01-01-2020, 12:26 PM
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अपर्णा अपने रूम की खिड़की में खड़ी हुई बारिश का आनंद ले रही है. बारिश की छम-छम से वो उद्वेलित हो रही है. वो चाहती है कि बारिश में निकल कर बारिश की बूँदो में भीगा जाए पर ठंड का मौसम इसकी इज़ाज़त नही देता था. गर्मियों की बारिश में वो खूब झूम झूम कर बारिश का आनंद लेती थी ठंड में ऐसा नही हो सकता था. हां पर बारिश की बूँदो को देख कर हल्की हल्की मुस्कान अपर्णा के होंठो पर बिखर रही थी.
"बेटा कब से खड़ी हो यहाँ...चलो कुछ खा लो."
"नही मम्मी अभी नही...आपको पता है ना मुझे बारिश बहुत अच्छी लगती है. मुझे यही रहने दीजिए अभी."
"जैसी तेरी मर्ज़ी...पागल हो जाती हो बारिश को देख कर."
अपर्णा की मम्मी चली गयी और अपर्णा खिड़की पर ही खड़ी रही.
"मैं कब तक घर में क़ैद रहूंगी मुझे कल से ऑफीस जाना चाहिए. बॉस से बात भी हो गयी है. डर कर घर में बैठने से क्या फायदा. इनस्पेक्टर या फिर आशुतोष से बात करनी पड़ेगी इस बारे में."
अपर्णा का सोचना सही ही था. उसकी जॉब सफर हो रही थी और अच्छी जॉब रोज रोज नही मिलती. और ये भी था की जॉब के कारण अपर्णा को ये नही लगता था कि वो अपने मा बाप पर बोझ है.
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अपर्णा अपने रूम की खिड़की में खड़ी हुई बारिश का आनंद ले रही है. बारिश की छम-छम से वो उद्वेलित हो रही है. वो चाहती है कि बारिश में निकल कर बारिश की बूँदो में भीगा जाए पर ठंड का मौसम इसकी इज़ाज़त नही देता था. गर्मियों की बारिश में वो खूब झूम झूम कर बारिश का आनंद लेती थी ठंड में ऐसा नही हो सकता था. हां पर बारिश की बूँदो को देख कर हल्की हल्की मुस्कान अपर्णा के होंठो पर बिखर रही थी.
"बेटा कब से खड़ी हो यहाँ...चलो कुछ खा लो."
"नही मम्मी अभी नही...आपको पता है ना मुझे बारिश बहुत अच्छी लगती है. मुझे यही रहने दीजिए अभी."
"जैसी तेरी मर्ज़ी...पागल हो जाती हो बारिश को देख कर."
अपर्णा की मम्मी चली गयी और अपर्णा खिड़की पर ही खड़ी रही.
"मैं कब तक घर में क़ैद रहूंगी मुझे कल से ऑफीस जाना चाहिए. बॉस से बात भी हो गयी है. डर कर घर में बैठने से क्या फायदा. इनस्पेक्टर या फिर आशुतोष से बात करनी पड़ेगी इस बारे में."
अपर्णा का सोचना सही ही था. उसकी जॉब सफर हो रही थी और अच्छी जॉब रोज रोज नही मिलती. और ये भी था की जॉब के कारण अपर्णा को ये नही लगता था कि वो अपने मा बाप पर बोझ है.
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