01-01-2020, 12:30 PM
सौरभ की हालत सुधर रही थी. सौरभ आँखे बिछाए पूजा का इंतजार करता रहा लेकिन वो नही आई. आशुतोष ने पूजा को रिक्वेस्ट भी की लेकिन वो नही मानी. उसने कहा मुझे सौरभ से कुछ लेना देना नही है. बात काफ़ी हद तक सही भी थी.
आशुतोष और चौहान के के को ढूँढने में लग गये. लेकिन उन्हे केके का कोई भी सुराग नही मिला. एक हफ़्ता बीत गया यू ही भागते दौड़ते. एक शुकून की बात ये थी की पूरा हफ़्ता कोई वारदात नही हुई. ये सब शायद सौरभ का कमाल था. उसी ने तो साइको के पेट में चाकू मारा था. कारण कुछ भी हो एक हफ्ते से बाहर में शांति थी. लेकिन एक हफ़्ता बहुत कम वक्त होता है डर को दूर भगाने में. बाहर के लोगो में साइको का ख़ौफ़ बरकरार था.
सौरभ घर वापिस आ गया. उसके घाव अभी पूरी तरह भर रहे थे .
धीरे धीरे एक महीना बीत गया. साइको का कुछ सुराग नही मिला. लेकिन इस एक महीने के दौरान बाहर में कोई वारदात नही हुई. मगर पोलीस फिर भी दबाव में थी, क्योंकि साइको अभी पकड़ा नही गया था.
सुबह के 10 बज रहे थे और चौहान चेहरे पर तनाव लिए इधर उधर घूम रहा था. आशुतोष थाने में घुसा तो उसने चौहान को देख लिया.
"क्या बात है सर, आप कुछ परेशान लग रहे हैं." आशुतोष ने पूछा.
"पूछो मत शामत आने वाली है शामत. मेडम साहिबा ने अर्जेंट मीटिंग बुलाई है. खूब डाँट पड़ने वाली है आज."
"हम जो कर सकते थे कर रहे है और क्या करें."
"उसके सामने मत बोल देना ये बात. ज़ुबान खींच लेगी तुम्हारी."
"नही सर उनके सामने भला मैं क्यों बोलूँगा...मेरा क्या दिमाग़ खराब है. पर सर मुझे लगता है कि शायद वो साइको अब अंडर ग्राउंड हो गया है. मैने हॉलीवुड की फ़िल्मो में देखा है की ऐसे साइको अचानक गायब हो जाते हैं और अचानक ही वापिस भी आ जाते हैं."
"ये फिल्म नही चल रही, ये हक़ीकत है बर्खुरदार. क्या पता क्या हो रहा है...साला ये के के का भी कुछ पता नही चला.."
"सर एक बात और हो सकती है?"
"क्या?" चौहान उत्शुक हो गया.
"मेरे दोस्त ने चाकू मारा था उस साइको के पेट में. हमनें सभी हॉस्पिटल और क्लिनिक छान मारे लेकिन वो कही अड्मिट नही हुआ था. शायद उसने अपना पेट अपने घर पर ही शीलवाया हो. अगर उसे कोई ठीक ठाक डॉक्टर नही मिला होगा तो दिक्कत तो हुई होगी सेयेल को. कही वो साइको मर ना गया हो."
"हो भी सकता है और नही भी. इस बात से हमारा केस तो सॉल्व नही होता ना."
तभी सब इनस्पेक्टर विजय भी वहाँ आ जाता है.
"क्या बात है सर...कुछ गंभीर सी बाते हो रही है. चलिए मीटिंग का वक्त हो गया."
"ओह हां मुझे ध्यान ही नही रहा. चलो जल्दी कही इसी बात बार बरस पड़े वो कयामत."
तीनो मीटिंग रूम की तरफ बढ़ते हैं. ए एस पी अंकिता वहाँ पहले से मौज़ूद थी. उन्हे देखते ही चौहान का गला सूख गया.
"मिस्टर चौहान क्या स्टेटस है साइको वाले केस का."
