01-01-2020, 12:22 PM
"हां शायद...अच्छा मैं ये बताना चाहती थी कि उस रात भी मैं सुरिंदर के साथ ही थी."
"किस रात की बात कर रही हैं आप" आशुतोष ने उत्शुक हो कर पूछा.
"जिस रात सुरिंदर ने पोलीस में जाकर झूठी गवाही दी थी."
"ओह...डीटेल में बताओ. ये तो बहुत काम की बात लगती है"
मोनिका विस्तार में बताना शुरू करती है :-
मैं कोई रात के दस बजे पहुँची थी सुरिंदर के घर. मेरे पति घर नही थे इसलिए मैने सारी रात सुरिंदर के घर ही रहने का प्लान बनाया था. डिन्नर भी मैने वही बनाया और हम दोनो ने एक साथ खाया. कुछ देर हम टीवी देखते रहे और फिर बिस्तर पर आ गये. हमने खूब बाते की. अभी हमारे बीच कुछ भी शुरू नही हुआ था. बातो बातो में रात का एक बज गया था. हमारे पास खुला वक्त होता था तो हम अक्सर यू ही मस्ती करते थे. हमारे बीच कामुक पल शुरू होने ही वाले थे कि घर की डोर बेल बज उठी. हम दोनो हैरान थे कि इतनी रात को एक बजे कौन हो सकता है. सुरिंदर ने कपड़े पहने और लाइट बंद कर दी. मैं रज़ाई में दुबक गयी. मुझे कुछ बहुत ही अजीब लग रहा था. मुझे सबसे ज़्यादा ये डर था कि जिसने भी बेल बजाई है वो अंदर ना आ जाए. लेकिन फिर भी मैं चुपचाप मूह ढके पड़ी रही. सुरिंदर दरवाजा खोलने चला गया. बेडरूम ड्रॉयिंग रूम के बिल्कुल नज़दीक था इसलिए मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी. सुरिंदर ने दरवाजा खोलते ही कहा, "अब के के तू. इतनी रात को यहाँ क्या कर रहा है." मुझे बस सुरिंदर की ही आवाज़ सुनाई दी थी. ये के के शायद बहुत धीरे बोल रहा था या फिर हो सकता है की वो सुरिंदर को दरवाजे से दूर बाहर की ओर ले गया हो. जो भी हो मुझे इस के के की कोई आवाज़ सुनाई नही दी.
थोड़ी देर बाद सुरिंदर वापिस आया और दूसरे कपड़े पहन-ने लगा. मैने पूछा कि क्या बात है तो वो बोला कि अभी किसी ज़रूरी काम से बाहर जाना है, थोड़ी देर में लौट अवँगा. मुझे बहुत हैरानी हुई.मैने पूछा सुरिंदर से कि कौन आया था उस से मिलने लेकिन उसने कोई जवाब नही दिया. उसने यही कहा कि वापिस आ कर सब बताएगा. वो चला गया. शायद उसी केके के साथ गया था. मैने बहुत वेट किया सुरिंदर का. वेट करते-करते सुबह के 6 बज गये लेकिन सुरिंदर वापिस नही आया. तक हार कर मैं वापिस अपने घर आ गयी. अगले दिन टी वी पर देखा कि सुरिंदर विटनेस बना हुआ है. मुझे कुछ समझ नही आया. वैसे सुरिंदर मुझसे अपनी जिंदगी की काफ़ी बाते शेर करता था लेकिन ये विटनेस बन-ने वाली बात के बारे में उसने कुछ नही बताया. मैं खुद हैरान थी की ऐसा कैसे हुआ. सुरिंदर तो केके के साथ गया था फिर वो मर्डर सीन पर कैसे पहुँच गया. मैने अगले दिन इस बारे में पूछा भी. मुझे वो अपर्णा किसी भी आंगल से कातिल नही लगी. लेकिन सुरिंदर ने यही कहा की सब कुछ उसने अपनी आँखो से देखा है और वो सच बोल रहा है. मैने और ज़्यादा इस बारे में बात नहिकी. बाकी मैं बता ही चुकी हूँ. अगले दिन मेरे सुरिंदर के घर से जाने के बाद उसका कतल हो गया.
ये थी वो बात जो आपको बताना चाहती थी. शायद इस से आपको इस केस में कुछ मदद मिले.
आशुतोष ने बड़े ध्यान से एक एक बात बड़े गौर से सुनी थी. "ह्म्म बहुत ही काम की बात बताई है मोनिका जी आपने. ये सब आपने पहले क्यों नही बताया."
"मैं इस पचदे में नही पड़ना चाहती थी. आपको पता ही है पोलीस के मामलो में अक्सर लोगो को परेशानी ही परेशानी मिलती है. और मैं अपनी मॅरीड लाइफ में कोई ट्रबल नही चाहती. आप मुझे नेक इंसान लगे इसलिए आपको बता दिया. प्लीज़ मेरा नाम कही नही आना चाहिए. पूरे वाक्येसे मेरी इज़्ज़त जुड़ी है."
"मैं समझ सकता हूँ. आपके विश्वास को नही तोड़ूँगा. वैसे आपको क्या लगता है ये के के कौन हो सकता है.?"
"मुझे बिल्कुल आइडिया नही है. पता होता तो आपके पूछने से पहले बता देती. सुरिंदर ने कभी मेरे सामने किसी के के का जीकर नही किया."
"कोई बात नही इस सीसी को भी जल्दी ढूँढ निकालूँगा. हो ना हो वही साइको किलर है."
