01-01-2020, 12:33 PM
"क्या करू ये तो आग उगल रही है?" सौरभ बड़बड़ाया.
कुछ देर बाद कविता को पता नही क्या सूझी, वो अपनी सीट से उठ कर सौरभ के पास आ कर बैठ गयी. पूजा भी ये देख कर हैरान रह गयी. लेकिन वो कुछ नही बोली. सौरभ तो हैरान था ही.
"तुम्हारा शायराना अंदाज मुझे बहुत अच्छा लगा. मेरा नाम कविता है. क्या मुझपे कविता लिखोगे." कविता सौरभ के घुटने पर हाथ रख कर बोली.
"मैं कोई शायर नही हूँ देवी जी. वो तो मैं यू ही कुछ जोड़-तोड़ कर बोल रहा था आपकी सहेली के लिए. पूजा से मेरा टांका भिड़वा दो ना." सौरभ ने कहा.
"मुझे लगता है उसका तुम्हारे में कोई इंटेरेस्ट नही है. तुम किसी और पर ट्राइ क्यों नही करते."
"किस पर ट्राइ करू आप ही बता दो."
"मैं हूँ ना. तुम शायर हो. मैं तुम्हारी कविता बन जाउंगी." कविता का हाथ धीरे धीरे सौरभ की जाँघ की तरफ बढ़ रहा था.
"ये आप क्या कह रही है." सौरभ तो भोंचक्का रह गया. लेकिन उसने कविता का हाथ नही हटाया. हटाता भी क्यों. ऐसा रोज रोज थोडा होता है किसी के साथ.
"आपका हाथ ग़लत जगह पर पहुँच रहा है. आपकी सहेली ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी."
"छोड़िए ना उसे अपनी बात कीजिए." कविता का हाथ सौरभ के लंड पर पहुँच गया. लंड पर कविता का हाथ पड़ते ही वो तुरंत हार्ड हो गया.
"आअहह आप तो शीतम ढा रही हैं मुझ पर." सौरभ ने कहा.
कविता ने सौरभ की पेण्ट की ज़िप खोल दी और उसके तने हुए मोटे लंड को बाहर खींच लिया.
"ओह माय गॉड इट्स आ वंडरफुल कॉक. इट्स ह्यूज. मैने इतना बड़ा नही देखा आज तक."
"देवी जी कितने देखे हैं आप ने ये भी बता दीजिए."
"मेरे अब तक तीन बाय्फ्रेंड रहे हैं और मैने तीनो के देखे हैं."
"बहुत खूब. देखे ही हैं या लिए भी हैं आपने." सौरभ ने चुस्की ली.
"तुम्हे क्या लगता है?"
"नही लिए होंगे. आप सिर्फ़ देखती होंगी उन्हे हैं ना." सौरभ ने मज़ाक में कहा.
"नही जनाब तीनो पूरे के पूरे लिए हैं. तुम्हारा क्या विचार है. मुझसे दोस्ती करोगे?"
"मैं पूजा को चाहता हूँ." सौरभ ने कहा.
कविता ने सौरभ के लंड को ज़ोर से दबाया और बोली, "पूजा को मारिए गोली. वहाँ तुम्हे कुछ नही मिलेगा. देखा नही वो तुमसे बात भी नही कर रही. वो तुम्हे पागल कह रही थी. खुद पागल है वो."
पूजा और दूसरी लड़की रीमा पिक्चर देखने में मगन थे. उन्हे इस बात का अंदाज़ा भी नही था की उनके पीछे कविता सौरभ का लंड हाथ में लिए बैठी है.
"मैं तुम्हे वो ख़ुशी दूँगी कि भूल जाओगे सब कुछ." कविता ने कहा और आगे झुक कर सौरभ के लंड को अपने होंठो में दबा लिया.
"आअहह पहली बार ये किसी के मूह में गया है."
कविता ने सौरभ के लंड से मूह हटाया और बोली, "क्या? इतने सेक्सी डिक को अभी तक ब्लो जॉब नही मिली. आइ कॅंट बिलीव इट."
"नही मिली तो नही मिली अब क्या कर सकते हैं. हर लड़की मूह में नही लेती है."