"चौहान बगले झाँकने लगा. उस से कुछ बोले नही बन रहा था."
"हम पूरी कोशिश कर रहे हैं मेडम. वो साइको शायद अंडरग्राउंड हो गया है" आशुतोष बीच में बोल पढ़ा.
"मैने तुमसे पूछा कुछ. जिस से पूछा जाए वही जवाब दे." अंकिता ने आशुतोष को डाँट दिया.
"मेडम हम पूरी कोशिश कर रहे हैं. दिन रात हम इसी केस में लगे रहते हैं" चौहान हिम्मत करके बोला.
"क्या फायदा इस दिन रात की मेहनत का कोई रिज़ल्ट भी तो आना चाहिए. मीडीया में रोज पोलीस की किरकिरी हो रही है. जवाब तो मुझे देना पड़ता है ना उपर. अच्छा मैं थोड़ी देर में राउंड लगाना चाहती हूँ बाहर का कौन चलेगा मेरे साथ."
"सब इनस्पेक्टर विजय को ले जाए मेडम." चौहान ने कहा.
"सर वो मुझे अपनी बीवी को डॉक्टर के पास ले जाना था. बताया था ना आपको. मैं तो मीटिंग की वजह से आया था आज." विजय ने कहा.
चौहान खुद जाना नही चाहता था. डरता जो था मेडम से. उसने कहा, "आशुतोष चला जाएगा फिर आपके साथ मेडम."
आशुतोष ने तुरंत चौहान को घूरा. चौहान उसकी तरफ मुस्कुरा दिया.
"ठीक है. हम थोड़ी देर में निकलेंगे. मीटिंग समाप्त होती है. और हन और ज़्यादा मेहनत करो इस साइको वाले केस पर."
"बिल्कुल मेडम आप चिंता ना करो." चौहान ने कहा.
अंकिता उठ कर चली गयी.
उसके जाते ही आशुतोष बोला, "सर मुझे क्यों फँसा दिया."
"कोई बात नही बर्खुरदार तुम्हे ऑफीसर से डील करना भी आना चाहिए. बस ज़रा अपनी ज़ुबान कम खोलना उनके सामने. बाकी तुम सब संभाल लोगे मुझे पूरा यकीन है."
आशुतोष और चौहान के के को ढूँढने में लग गये. लेकिन उन्हे केके का कोई भी सुराग नही मिला. एक हफ़्ता बीत गया यू ही भागते दौड़ते. एक शुकून की बात ये थी की पूरा हफ़्ता कोई वारदात नही हुई. ये सब शायद सौरभ का कमाल था. उसी ने तो साइको के पेट में चाकू मारा था. कारण कुछ भी हो एक हफ्ते से बाहर में शांति थी. लेकिन एक हफ़्ता बहुत कम वक्त होता है डर को दूर भगाने में. बाहर के लोगो में साइको का ख़ौफ़ बरकरार था.
सौरभ घर वापिस आ गया. उसके घाव अभी पूरी तरह भर रहे थे .
धीरे धीरे एक महीना बीत गया. साइको का कुछ सुराग नही मिला. लेकिन इस एक महीने के दौरान बाहर में कोई वारदात नही हुई. मगर पोलीस फिर भी दबाव में थी, क्योंकि साइको अभी पकड़ा नही गया था.
सुबह के 10 बज रहे थे और चौहान चेहरे पर तनाव लिए इधर उधर घूम रहा था. आशुतोष थाने में घुसा तो उसने चौहान को देख लिया.
"क्या बात है सर, आप कुछ परेशान लग रहे हैं." आशुतोष ने पूछा.
"पूछो मत शामत आने वाली है शामत. मेडम साहिबा ने अर्जेंट मीटिंग बुलाई है. खूब डाँट पड़ने वाली है आज."
"हम जो कर सकते थे कर रहे है और क्या करें."
"उसके सामने मत बोल देना ये बात. ज़ुबान खींच लेगी तुम्हारी."
