01-01-2020, 12:25 PM
Update 49
"आपको बुरी तो नही लगी मेरी बात."
"नही मोनिका जी. दिल से कही हुई बात कभी बुरी नही लगती. बहुत कम लोग ऐसे हैं दुनिया में जिन्हे ग़लत काम करते वक्त ये अहसास रहता है कि वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. यही अहसास इंसान को इंसान बनाता है. यू आर ए गुड वुमन. मेरे दिल में हमेशा आपके लिए इज़्ज़त रहेगी. आपका एक एक बोल मेरे दिल को छू गया. ये सब स्वीकार करना कोई आसान बात नही है. बहुत बड़ा जिगर चाहिए. एक बात मैं भी कहना चाहूँगा."
"हां बोलिए."
"मैं भी हमेशा से ऐसा नही था. मेरी तमन्ना थी कि बस एक लड़की से प्यार करू. एक लड़की से अफेर हुआ भी कॉलेज में. बहुत खुश रहता था उन दिनो मैं. हम घूमते फिरते थे साथ और काई बार सिनिमा भी गये. मैने कभी उसे छुआ तक नही. बस प्यार करता था उसे...बहुत प्यार. लेकिन उसने मेरे प्यार को ठुकरा दिया. एक साल तक मेरे साथ घूमी फिरी फिर अचानक एक अमीर बाप के बेटे के साथ उठने बैठने लगी. मुझसे मिलना ही बंद कर दिया उसने. मुझे बताया तक नही कि मैं तुम्हे छोड़ रही हूँ. फैल होते होते बचा मैं. बहुत मुश्किल से पास हुआ. दिल पर बड़ी भारी चोट लगी. दिल में पता नही कहा से ये ख्याल आने लगे की काश इसे ठोक देता तो अच्छा रहता. प्यार का कोई मोल नही है दुनिया में ऐसा लगा मुझे. उसके बाद तो जो सामने आई मैने ज़्यादा देर नही लगाई ठोकने में. मैं एक प्रेमी से कब फ्लर्ट बन गया मुझे पता ही नही चला. किसी ने मुझसे ऐसी बात नही बोली जैसी आज आपने कही. खुश रहें आप अपनी जिंदगी में. मेरी कभी भी ज़रूरत हो तो याद करना. मुझे अपना एक अच्छा दोस्त समझना."
"मुझे पता था की आप अच्छे इंसान हैं तभी आपको सारी बाते बताई मैने."
"अच्छा मोनिका जी मैं चलता हूँ. मुझसे जो ग़लती हुई है उसके लिए मुझे माफ़ करना. गॉड ब्लेस्स यू. टेक केर."
दोनो ने प्यारी से मुस्कान दी एक दूसरे को और आशुतोष वहाँ से चल पड़ा. आशुतोष और मोनिका दोनो के चरित्र के कुछ और ही पहलू सामने आ रहे थे जो की जीवन की सुंदरता लिए हुए थे.
आशुतोष ने जीप में बैठ कर चौहान को फोन लगाया.
"सर मोबायल वाला काम हो गया है. आप कहाँ हैं?"
"मैं थाने में हूँ बर्खुरदार यही आ जाओ." चौहान ने कहा.
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"आपको बुरी तो नही लगी मेरी बात."
"नही मोनिका जी. दिल से कही हुई बात कभी बुरी नही लगती. बहुत कम लोग ऐसे हैं दुनिया में जिन्हे ग़लत काम करते वक्त ये अहसास रहता है कि वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. यही अहसास इंसान को इंसान बनाता है. यू आर ए गुड वुमन. मेरे दिल में हमेशा आपके लिए इज़्ज़त रहेगी. आपका एक एक बोल मेरे दिल को छू गया. ये सब स्वीकार करना कोई आसान बात नही है. बहुत बड़ा जिगर चाहिए. एक बात मैं भी कहना चाहूँगा."
"हां बोलिए."
"मैं भी हमेशा से ऐसा नही था. मेरी तमन्ना थी कि बस एक लड़की से प्यार करू. एक लड़की से अफेर हुआ भी कॉलेज में. बहुत खुश रहता था उन दिनो मैं. हम घूमते फिरते थे साथ और काई बार सिनिमा भी गये. मैने कभी उसे छुआ तक नही. बस प्यार करता था उसे...बहुत प्यार. लेकिन उसने मेरे प्यार को ठुकरा दिया. एक साल तक मेरे साथ घूमी फिरी फिर अचानक एक अमीर बाप के बेटे के साथ उठने बैठने लगी. मुझसे मिलना ही बंद कर दिया उसने. मुझे बताया तक नही कि मैं तुम्हे छोड़ रही हूँ. फैल होते होते बचा मैं. बहुत मुश्किल से पास हुआ. दिल पर बड़ी भारी चोट लगी. दिल में पता नही कहा से ये ख्याल आने लगे की काश इसे ठोक देता तो अच्छा रहता. प्यार का कोई मोल नही है दुनिया में ऐसा लगा मुझे. उसके बाद तो जो सामने आई मैने ज़्यादा देर नही लगाई ठोकने में. मैं एक प्रेमी से कब फ्लर्ट बन गया मुझे पता ही नही चला. किसी ने मुझसे ऐसी बात नही बोली जैसी आज आपने कही. खुश रहें आप अपनी जिंदगी में. मेरी कभी भी ज़रूरत हो तो याद करना. मुझे अपना एक अच्छा दोस्त समझना."
"मुझे पता था की आप अच्छे इंसान हैं तभी आपको सारी बाते बताई मैने."
"अच्छा मोनिका जी मैं चलता हूँ. मुझसे जो ग़लती हुई है उसके लिए मुझे माफ़ करना. गॉड ब्लेस्स यू. टेक केर."
दोनो ने प्यारी से मुस्कान दी एक दूसरे को और आशुतोष वहाँ से चल पड़ा. आशुतोष और मोनिका दोनो के चरित्र के कुछ और ही पहलू सामने आ रहे थे जो की जीवन की सुंदरता लिए हुए थे.
आशुतोष ने जीप में बैठ कर चौहान को फोन लगाया.
"सर मोबायल वाला काम हो गया है. आप कहाँ हैं?"
"मैं थाने में हूँ बर्खुरदार यही आ जाओ." चौहान ने कहा.
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