"मुझसे दोस्ती करोगे तो मज़े में रहोगे. आइ लव टू सक. कोई शायरी कहो ना."
"मेरे लंड को लिया आपने मूह में तो मच्छल उठा हूँ मैं
मगर अगर पूजा ने देख लिया तो बर्बाद हो जाउन्गा."
"ये कैसी शायरी है. पूजा को बीच में क्यों लेट हो." कविता ने कहा और फिर से सौरभ के लोंड को मूह में घुसा लिया.
वो दोनो धीरे धीरे बोल रहे थे लेकिन फिर भी डिस्टर्बेन्स हो रही थी पूजा को. उसे समझ तो कुछ नही आ रहा था लेकिन ख़ुसर फुसर से परेशान हो रही थी.
"क्यों बाते कर......" पूजा पीछे मूड कर बोली लेकिन बोलते बोलते रुक गयी क्योंकि वो भोंचक्की रह गयी थी.
सौरभ का लंड तो पूजा को नही दिखा. वो तो कविता के मूह में छिपा था. वैसे भी अंधेरा था. पूजा को समझने में देर नही लगी कि उसके बिल्कुल पीछे ब्लो जॉब दी जा रही है. सौरभ की आँखे बंद थी. वो तो पहली ब्लो जॉब के सरूर में खोया था. लेकिन कोयिन्सिडेन्स था कि जब पूजा पीछे मूडी उसकी आँखे खुल गयी.
"अरे हटो क्या कर रही हो. मेरी तो आँख ही लग गयी थी. ये सब क्या हो रहा है यहाँ." सौरभ ने कविता के सर को धक्का दिया.
कविता ने लंड को मूह से निकाल दिया और बोली, "ये क्या बोल रहे हो?"
तभी उसकी नज़र पूजा पर गयी, "अच्छा पूजा ने देख लिया ह्म्म. हे..हे...हे...पूजा तुम्हे तो कोई दिक्कत नही है ना."
"तुम दोनो भाड़ में जाओ मुझे कुछ नही लेना देना." पूजा वापिस मूड गयी.
"करवा दिया मेरा काम खराब तुमने. अब दुबारा ऐसा मत करना लीव मी अलोन."
कुछ देर बाद कविता को पता नही क्या सूझी, वो अपनी सीट से उठ कर सौरभ के पास आ कर बैठ गयी. पूजा भी ये देख कर हैरान रह गयी. लेकिन वो कुछ नही बोली. सौरभ तो हैरान था ही.
"तुम्हारा शायराना अंदाज मुझे बहुत अच्छा लगा. मेरा नाम कविता है. क्या मुझपे कविता लिखोगे." कविता सौरभ के घुटने पर हाथ रख कर बोली.
"मैं कोई शायर नही हूँ देवी जी. वो तो मैं यू ही कुछ जोड़-तोड़ कर बोल रहा था आपकी सहेली के लिए. पूजा से मेरा टांका भिड़वा दो ना." सौरभ ने कहा.
"मुझे लगता है उसका तुम्हारे में कोई इंटेरेस्ट नही है. तुम किसी और पर ट्राइ क्यों नही करते."
"किस पर ट्राइ करू आप ही बता दो."
"मैं हूँ ना. तुम शायर हो. मैं तुम्हारी कविता बन जाउंगी." कविता का हाथ धीरे धीरे सौरभ की जाँघ की तरफ बढ़ रहा था.
"ये आप क्या कह रही है." सौरभ तो भोंचक्का रह गया. लेकिन उसने कविता का हाथ नही हटाया. हटाता भी क्यों. ऐसा रोज रोज थोडा होता है किसी के साथ.
"आपका हाथ ग़लत जगह पर पहुँच रहा है. आपकी सहेली ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी."
"छोड़िए ना उसे अपनी बात कीजिए." कविता का हाथ सौरभ के लंड पर पहुँच गया. लंड पर कविता का हाथ पड़ते ही वो तुरंत हार्ड हो गया.
"आअहह आप तो शीतम ढा रही हैं मुझ पर." सौरभ ने कहा.
कविता ने सौरभ की पेण्ट की ज़िप खोल दी और उसके तने हुए मोटे लंड को बाहर खींच लिया.
