01-01-2020, 12:24 PM
बारिश और भी ज़्यादा तेज होती जा रही थी और बाहर घने बादलो के कारण अंधेरे जैसी हालत हो गयी थी. अचानक फिर से बिजली कदक्ति है और मोनिका काँप उठती है.
"क्या हुआ मोनिका जी इस बार आप मेरे करीब नही आई. नाराज़ हैं क्या?"
मोनिका शर्मा उठी और बोली, "कैसी बात करते हैं आप."
आशुतोष मोनिका के नज़दीक आता है और उसकी आँखो में झाँक कर बोलता है.
"मोनिका जी बहुत प्यारा मौसम हो रहा है. बहुत ही सुंदर संभावना बन रही है हमारे बीचसंभोग की. अगर ये संभावना सच हो जाए तो कसम खा कर कहता हूँ बहुत ही भयंकर संभोग होगा हमारे बीच जिसे हम दोनो चाह कर भी नही भूल पाएँगे. मुझे बस आपकी इज़ाज़त की ज़रूरत है. कोई दबाव नही है आप पर. हमारा संभोग बहुत ही सुंदर रहेगा ये यकीन है मुझे. बाकी सब आपके उपर है."
मोनिका ने आशुतोष की आँखो में झाँक कर देखा. आशुतोष तो जैसे मोनिका की झील सी आँखो में खो गया. दोनो चुपचाप खड़े खड़े एक दूसरे को देखते रहे. मोनिका ने आशुतोष के सवाल का कोई जवाब तो नही दिया लेकिन उसकी आँखे बहुत कुछ कह रही थी जिसे आशुतोष शायद समझ नही पा रहा था.
"क्या हुआ आपने कुछ जवाब नही दिया." आशुतोष ने पूछा.
"इन सवालो के जवाब नही होते एक औरत के पास." मोनिका प्यार से बोली.
"चलिए छोड़िए एक चाय ही दे दीजिए ठंड लग रही है."
मोनिका मुस्कुराइ और बोली, "अभी लाती हूँ."
"शायद कुछ संभावनाए, संभावनाए ही रहती हैं" आशुतोष ने कहा.
"शायद" मोनिका ने कहा और हंसते हुए किचन की तरफ चली गयी.
मोनिका मुस्कुराते हुए हाथ में ट्रे लिए हुए आशुतोष की तरफ आ रही थी.
आशुतोष ने उसे मुस्कुराते हुए देख लिया और बोला, "क्या बात है आप मुस्कुरा क्यों रही हैं"
"कुछ नही लीजिए चाय लीजिए"
आशुतोष ने चाय पकड़ी और चाय का कप ले कर वो दरवाजे पर आ गया.
"उफ्फ ये बारिश तो थमने का नाम ही नही ले रही." आशुतोष ने चाय की घूँट भर कर कहा.
मोनिका आशुतोष की बात सुन कर उसके बाजू में आ गयी और बोली," बहुत दिनो बाद ऐसी बारिश हुई है."
"सही कह रही हैं आप. आप अपने लिए चाय नही लाई." आशुतोष ने पूछा.
"मैं चाय कम ही पीती हूँ."
"अच्छी बात है, कोई हेल्ती चीज़ तो है नही ये." आशुतोष ने चाय ख़तम की और कप को एक तरफ रख दिया.
"बिल्कुल सही कहा."
"मोनिका जी आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया" आशुतोष ने मोनिका की आँखो में झाँक कर पूछा.
"कौन सा सवाल" मोनिका ने हंसते हुए कहा.
"सुंदर संभोग की संभावना है हमारे बीच. क्या आप इस संभावना को हक़ीकत करना चाहेंगी."
"आपको क्या लगता है?" मोनिका ने हंसते हुए पूछा.
आशुतोष ने मोनिका की तरफ कदम बढ़ाए और मोनिका पीछे हटने लगी.
