01-01-2020, 12:31 PM
Update 50
सौरभ अब बिल्कुल ठीक था. लेकिन उसका दिल बीमार हो गया था शायद. बायक लेकर वो पूजा के कॉलेज के सामने खड़ा था. कॉलेज की लड़किया अंदर बाहर जा रही थी लेकिन पूजा उसे कही नज़र नही आ रही थी. उसके चेहरे पर निराशा उभरने लगी थी.
"कहाँ हो पूजा तुम. हर वक्त क्लास में बैठी रहती हो क्या." सौरभ ने सोचा.
तभी उसे दो लड़कियों के साथ कॉलेज के गेट से पूजा निकलती हुई दिखाई दी. सौरभ का चेहरा खिल उठा. उसने तुरंत बायक स्टार्ट की और पूजा के आगे रोक दी. अचानक अपने सामने बायक देख कर लड़किया थीतक गयी. पूजा की आँखो में खून उतर आया.
"तुम! तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" पूजा ने पूछा.
"तुम जानती हो इसे." एक लड़की ने पुछस.
"हां हमारे पड़ोस में रहता है."
"दिल में भी तो नही रहता कहीं...हे...हे...हे." दूसरी लड़की ने चुस्की ली.
"ऐसा कुछ नही है. आइ हटे हिं."
सौरभ सब सुन रहा था. "नफ़रत में भी उनकी प्यार नज़र आता है, मैं लाख संभोलू दिल को ये उनकी ओर खींचा जाता है."
"ये तो कोई शायर लगता है हे..हे..हे." दोनो लड़किया हँसने लगी.
"चलो यहाँ से ये पागल है." पूजा दोनो को लेकर आगे बढ़ गयी. लेकिन दोनो लड़किया पीछे मूड के सौरभ को देखती रही.
"हमें छोड़ के जा रही हो, हम तड़प कर रह जाएँगे
तुम्हारे साथ तो दो कलियाँ हैं हम अकेले रह जाएँगे."
"वाओ सो रोमॅंटिक. देखा वो हमें कलियाँ कह रहा है. रूको ना यार अच्छा बंदा लगता है." एक लड़की ने कहा.
"बहुत बड़ा फ्लर्ट है वो. चलो हमें मूवी के लिए देर हो जाएगी." पूजा ने कहा.
ये बात सौरभ ने भी सुन ली. उन तीनो ने एक ऑटो पकड़ा और थियेटर के लिए निकल पड़ी. पीछे पीछे सौरभ ने भी अपनी बायक लगा दी.
"अगर तुम्हे पटा नही पाया तो जिंदगी बेकार है मेरी." सौरभ ने सोचा.
थियेटर पहुँच कर तीनो लड़किया अंदर घुस गयी. उन्होने सौरभ को नही देखा. सौरभ भी टिकेट ले करूके पीछे पीछे आ गया.
"हाई...ये तो दीवाना लगता है. तुम्हारे पीछे यहाँ तक आ गया."
"मज़ाक कर रही हो ना कविता?" पूजा ने पूछा.
"मूड के तो देख वो बिल्कुल तेरे पीछे बैठा है." कविता ने कहा.
अभी पिक्चर शुरू नही हुई थी. इसलिए लाइट जली हुई थी.
पूजा ने तुरंत पीछे मूड कर देखा, "तुम यहाँ भी आ गये. क्या चाहते हो तुम."
सौरभ पूजा की ओर झुका और बोला, "मुझे जो चाहिए वो तुम्हे पता है. इनके सामने कैसे कहु समझा करो."
"शट उप." पूजा ने डाँट दिया.
"क्या कह रहा था वो चुपके से तुझे?" कविता ने पूछा.
"कुछ नही...तू उस पर ज़्यादा ध्यान मत दे...पागल है वो." पूजा ने कहा.
लाइट बंद हो गयी और पिक्चर शुरू हो गयी. सौरभ पूजा की तरफ झुका और बोला, "हम दोनो साथ में देखे ये रोमॅंटिक पिक्चर तो ज़्यादा अच्छा लगेगा. पीछे आ जाओ ना मेरे साथ. मेरे साथ की सीट खाली पड़ी है."
"क्या समझते हो खुद को तुम. तुम बुलाओगे और मैं आ जाउंगी हा. तुम्हारे पास आएगी मेरी जुत्ति. चुपचाप बैठे रहो वरना चप्पल मारूँगी निकाल के."
"नही नही ऐसा काम मत करना. आज तक मैने चप्पल नही खाई." सौरभ ने कहा.
"नही खाई तो अब खाओगे. मुझे गुस्सा मत दिलाओ चुपचाप बैठे रहो"
सौरभ वापिस चुपचाप सीट पर बैठ गया.
