01-01-2020, 12:48 PM
Update 53
"गुरु तुम! रेप कब्से करने लगे तुम?"
"जानते हो तुम इसे?" अंकिता ने पूछा.
"हाँ मेडम ये मेरा दोस्त है. लेकिन अब बहुत शर्मिंदगी हो रही है इसे दोस्त कहते हुए."
"ऐसा कुछ नही है जो तुम समझ रहे हो ये यू ही चिल्ला रही थी."
"अच्छा यू ही क्यों चिल्लाउन्गि मैं. ज़बरदस्ती डाल रहे थे गान्ड में तुम."
"आप हट तो जाओ पहले यहाँ से." आशुतोष ने कहा.
"ये बाहर निकॅलेगा तभी ना."
"गुरु तमासा बंद करो हमारी ए एस पी साहिबा हैं साथ में. जल्दी से अपनी हालत ठीक करो." आशुतोष ने कहा.
"मेरे सर से बंदूक तो हटा ओ." सौरभ ने कहा.
आशुतोष अंकिता की तरफ देखता है. अंकिता बंदूक हटा कर घूम जाती है ताकि उसे कुछ अश्लील दृश्य ना दीखे.
सौरभ कविता की गान्ड से लंड बाहर निकालता है.
"उफ्फ बहुत टाइट है भाई ग़लती करली फँसा कर इसमे." सौरभ ने कहा.
"कुछ बोलो मत मेडम गोली मार देंगी तुम्हे गुस्सा आ गया तो." आशुतोष ने कहा.
"मज़ाक कर रहे हो."
"नही सच बोल रहा हूँ. बहुत कड़क ऑफीसर हैं."
"ओके"
सौरभ और कविता दोनो अपने कपड़े ठीक करते हैं. अंकिता घूमती है और कहती है, "हे लड़की सच सच बताओ क्या ये रेप कर रहा था तुम्हारा. इसे अभी जैल में डाल दूँगी."
"नही मेडम रेप तो नही कर रहा था. मैं खुद इसके साथ आई थी."
"फिर इतना चिल्ला क्यों रही थी."
"मैने कभी अनल नही किया इसलिए दर्द हो रहा था."
"ठीक है...ठीक है...आशुतोष इन दोनो से कहो दफ़ा हो जायें यहाँ से बेकार में हमारा वक्त बर्बाद किया"
"नहियीईईईईईईईईई कोई है वहाँ बंदूक तान रखी है इस तरफ उसने." कविता चिल्लाई.
आशुतोष ने तुरंत देखा उस तरफ. एक नकाब पोश ने अंकिता को निशाना बना रखा था. गोली उसकी बंदूक से निकल चुकी थी. आशुतोष फ़ौरन अंकिता की तरफ कुदा और उसे ले कर ज़मीन पर गिर गया. एक बार फिर आशुतोष अंकिता के उपर था. अंकिता ने तुरंत उसी दिशा में फाइयर किया. लेकिन नकाब पोश भाग चुका था.
"हटो भी अब. मेरे उपर ही पड़े रहोगे क्या तुम." अंकिता ने आशुतोष को धक्का दिया.
"सॉरी मेडम अगर मैं वक्त पर आपको ना गिराता तो गोली लग जाती आपको." आशुतोष ने कहा.
अंकिता ने आशुतोष की तरफ देखा लेकिन कुछ कहा नही.
"एक बार फिर बच गया कमीना." अंकिता ने इरिटेटेड टोन में कहा.
"गुरु तुम! रेप कब्से करने लगे तुम?"
"जानते हो तुम इसे?" अंकिता ने पूछा.
"हाँ मेडम ये मेरा दोस्त है. लेकिन अब बहुत शर्मिंदगी हो रही है इसे दोस्त कहते हुए."
"ऐसा कुछ नही है जो तुम समझ रहे हो ये यू ही चिल्ला रही थी."
"अच्छा यू ही क्यों चिल्लाउन्गि मैं. ज़बरदस्ती डाल रहे थे गान्ड में तुम."
"आप हट तो जाओ पहले यहाँ से." आशुतोष ने कहा.
"ये बाहर निकॅलेगा तभी ना."
"गुरु तमासा बंद करो हमारी ए एस पी साहिबा हैं साथ में. जल्दी से अपनी हालत ठीक करो." आशुतोष ने कहा.
"मेरे सर से बंदूक तो हटा ओ." सौरभ ने कहा.
आशुतोष अंकिता की तरफ देखता है. अंकिता बंदूक हटा कर घूम जाती है ताकि उसे कुछ अश्लील दृश्य ना दीखे.
सौरभ कविता की गान्ड से लंड बाहर निकालता है.
"उफ्फ बहुत टाइट है भाई ग़लती करली फँसा कर इसमे." सौरभ ने कहा.
"कुछ बोलो मत मेडम गोली मार देंगी तुम्हे गुस्सा आ गया तो." आशुतोष ने कहा.
"मज़ाक कर रहे हो."
"नही सच बोल रहा हूँ. बहुत कड़क ऑफीसर हैं."
"ओके"
सौरभ और कविता दोनो अपने कपड़े ठीक करते हैं. अंकिता घूमती है और कहती है, "हे लड़की सच सच बताओ क्या ये रेप कर रहा था तुम्हारा. इसे अभी जैल में डाल दूँगी."
"नही मेडम रेप तो नही कर रहा था. मैं खुद इसके साथ आई थी."
"फिर इतना चिल्ला क्यों रही थी."
"मैने कभी अनल नही किया इसलिए दर्द हो रहा था."
"ठीक है...ठीक है...आशुतोष इन दोनो से कहो दफ़ा हो जायें यहाँ से बेकार में हमारा वक्त बर्बाद किया"
"नहियीईईईईईईईईई कोई है वहाँ बंदूक तान रखी है इस तरफ उसने." कविता चिल्लाई.
आशुतोष ने तुरंत देखा उस तरफ. एक नकाब पोश ने अंकिता को निशाना बना रखा था. गोली उसकी बंदूक से निकल चुकी थी. आशुतोष फ़ौरन अंकिता की तरफ कुदा और उसे ले कर ज़मीन पर गिर गया. एक बार फिर आशुतोष अंकिता के उपर था. अंकिता ने तुरंत उसी दिशा में फाइयर किया. लेकिन नकाब पोश भाग चुका था.
"हटो भी अब. मेरे उपर ही पड़े रहोगे क्या तुम." अंकिता ने आशुतोष को धक्का दिया.
"सॉरी मेडम अगर मैं वक्त पर आपको ना गिराता तो गोली लग जाती आपको." आशुतोष ने कहा.
अंकिता ने आशुतोष की तरफ देखा लेकिन कुछ कहा नही.
"एक बार फिर बच गया कमीना." अंकिता ने इरिटेटेड टोन में कहा.