"क्या कर रहे हैं आप." मोनिका दीवार से टकरा कर रुक गयी.
आशुतोष फिर से उसी पोज़िशन में था जिसमे उसने पहले मोनिका के होंठो को चूमा था.
"मुझे पता नही क्यों ऐसा लगता है कि आप का जवाब हां है लेकिन आप कहना नही चाहती."
"एक बात कहना चाहती हूँ आपसे"
"हां बोलिए."
"मैं हमेशा सुरिंदर के साथ रिस्ते को लेकर व्यथीत रही हूँ. मेरे मन में हमेशा कसंकश रही है. मुझे हमेशा ये अहसास रहा है की मैं अपने पति को धोका दे रही हूँ. मैं सुरिंदर के साथ संबंध ख़तम करना चाहती थी. पर पता नही क्यों कर नही पाई. अब जबकि वो मर चुका है तो ये संबंध अपने आप ख़तम हो गया है. मुझे पता है और यकीन है कि आप मुझे संभोग की असीम गहराईयों में ले जाएँगे. और शायद इस सफ़र में मैं भी जाना चाहती हूँ. लेकिन दिल के एक कोने में मेरे ये अहसास भी है कि ये संभोग हर हाल में ग़लत होगा. मैं दुबारा भटकना नही चाहती. अब आपके सामने हूँ. आप कोशिश करेंगे तो आपको रोकूंगी नही. आप मुझे अच्छे लगे. लेकिन आप भी सच्चे मन से सोचिए की क्या ये सब ठीक है. सुरिंदर से नाता जोड़ के हर पल मैने घुट घुट कर जिया है. अब दुबारा शायद ऐसा हुआ तो मेरा चरित्र पूरी तरह बिखर जाएगा. हालाँकि ये बात बिल्कुल सही है कि हमारे बीच बहुत सुंदर संभोग की संभावना है. लेकिन मेरी परिस्थितियों के कारण ये सुंदरता मुझे नर्क के समान लगती है. यही कारण था कि मैने आपके सवाल का जवाब नही दिया."
.
आशुतोष ये सब सुन कर मोनिका से दूर हट जाता है.
"क्या हुआ मोनिका जी इस बार आप मेरे करीब नही आई. नाराज़ हैं क्या?"
मोनिका शर्मा उठी और बोली, "कैसी बात करते हैं आप."
आशुतोष मोनिका के नज़दीक आता है और उसकी आँखो में झाँक कर बोलता है.
"मोनिका जी बहुत प्यारा मौसम हो रहा है. बहुत ही सुंदर संभावना बन रही है हमारे बीचसंभोग की. अगर ये संभावना सच हो जाए तो कसम खा कर कहता हूँ बहुत ही भयंकर संभोग होगा हमारे बीच जिसे हम दोनो चाह कर भी नही भूल पाएँगे. मुझे बस आपकी इज़ाज़त की ज़रूरत है. कोई दबाव नही है आप पर. हमारा संभोग बहुत ही सुंदर रहेगा ये यकीन है मुझे. बाकी सब आपके उपर है."
मोनिका ने आशुतोष की आँखो में झाँक कर देखा. आशुतोष तो जैसे मोनिका की झील सी आँखो में खो गया. दोनो चुपचाप खड़े खड़े एक दूसरे को देखते रहे. मोनिका ने आशुतोष के सवाल का कोई जवाब तो नही दिया लेकिन उसकी आँखे बहुत कुछ कह रही थी जिसे आशुतोष शायद समझ नही पा रहा था.
"क्या हुआ आपने कुछ जवाब नही दिया." आशुतोष ने पूछा.
"इन सवालो के जवाब नही होते एक औरत के पास." मोनिका प्यार से बोली.
"चलिए छोड़िए एक चाय ही दे दीजिए ठंड लग रही है."
मोनिका मुस्कुराइ और बोली, "अभी लाती हूँ."
"शायद कुछ संभावनाए, संभावनाए ही रहती हैं" आशुतोष ने कहा.
