की तरफ चल पड़ा. जब वो ऑफीस पहुँचा तो अपर्णा अपने ऑफीस से बाहर आ रही थी. उसने ब्लू जीन्स और वाइट टॉप पहना हुआ था. आशुतोष तो अपर्णा को देखता ही रह गया. पहली बार आशुतोष ने अपर्णा को जीन्स में देखा था. वो तो दूर से अपर्णा को पहचान ही नही पाया.
"जो भी हो भगवान ने जो रूप और सुंदरता अपर्णा जी को बख्सि है वो अनमोल है. मेरी नज़र ना लग जाए इन्हे." आशुतोष सोचता हुआ अपर्णा की ओर बढ़ा.
अपर्णा तो अपनी ही धुन में थी. वो सीधा अपनी कार के पास पहुँची और दरवाजा खोला. उसने देखा ही नही कि आशुतोष पीछे है और उसकी तरफ बढ़ रहा है.
"अपर्णा जी रुकिये." आशुतोष ने कहा.
अपर्णा अचानक आवाज़ सुन कर चोंक गयी और तुरंत पीछे मूडी. उसने अपने सीने पे हाथ रखा और बोली, "आशुतोष तुम! तुमने तो मुझे डरा दिया."
"मैं तो आपको पहचान ही नही पाया." आशुतोष ने कहा.
"क्या बात है आशुतोष तुम यहाँ कैसे?" अपर्णा ने पूछा.
"आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी थी."
"किस बारे में."
"शायद साइको किलर लौट आया है." आशुतोष जंगल की बात बताता है. सौरभ वाली बात छोड़ कर सब बता देता है क्योंकि वो जानता है कि अपर्णा वो सब नही सुनेगी.
"ये सब कब ख़तम होगा. मुझे लगा सब ठीक है अब. लेकिन अब फिर वही."
"जब तक ये साइको पकड़ा नही जाएगा या फिर उसका एनकाउंटर नही होगा तब तक वो यू ही वारदात करता रहेगा...मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि आप ध्यान रखना अपना. हर वक्त पोलीस साथ नही रहेगी आपके. कोई भी बात हो तो मुझे तुरंत फोन करना."
"थॅंक यू फॉर योर क्न्सर्न मैं ध्यान रखूँगी."
"एक बात और है."
"क्या?"
"उस जंगल से आपका निकलना ठीक नही है. पता नही क्यों मुझे लग रहा कि वहाँ कुछ गड़बड़ है."
"मुझे भी वो रास्ता पसंद नही पर कोई और रास्ता भी तो नही है. घर जाने के लिए मुझे वही से गुज़रना होगा."
सौरभ और कविता बायक पर जंगल से निकल गये. अंकिता आशुतोष के साथ ही पोलीस स्टेशन की तरफ चल दी.
"एक दम निक्कमि पोलीस फोर्स है हमारी. एक तो देर से पहुँचे उपर से कुछ नही ढूँढ पाए जंगल में." अंकिता ने कहा.
"पर एक बात है मेडम. वो नकाब पोश ज़रूर साइको ही है. वो वापिस आ गया है अब. जैसे बेखौफ़ हो कर वो गोली चला रहा था उस से तो यही लगता है कि ये साइको ही है."
"सही कह रहे हो आशुतोष तुम. पर एक अहसान कर दिया तुमने हम पर आज."
"वो क्या मेडम?"
"हमारी जान बचाई तुमने आज शुक्रिया तुम्हारा. उस वक्त मैं कुछ बोल नही पाई थी."
"मेरे होते हुए आपका कोई बॉल भी बांका नही कर सकता मेडम. इस साइको की तो वाट लगानी है मुझे."
आशुतोष की बाते सुन कर एक हल्की सी मुस्कान अंकिता के होंठो पे बिखर गयी. आशुतोष ने उसके होंठो पर मुस्कान देख ली और बोला, "पहली बार आपको हंसते हुए देख रहा हूँ मेडम."
"मैं भी इंसान ही हूँ कोई पत्थर नही हूँ."
"मेडम अगर ये साइको ही है तो हमें चोककन्ना रहना होगा अब. इस बार ये हाथ से निकलना नही चाहिए."
"तुम्ही लोगो को करना है ये काम."
