01-01-2020, 12:36 PM
Update 51
"मैने जो तुम्हे पारोशा है उसे देख कर मूह में पानी तो आ गया है तुम्हारे लेकिन पूजा के कारण खाने से डर रहे हो. खाना ठंडा हो जाए इस से पहले खा लो. किस्मत वाले हो तुम जो तुम्हे पारोष रही हूँ. हर किसी को नही परोसती मैं."
"यहाँ कैसे खाउ मेरी मा. पूजा ने देख लिया तो रहा सहा चान्स भी ख़तम हो जाएगा. मुझे बहकाओ मत, अगर मैं बहक गया तो बुरा हाल कर दूँगा मैं तुम्हारा."
"थियेटर खाली ही है. पीछे की तरफ चलते हैं...वहाँ तक पूजा की नज़र नही जाएगी." कविता ने कहा.
सौरभ फ़ौरन सीट से उठ जाता है. उसे ऐसा लगता है कि अगर कविता के साथ वो बहक गया तो पूजा को पटाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा. वो पूजा के सर के पास झुका और बोला, "कैसी-कैसी थर्कि सहेलिया बना रखी है तुमने. परेशान कर दिया मुझे. जा रहा हूँ मैं ये अच्छी ख़ासी पिक्चर छोड़ के."
"तो जाओ ना हू केर्स." पूजा ने कहा.
"अपने आशिक़ की कभी तो चिंता किया करो." सौरभ ने कहा.
"गो टू हेल"
"ओके गोयिंग, मैं हाथ में फूल ले कर इंतज़ार करूँगा वहाँ तुम्हारा. तुम कब आओगी."
"हेल ईज़ फॉर यू, नोट फॉर मी...गेट लॉस्ट."
"बहुत गरम हो भाई, कसम से बदन जल जाएगा मेरा जब मैं तुमसे लिपटुँगा."
"जाते हो कि नही तुम. मुझे पिक्चर देखने दो."
"जा रहा हूँ जी. बहुत बहुत धन्यवाद आपका."
कविता लगातार सौरभ को ही देख रही थी. लेकिन वो उसे इग्नोर करके सीधा बाहर आ गया. उसने अपनी बायक पर बैठ कर बायक स्टार्ट की ही थी के उसे कविता आती दिखाई थी.
"आ गयी चूत परोसने वाली क्या करू इसका. जल्दी निकलता हूँ यहाँ से"
लेकिन कविता तो तेज़ी से आकर उसके पीछे बैठ गयी.
"अच्छा किया तुमने जो बाहर आ गये. चलो कही और चलते हैं जहा सिर्फ़ हम तुम हो"
"तुम ऐसे नही मानोगी. चल तेरी चूत की आग बुझाता हूँ आज." सौरभ बायक स्टार्ट करते हुए बोला.
"मैं तो कब से तड़प रही हूँ...बुझाओ ना."
"आज तुझे पता चलेगा कि तूने ग़लत बंदे को पारोष दी चूत अपनी. बहुत बुरी तरह खाता हूँ मैं."
"हाई राम मैं तो मर ही जाउंगी. जैसे भी खाना खाना ज़रूर."
"थर्कि हो तुम...थर्कि"
"ये थर्कि क्या होता है?" कविता ने पूछा.
"खुद को समझ लॉगी तो थर्कि का मतलब जान जाओगी"
"बहुत अकेली थी मैं कुछ दिनो से. तुम मिले तो बहार आ गयी."
"क्या हुआ तुम्हारे बॉय फ्रेंड का?"
"ब्रेक अप हो गया बताया ना."
"ओह हां तो कोई और बॉय फ्रेंड ढूँढ लो."
"ढूँढ तो लिया... तुम हो ना"
"मैं बिल्कुल नही हूँ समझ लो अच्छे से"
"कोई बात नही आज के लिए तो हो ही."