"ओह माय गॉड इट्स आ वंडरफुल कॉक. इट्स ह्यूज. मैने इतना बड़ा नही देखा आज तक."
"देवी जी कितने देखे हैं आप ने ये भी बता दीजिए."
"मेरे अब तक तीन बाय्फ्रेंड रहे हैं और मैने तीनो के देखे हैं."
"बहुत खूब. देखे ही हैं या लिए भी हैं आपने." सौरभ ने चुस्की ली.
"तुम्हे क्या लगता है?"
"नही लिए होंगे. आप सिर्फ़ देखती होंगी उन्हे हैं ना." सौरभ ने मज़ाक में कहा.
"नही जनाब तीनो पूरे के पूरे लिए हैं. तुम्हारा क्या विचार है. मुझसे दोस्ती करोगे?"
"मैं पूजा को चाहता हूँ." सौरभ ने कहा.
कविता ने सौरभ के लंड को ज़ोर से दबाया और बोली, "पूजा को मारिए गोली. वहाँ तुम्हे कुछ नही मिलेगा. देखा नही वो तुमसे बात भी नही कर रही. वो तुम्हे पागल कह रही थी. खुद पागल है वो."
पूजा और दूसरी लड़की रीमा पिक्चर देखने में मगन थे. उन्हे इस बात का अंदाज़ा भी नही था की उनके पीछे कविता सौरभ का लंड हाथ में लिए बैठी है.
"मैं तुम्हे वो ख़ुशी दूँगी कि भूल जाओगे सब कुछ." कविता ने कहा और आगे झुक कर सौरभ के लंड को अपने होंठो में दबा लिया.
"आअहह पहली बार ये किसी के मूह में गया है."
कविता ने सौरभ के लंड से मूह हटाया और बोली, "क्या? इतने सेक्सी डिक को अभी तक ब्लो जॉब नही मिली. आइ कॅंट बिलीव इट."
"नही मिली तो नही मिली अब क्या कर सकते हैं. हर लड़की मूह में नही लेती है."
"मुझसे दोस्ती करोगे तो मज़े में रहोगे. आइ लव टू सक. कोई शायरी कहो ना."
"मेरे लंड को लिया आपने मूह में तो मच्छल उठा हूँ मैं
मगर अगर पूजा ने देख लिया तो बर्बाद हो जाउन्गा."
"ये कैसी शायरी है. पूजा को बीच में क्यों लेट हो." कविता ने कहा और फिर से सौरभ के लोंड को मूह में घुसा लिया.
वो दोनो धीरे धीरे बोल रहे थे लेकिन फिर भी डिस्टर्बेन्स हो रही थी पूजा को. उसे समझ तो कुछ नही आ रहा था लेकिन ख़ुसर फुसर से परेशान हो रही थी.
"क्यों बाते कर......" पूजा पीछे मूड कर बोली लेकिन बोलते बोलते रुक गयी क्योंकि वो भोंचक्की रह गयी थी.
सौरभ का लंड तो पूजा को नही दिखा. वो तो कविता के मूह में छिपा था. वैसे भी अंधेरा था. पूजा को समझने में देर नही लगी कि उसके बिल्कुल पीछे ब्लो जॉब दी जा रही है. सौरभ की आँखे बंद थी. वो तो पहली ब्लो जॉब के सरूर में खोया था. लेकिन कोयिन्सिडेन्स था कि जब पूजा पीछे मूडी उसकी आँखे खुल गयी.
"अरे हटो क्या कर रही हो. मेरी तो आँख ही लग गयी थी. ये सब क्या हो रहा है यहाँ." सौरभ ने कविता के सर को धक्का दिया.
कविता ने लंड को मूह से निकाल दिया और बोली, "ये क्या बोल रहे हो?"
तभी उसकी नज़र पूजा पर गयी, "अच्छा पूजा ने देख लिया ह्म्म. हे..हे...हे...पूजा तुम्हे तो कोई दिक्कत नही है ना."
"तुम दोनो भाड़ में जाओ मुझे कुछ नही लेना देना." पूजा वापिस मूड गयी.
"करवा दिया मेरा काम खराब तुमने. अब दुबारा ऐसा मत करना लीव मी अलोन."