"बिल्कुल मुझे भी ऐसा ही लगता है. जिस तरह से पूरा वाक़या हुआ है उस से तो यही लगता है कि के के ही साइको है."
"किस रात की बात कर रही हैं आप" आशुतोष ने उत्शुक हो कर पूछा.
"जिस रात सुरिंदर ने पोलीस में जाकर झूठी गवाही दी थी."
"ओह...डीटेल में बताओ. ये तो बहुत काम की बात लगती है"
मोनिका विस्तार में बताना शुरू करती है :-
मैं कोई रात के दस बजे पहुँची थी सुरिंदर के घर. मेरे पति घर नही थे इसलिए मैने सारी रात सुरिंदर के घर ही रहने का प्लान बनाया था. डिन्नर भी मैने वही बनाया और हम दोनो ने एक साथ खाया. कुछ देर हम टीवी देखते रहे और फिर बिस्तर पर आ गये. हमने खूब बाते की. अभी हमारे बीच कुछ भी शुरू नही हुआ था. बातो बातो में रात का एक बज गया था. हमारे पास खुला वक्त होता था तो हम अक्सर यू ही मस्ती करते थे. हमारे बीच कामुक पल शुरू होने ही वाले थे कि घर की डोर बेल बज उठी. हम दोनो हैरान थे कि इतनी रात को एक बजे कौन हो सकता है. सुरिंदर ने कपड़े पहने और लाइट बंद कर दी. मैं रज़ाई में दुबक गयी. मुझे कुछ बहुत ही अजीब लग रहा था. मुझे सबसे ज़्यादा ये डर था कि जिसने भी बेल बजाई है वो अंदर ना आ जाए. लेकिन फिर भी मैं चुपचाप मूह ढके पड़ी रही. सुरिंदर दरवाजा खोलने चला गया. बेडरूम ड्रॉयिंग रूम के बिल्कुल नज़दीक था इसलिए मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी. सुरिंदर ने दरवाजा खोलते ही कहा, "अब के के तू. इतनी रात को यहाँ क्या कर रहा है." मुझे बस सुरिंदर की ही आवाज़ सुनाई दी थी. ये के के शायद बहुत धीरे बोल रहा था या फिर हो सकता है की वो सुरिंदर को दरवाजे से दूर बाहर की ओर ले गया हो. जो भी हो मुझे इस के के की कोई आवाज़ सुनाई नही दी.
थोड़ी देर बाद सुरिंदर वापिस आया और दूसरे कपड़े पहन-ने लगा. मैने पूछा कि क्या बात है तो वो बोला कि अभी किसी ज़रूरी काम से बाहर जाना है, थोड़ी देर में लौट अवँगा. मुझे बहुत हैरानी हुई.मैने पूछा सुरिंदर से कि कौन आया था उस से मिलने लेकिन उसने कोई जवाब नही दिया. उसने यही कहा कि वापिस आ कर सब बताएगा. वो चला गया. शायद उसी केके के साथ गया था. मैने बहुत वेट किया सुरिंदर का. वेट करते-करते सुबह के 6 बज गये लेकिन सुरिंदर वापिस नही आया. तक हार कर मैं वापिस अपने घर आ गयी. अगले दिन टी वी पर देखा कि सुरिंदर विटनेस बना हुआ है. मुझे कुछ समझ नही आया. वैसे सुरिंदर मुझसे अपनी जिंदगी की काफ़ी बाते शेर करता था लेकिन ये विटनेस बन-ने वाली बात के बारे में उसने कुछ नही बताया. मैं खुद हैरान थी की ऐसा कैसे हुआ. सुरिंदर तो केके के साथ गया था फिर वो मर्डर सीन पर कैसे पहुँच गया. मैने अगले दिन इस बारे में पूछा भी. मुझे वो अपर्णा किसी भी आंगल से कातिल नही लगी. लेकिन सुरिंदर ने यही कहा की सब कुछ उसने अपनी आँखो से देखा है और वो सच बोल रहा है. मैने और ज़्यादा इस बारे में बात नहिकी. बाकी मैं बता ही चुकी हूँ. अगले दिन मेरे सुरिंदर के घर से जाने के बाद उसका कतल हो गया.
ये थी वो बात जो आपको बताना चाहती थी. शायद इस से आपको इस केस में कुछ मदद मिले.
आशुतोष ने बड़े ध्यान से एक एक बात बड़े गौर से सुनी थी. "ह्म्म बहुत ही काम की बात बताई है मोनिका जी आपने. ये सब आपने पहले क्यों नही बताया."
"मैं इस पचदे में नही पड़ना चाहती थी. आपको पता ही है पोलीस के मामलो में अक्सर लोगो को परेशानी ही परेशानी मिलती है. और मैं अपनी मॅरीड लाइफ में कोई ट्रबल नही चाहती. आप मुझे नेक इंसान लगे इसलिए आपको बता दिया. प्लीज़ मेरा नाम कही नही आना चाहिए. पूरे वाक्येसे मेरी इज़्ज़त जुड़ी है."
"मैं समझ सकता हूँ. आपके विश्वास को नही तोड़ूँगा. वैसे आपको क्या लगता है ये के के कौन हो सकता है.?"
"मुझे बिल्कुल आइडिया नही है. पता होता तो आपके पूछने से पहले बता देती. सुरिंदर ने कभी मेरे सामने किसी के के का जीकर नही किया."
"कोई बात नही इस सीसी को भी जल्दी ढूँढ निकालूँगा. हो ना हो वही साइको किलर है."
"बिल्कुल मुझे भी ऐसा ही लगता है. जिस तरह से पूरा वाक़या हुआ है उस से तो यही लगता है कि के के ही साइको है."