"नही सर उनके सामने भला मैं क्यों बोलूँगा...मेरा क्या दिमाग़ खराब है. पर सर मुझे लगता है कि शायद वो साइको अब अंडर ग्राउंड हो गया है. मैने हॉलीवुड की फ़िल्मो में देखा है की ऐसे साइको अचानक गायब हो जाते हैं और अचानक ही वापिस भी आ जाते हैं."
"ये फिल्म नही चल रही, ये हक़ीकत है बर्खुरदार. क्या पता क्या हो रहा है...साला ये के के का भी कुछ पता नही चला.."
"सर एक बात और हो सकती है?"
"क्या?" चौहान उत्शुक हो गया.
"मेरे दोस्त ने चाकू मारा था उस साइको के पेट में. हमनें सभी हॉस्पिटल और क्लिनिक छान मारे लेकिन वो कही अड्मिट नही हुआ था. शायद उसने अपना पेट अपने घर पर ही शीलवाया हो. अगर उसे कोई ठीक ठाक डॉक्टर नही मिला होगा तो दिक्कत तो हुई होगी सेयेल को. कही वो साइको मर ना गया हो."
"हो भी सकता है और नही भी. इस बात से हमारा केस तो सॉल्व नही होता ना."
तभी सब इनस्पेक्टर विजय भी वहाँ आ जाता है.
"क्या बात है सर...कुछ गंभीर सी बाते हो रही है. चलिए मीटिंग का वक्त हो गया."
"ओह हां मुझे ध्यान ही नही रहा. चलो जल्दी कही इसी बात बार बरस पड़े वो कयामत."
तीनो मीटिंग रूम की तरफ बढ़ते हैं. ए एस पी अंकिता वहाँ पहले से मौज़ूद थी. उन्हे देखते ही चौहान का गला सूख गया.
"मिस्टर चौहान क्या स्टेटस है साइको वाले केस का."
"चौहान बगले झाँकने लगा. उस से कुछ बोले नही बन रहा था."
"हम पूरी कोशिश कर रहे हैं मेडम. वो साइको शायद अंडरग्राउंड हो गया है" आशुतोष बीच में बोल पढ़ा.
"मैने तुमसे पूछा कुछ. जिस से पूछा जाए वही जवाब दे." अंकिता ने आशुतोष को डाँट दिया.
"मेडम हम पूरी कोशिश कर रहे हैं. दिन रात हम इसी केस में लगे रहते हैं" चौहान हिम्मत करके बोला.
"क्या फायदा इस दिन रात की मेहनत का कोई रिज़ल्ट भी तो आना चाहिए. मीडीया में रोज पोलीस की किरकिरी हो रही है. जवाब तो मुझे देना पड़ता है ना उपर. अच्छा मैं थोड़ी देर में राउंड लगाना चाहती हूँ बाहर का कौन चलेगा मेरे साथ."
"सब इनस्पेक्टर विजय को ले जाए मेडम." चौहान ने कहा.
"सर वो मुझे अपनी बीवी को डॉक्टर के पास ले जाना था. बताया था ना आपको. मैं तो मीटिंग की वजह से आया था आज." विजय ने कहा.
चौहान खुद जाना नही चाहता था. डरता जो था मेडम से. उसने कहा, "आशुतोष चला जाएगा फिर आपके साथ मेडम."
आशुतोष ने तुरंत चौहान को घूरा. चौहान उसकी तरफ मुस्कुरा दिया.
"ठीक है. हम थोड़ी देर में निकलेंगे. मीटिंग समाप्त होती है. और हन और ज़्यादा मेहनत करो इस साइको वाले केस पर."
"बिल्कुल मेडम आप चिंता ना करो." चौहान ने कहा.
अंकिता उठ कर चली गयी.
उसके जाते ही आशुतोष बोला, "सर मुझे क्यों फँसा दिया."
"कोई बात नही बर्खुरदार तुम्हे ऑफीसर से डील करना भी आना चाहिए. बस ज़रा अपनी ज़ुबान कम खोलना उनके सामने. बाकी तुम सब संभाल लोगे मुझे पूरा यकीन है."
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