"शायद" मोनिका ने कहा और हंसते हुए किचन की तरफ चली गयी.
मोनिका मुस्कुराते हुए हाथ में ट्रे लिए हुए आशुतोष की तरफ आ रही थी.
आशुतोष ने उसे मुस्कुराते हुए देख लिया और बोला, "क्या बात है आप मुस्कुरा क्यों रही हैं"
"कुछ नही लीजिए चाय लीजिए"
आशुतोष ने चाय पकड़ी और चाय का कप ले कर वो दरवाजे पर आ गया.
"उफ्फ ये बारिश तो थमने का नाम ही नही ले रही." आशुतोष ने चाय की घूँट भर कर कहा.
मोनिका आशुतोष की बात सुन कर उसके बाजू में आ गयी और बोली," बहुत दिनो बाद ऐसी बारिश हुई है."
"सही कह रही हैं आप. आप अपने लिए चाय नही लाई." आशुतोष ने पूछा.
"मैं चाय कम ही पीती हूँ."
"अच्छी बात है, कोई हेल्ती चीज़ तो है नही ये." आशुतोष ने चाय ख़तम की और कप को एक तरफ रख दिया.
"बिल्कुल सही कहा."
"मोनिका जी आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया" आशुतोष ने मोनिका की आँखो में झाँक कर पूछा.
"कौन सा सवाल" मोनिका ने हंसते हुए कहा.
"सुंदर संभोग की संभावना है हमारे बीच. क्या आप इस संभावना को हक़ीकत करना चाहेंगी."
"आपको क्या लगता है?" मोनिका ने हंसते हुए पूछा.
आशुतोष ने मोनिका की तरफ कदम बढ़ाए और मोनिका पीछे हटने लगी.
"क्या कर रहे हैं आप." मोनिका दीवार से टकरा कर रुक गयी.
आशुतोष फिर से उसी पोज़िशन में था जिसमे उसने पहले मोनिका के होंठो को चूमा था.
"मुझे पता नही क्यों ऐसा लगता है कि आप का जवाब हां है लेकिन आप कहना नही चाहती."
"एक बात कहना चाहती हूँ आपसे"
"हां बोलिए."
"मैं हमेशा सुरिंदर के साथ रिस्ते को लेकर व्यथीत रही हूँ. मेरे मन में हमेशा कसंकश रही है. मुझे हमेशा ये अहसास रहा है की मैं अपने पति को धोका दे रही हूँ. मैं सुरिंदर के साथ संबंध ख़तम करना चाहती थी. पर पता नही क्यों कर नही पाई. अब जबकि वो मर चुका है तो ये संबंध अपने आप ख़तम हो गया है. मुझे पता है और यकीन है कि आप मुझे संभोग की असीम गहराईयों में ले जाएँगे. और शायद इस सफ़र में मैं भी जाना चाहती हूँ. लेकिन दिल के एक कोने में मेरे ये अहसास भी है कि ये संभोग हर हाल में ग़लत होगा. मैं दुबारा भटकना नही चाहती. अब आपके सामने हूँ. आप कोशिश करेंगे तो आपको रोकूंगी नही. आप मुझे अच्छे लगे. लेकिन आप भी सच्चे मन से सोचिए की क्या ये सब ठीक है. सुरिंदर से नाता जोड़ के हर पल मैने घुट घुट कर जिया है. अब दुबारा शायद ऐसा हुआ तो मेरा चरित्र पूरी तरह बिखर जाएगा. हालाँकि ये बात बिल्कुल सही है कि हमारे बीच बहुत सुंदर संभोग की संभावना है. लेकिन मेरी परिस्थितियों के कारण ये सुंदरता मुझे नर्क के समान लगती है. यही कारण था कि मैने आपके सवाल का जवाब नही दिया."
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आशुतोष ये सब सुन कर मोनिका से दूर हट जाता है.