"बिल्कुल बिल्कुल ये ठीक है"
"मैने जो तुम्हे पारोशा है उसे देख कर मूह में पानी तो आ गया है तुम्हारे लेकिन पूजा के कारण खाने से डर रहे हो. खाना ठंडा हो जाए इस से पहले खा लो. किस्मत वाले हो तुम जो तुम्हे पारोष रही हूँ. हर किसी को नही परोसती मैं."
"यहाँ कैसे खाउ मेरी मा. पूजा ने देख लिया तो रहा सहा चान्स भी ख़तम हो जाएगा. मुझे बहकाओ मत, अगर मैं बहक गया तो बुरा हाल कर दूँगा मैं तुम्हारा."
"थियेटर खाली ही है. पीछे की तरफ चलते हैं...वहाँ तक पूजा की नज़र नही जाएगी." कविता ने कहा.
सौरभ फ़ौरन सीट से उठ जाता है. उसे ऐसा लगता है कि अगर कविता के साथ वो बहक गया तो पूजा को पटाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा. वो पूजा के सर के पास झुका और बोला, "कैसी-कैसी थर्कि सहेलिया बना रखी है तुमने. परेशान कर दिया मुझे. जा रहा हूँ मैं ये अच्छी ख़ासी पिक्चर छोड़ के."
"तो जाओ ना हू केर्स." पूजा ने कहा.
"अपने आशिक़ की कभी तो चिंता किया करो." सौरभ ने कहा.
"गो टू हेल"
"ओके गोयिंग, मैं हाथ में फूल ले कर इंतज़ार करूँगा वहाँ तुम्हारा. तुम कब आओगी."
"हेल ईज़ फॉर यू, नोट फॉर मी...गेट लॉस्ट."
"बहुत गरम हो भाई, कसम से बदन जल जाएगा मेरा जब मैं तुमसे लिपटुँगा."
"जाते हो कि नही तुम. मुझे पिक्चर देखने दो."
"जा रहा हूँ जी. बहुत बहुत धन्यवाद आपका."
कविता लगातार सौरभ को ही देख रही थी. लेकिन वो उसे इग्नोर करके सीधा बाहर आ गया. उसने अपनी बायक पर बैठ कर बायक स्टार्ट की ही थी के उसे कविता आती दिखाई थी.
"आ गयी चूत परोसने वाली क्या करू इसका. जल्दी निकलता हूँ यहाँ से"
लेकिन कविता तो तेज़ी से आकर उसके पीछे बैठ गयी.
"अच्छा किया तुमने जो बाहर आ गये. चलो कही और चलते हैं जहा सिर्फ़ हम तुम हो"
"तुम ऐसे नही मानोगी. चल तेरी चूत की आग बुझाता हूँ आज." सौरभ बायक स्टार्ट करते हुए बोला.
"मैं तो कब से तड़प रही हूँ...बुझाओ ना."
"आज तुझे पता चलेगा कि तूने ग़लत बंदे को पारोष दी चूत अपनी. बहुत बुरी तरह खाता हूँ मैं."
"हाई राम मैं तो मर ही जाउंगी. जैसे भी खाना खाना ज़रूर."
"थर्कि हो तुम...थर्कि"
"ये थर्कि क्या होता है?" कविता ने पूछा.
"खुद को समझ लॉगी तो थर्कि का मतलब जान जाओगी"
"बहुत अकेली थी मैं कुछ दिनो से. तुम मिले तो बहार आ गयी."
"क्या हुआ तुम्हारे बॉय फ्रेंड का?"
"ब्रेक अप हो गया बताया ना."
"ओह हां तो कोई और बॉय फ्रेंड ढूँढ लो."
"ढूँढ तो लिया... तुम हो ना"
"मैं बिल्कुल नही हूँ समझ लो अच्छे से"
"कोई बात नही आज के लिए तो हो ही."
"बिल्कुल बिल्कुल ये ठीक है"