01-01-2020, 12:45 PM
इधर सौरभ जन्नत के नज़ारे ले रहा था. कविता के गरम गरम होंठो के बीच उसे अपना लंड बहुत खुशकिस्मत लग रहा था.
"बस कविता बस बहुत हो गया. अब जल्दी से ये जीन्स उतारो तुम्हारी चूत की गर्मी उतारनी है मुझे."
"वो गर्मी कोई नही उतार पाया आज तक." कविता ने हंसते हुए कहा.
"मैं उतारूँगा अब चलो उतारो ये जीन्स."
"यहाँ जंगल में जीन्स नही उतारुँगी मैं. थोड़ा सरका लेती हूँ."
"जो भी करो जल्दी करो. मैं भड़क रहा हूँ."
कविता जीन्स नीचे सरका कर सौरभ के आगे घूम जाती है.
"लेट जाओ ना नीचे कमर के बल." सौरभ ने कहा.
"नही नही कपड़े गंदे हो जाएँगे...ऐसे आराम से हो जाएगा तुम करो तो."
"वो तो हो जाएगा लेकिन लेटा कर लेने का मन था मेरा. चलो कोई बात नही डॉगी स्टाइल ईज़ ऑल्वेज़ गुड."
कविता झुकी हुई थी सौरभ के आगे. बाकी का काम मिहित को करना था. सौरभ ने लंड चूत पे रखा और ज़ोर से पुश किया. एक झटके में लंड चूत में सरक गया.
"रास्ता कुछ ज़्यादा ही स्मूद हैं तुम्हारी चूत का. लगता है बहुत लोग घूम चुके हैं यहाँ हे..हे..हे."
"सिर्फ़ तीन घूमे हैं. हां वैसे वो तीनो बहुत बार घूमे हैं आअहह फक." सौरभ ने काम शुरू कर दिया था.
"एनीवे इट्स ए नाइस जुवैसी पुश्सी फॉर आ गुड फक." सौरभ ने लंड धकेलते हुए कहा.
"एन्ड यू गॉट सुपर्ब डिक फॉर आ ड्रीम फक."
"ऐसा है क्या तो ये ले आअहह." और सौरभ ने अपने आगे झुकी कविता के अंदर लंड के धक्को की बोछार शुरू कर दी.
"आअहह यू आर आ डॅम गुड फख्र."
"एन्ड यू आर डॅम हॉट स्लट."
"ऑफ कोर्स...आआहह फक मी हार्डर."
सौरभ कुछ देर तक कविता की चूत ठोकता रहा. अचानक उसने सोचा, "इसे कोई मज़ा तो चखाया ही नही. ऐसा करता हूँ इसकी गान्ड में डालता हूँ. फिर पता चलेगा कि मुझसे पंगा लेने का क्या मतलब है. सारा मामला बिगाड़ दिया आज इसने."
सौरभ ने लंड चूत से निकाला और तुरंत गान्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से पुश किया. इस से पहले कविता कुछ समझ पाती सौरभ के लंड का मूह गान्ड में घुस चुका था.
"नहियीईईईईईईईईई मैं अनल नही करती ओफ आअहह निकालो."
"अब नही निकलेगा फँस गया है." सौरभ ने थोड़ा और पुश किया और आधा इंच और गान्ड में घुस गया.
"नो...ओह....नो प्लीज़ निकाल लो. बहुत पेन हो रहा है नहियीईईईई आआआययययीीई." सौरभ ने थोड़ा और पुश कर दिया.
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"बस कविता बस बहुत हो गया. अब जल्दी से ये जीन्स उतारो तुम्हारी चूत की गर्मी उतारनी है मुझे."
"वो गर्मी कोई नही उतार पाया आज तक." कविता ने हंसते हुए कहा.
"मैं उतारूँगा अब चलो उतारो ये जीन्स."
"यहाँ जंगल में जीन्स नही उतारुँगी मैं. थोड़ा सरका लेती हूँ."
"जो भी करो जल्दी करो. मैं भड़क रहा हूँ."
कविता जीन्स नीचे सरका कर सौरभ के आगे घूम जाती है.
"लेट जाओ ना नीचे कमर के बल." सौरभ ने कहा.
"नही नही कपड़े गंदे हो जाएँगे...ऐसे आराम से हो जाएगा तुम करो तो."
"वो तो हो जाएगा लेकिन लेटा कर लेने का मन था मेरा. चलो कोई बात नही डॉगी स्टाइल ईज़ ऑल्वेज़ गुड."
कविता झुकी हुई थी सौरभ के आगे. बाकी का काम मिहित को करना था. सौरभ ने लंड चूत पे रखा और ज़ोर से पुश किया. एक झटके में लंड चूत में सरक गया.
"रास्ता कुछ ज़्यादा ही स्मूद हैं तुम्हारी चूत का. लगता है बहुत लोग घूम चुके हैं यहाँ हे..हे..हे."
"सिर्फ़ तीन घूमे हैं. हां वैसे वो तीनो बहुत बार घूमे हैं आअहह फक." सौरभ ने काम शुरू कर दिया था.
"एनीवे इट्स ए नाइस जुवैसी पुश्सी फॉर आ गुड फक." सौरभ ने लंड धकेलते हुए कहा.
"एन्ड यू गॉट सुपर्ब डिक फॉर आ ड्रीम फक."
"ऐसा है क्या तो ये ले आअहह." और सौरभ ने अपने आगे झुकी कविता के अंदर लंड के धक्को की बोछार शुरू कर दी.
"आअहह यू आर आ डॅम गुड फख्र."
"एन्ड यू आर डॅम हॉट स्लट."
"ऑफ कोर्स...आआहह फक मी हार्डर."
सौरभ कुछ देर तक कविता की चूत ठोकता रहा. अचानक उसने सोचा, "इसे कोई मज़ा तो चखाया ही नही. ऐसा करता हूँ इसकी गान्ड में डालता हूँ. फिर पता चलेगा कि मुझसे पंगा लेने का क्या मतलब है. सारा मामला बिगाड़ दिया आज इसने."
सौरभ ने लंड चूत से निकाला और तुरंत गान्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से पुश किया. इस से पहले कविता कुछ समझ पाती सौरभ के लंड का मूह गान्ड में घुस चुका था.
"नहियीईईईईईईईईई मैं अनल नही करती ओफ आअहह निकालो."
"अब नही निकलेगा फँस गया है." सौरभ ने थोड़ा और पुश किया और आधा इंच और गान्ड में घुस गया.
"नो...ओह....नो प्लीज़ निकाल लो. बहुत पेन हो रहा है नहियीईईईई आआआययययीीई." सौरभ ने थोड़ा और पुश कर दिया.
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