सौरभ अब बिल्कुल ठीक था. लेकिन उसका दिल बीमार हो गया था शायद. बायक लेकर वो पूजा के कॉलेज के सामने खड़ा था. कॉलेज की लड़किया अंदर बाहर जा रही थी लेकिन पूजा उसे कही नज़र नही आ रही थी. उसके चेहरे पर निराशा उभरने लगी थी.
"कहाँ हो पूजा तुम. हर वक्त क्लास में बैठी रहती हो क्या." सौरभ ने सोचा.
तभी उसे दो लड़कियों के साथ कॉलेज के गेट से पूजा निकलती हुई दिखाई दी. सौरभ का चेहरा खिल उठा. उसने तुरंत बायक स्टार्ट की और पूजा के आगे रोक दी. अचानक अपने सामने बायक देख कर लड़किया थीतक गयी. पूजा की आँखो में खून उतर आया.
"तुम! तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" पूजा ने पूछा.
"तुम जानती हो इसे." एक लड़की ने पुछस.
"हां हमारे पड़ोस में रहता है."
"दिल में भी तो नही रहता कहीं...हे...हे...हे." दूसरी लड़की ने चुस्की ली.
"ऐसा कुछ नही है. आइ हटे हिं."
सौरभ सब सुन रहा था. "नफ़रत में भी उनकी प्यार नज़र आता है, मैं लाख संभोलू दिल को ये उनकी ओर खींचा जाता है."
"ये तो कोई शायर लगता है हे..हे..हे." दोनो लड़किया हँसने लगी.
"चलो यहाँ से ये पागल है." पूजा दोनो को लेकर आगे बढ़ गयी. लेकिन दोनो लड़किया पीछे मूड के सौरभ को देखती रही.
"हमें छोड़ के जा रही हो, हम तड़प कर रह जाएँगे
तुम्हारे साथ तो दो कलियाँ हैं हम अकेले रह जाएँगे."
"वाओ सो रोमॅंटिक. देखा वो हमें कलियाँ कह रहा है. रूको ना यार अच्छा बंदा लगता है." एक लड़की ने कहा.
"बहुत बड़ा फ्लर्ट है वो. चलो हमें मूवी के लिए देर हो जाएगी." पूजा ने कहा.
ये बात सौरभ ने भी सुन ली. उन तीनो ने एक ऑटो पकड़ा और थियेटर के लिए निकल पड़ी. पीछे पीछे सौरभ ने भी अपनी बायक लगा दी.
"अगर तुम्हे पटा नही पाया तो जिंदगी बेकार है मेरी." सौरभ ने सोचा.
थियेटर पहुँच कर तीनो लड़किया अंदर घुस गयी. उन्होने सौरभ को नही देखा. सौरभ भी टिकेट ले करूके पीछे पीछे आ गया.
"हाई...ये तो दीवाना लगता है. तुम्हारे पीछे यहाँ तक आ गया."
"मज़ाक कर रही हो ना कविता?" पूजा ने पूछा.
"मूड के तो देख वो बिल्कुल तेरे पीछे बैठा है." कविता ने कहा.
अभी पिक्चर शुरू नही हुई थी. इसलिए लाइट जली हुई थी.
पूजा ने तुरंत पीछे मूड कर देखा, "तुम यहाँ भी आ गये. क्या चाहते हो तुम."
सौरभ पूजा की ओर झुका और बोला, "मुझे जो चाहिए वो तुम्हे पता है. इनके सामने कैसे कहु समझा करो."
"शट उप." पूजा ने डाँट दिया.
"क्या कह रहा था वो चुपके से तुझे?" कविता ने पूछा.
"कुछ नही...तू उस पर ज़्यादा ध्यान मत दे...पागल है वो." पूजा ने कहा.
लाइट बंद हो गयी और पिक्चर शुरू हो गयी. सौरभ पूजा की तरफ झुका और बोला, "हम दोनो साथ में देखे ये रोमॅंटिक पिक्चर तो ज़्यादा अच्छा लगेगा. पीछे आ जाओ ना मेरे साथ. मेरे साथ की सीट खाली पड़ी है."
"क्या समझते हो खुद को तुम. तुम बुलाओगे और मैं आ जाउंगी हा. तुम्हारे पास आएगी मेरी जुत्ति. चुपचाप बैठे रहो वरना चप्पल मारूँगी निकाल के."
"नही नही ऐसा काम मत करना. आज तक मैने चप्पल नही खाई." सौरभ ने कहा.
"नही खाई तो अब खाओगे. मुझे गुस्सा मत दिलाओ चुपचाप बैठे रहो"
सौरभ वापिस चुपचाप सीट पर बैठ गया.