"मेडम वो सर्विस रेवोल्वेर ज़रूर दिला दीजिए. आज मेरे हाथ में भी होती तो भेजा उड़ा देता मैं उसका."
"मिल जाएगी आज शाम तक तुम्हे" अंकिता ने कहा.
आशुतोष को रेवोल्वेर मिल गयी थी. अंकिता जो कहती है कर देती है. आशुतोष रेवोल्वेर ले कर थाने से निकल पड़ा. उसके दिमाग़ में कुछ उधेड़बून चल रही थी.
"अपर्णा जी से मिलना होगा तुरंत मुझे. अगर आज जंगल में साइको ही था तो वो ज़रूर कोशिश करेगा अपर्णा जी को रास्ते से हटाने की. वही तो जानती है कि वो कौन है. लेकिन एक बात है. इस जंगल में ज़रूर कुछ गड़बड़ है. मॅग्ज़िमम खून जंगल के आस पास ही हुए हैं एक आध को छोड़ कर. उस रात अपर्णा जी के साथ जो वाक़या हुआ था वो भी तो जंगल के बीच की सड़क पर ही हुआ था. आज वो दिन में ही जंगल में घूम रहा था बंदूक लेकर. कुछ गड़बड़ ज़रूर है जंगल में. ये बात ए एस पी साहिबा को बतानी होगी. पहले अपर्णा जी से मिल आता हूँ. वो निकल ना जाए कही ऑफीस से. रास्ता भी वो जंगल का ही लेंगी."
ये सब सोचता हुआ आशुतोष जीप में बैठ गया और अपर्णा के ऑफीस की तरफ चल पड़ा. जब वो ऑफीस पहुँचा तो अपर्णा अपने ऑफीस से बाहर आ रही थी. उसने ब्लू जीन्स और वाइट टॉप पहना हुआ था. आशुतोष तो अपर्णा को देखता ही रह गया. पहली बार आशुतोष ने अपर्णा को जीन्स में देखा था. वो तो दूर से अपर्णा को पहचान ही नही पाया.
"जो भी हो भगवान ने जो रूप और सुंदरता अपर्णा जी को बख्सि है वो अनमोल है. मेरी नज़र ना लग जाए इन्हे." आशुतोष सोचता हुआ अपर्णा की ओर बढ़ा.
अपर्णा तो अपनी ही धुन में थी. वो सीधा अपनी कार के पास पहुँची और दरवाजा खोला. उसने देखा ही नही कि आशुतोष पीछे है और उसकी तरफ बढ़ रहा है.
"अपर्णा जी रुकिये." आशुतोष ने कहा.
अपर्णा अचानक आवाज़ सुन कर चोंक गयी और तुरंत पीछे मूडी. उसने अपने सीने पे हाथ रखा और बोली, "आशुतोष तुम! तुमने तो मुझे डरा दिया."
"मैं तो आपको पहचान ही नही पाया." आशुतोष ने कहा.
"क्या बात है आशुतोष तुम यहाँ कैसे?" अपर्णा ने पूछा.
"आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी थी."
"किस बारे में."
"शायद साइको किलर लौट आया है." आशुतोष जंगल की बात बताता है. सौरभ वाली बात छोड़ कर सब बता देता है क्योंकि वो जानता है कि अपर्णा वो सब नही सुनेगी.
"ये सब कब ख़तम होगा. मुझे लगा सब ठीक है अब. लेकिन अब फिर वही."
"जब तक ये साइको पकड़ा नही जाएगा या फिर उसका एनकाउंटर नही होगा तब तक वो यू ही वारदात करता रहेगा...मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि आप ध्यान रखना अपना. हर वक्त पोलीस साथ नही रहेगी आपके. कोई भी बात हो तो मुझे तुरंत फोन करना."
"थॅंक यू फॉर योर क्न्सर्न मैं ध्यान रखूँगी."
"एक बात और है."
"क्या?"
"उस जंगल से आपका निकलना ठीक नही है. पता नही क्यों मुझे लग रहा कि वहाँ कुछ गड़बड़ है."
"मुझे भी वो रास्ता पसंद नही पर कोई और रास्ता भी तो नही है. घर जाने के लिए मुझे वही से गुज़रना होगा."