01-01-2020, 12:15 PM
"लगता है मेरा फ्लर्ट काम कर रहा है. आप तो मेरे जाल में फस्ति जा रही हैं." आशुतोष ने हंसते हुए कहा.
"ऐसा कुछ नही है. आपको वेहम हो रहा है."
"आप मेरे चक्कर में मत फासना मेरा तो यही काम है"
"आप अपने खिलाफ ही बोल रहे हैं."
"आपको चेतावनी देना मेरा फ़र्ज़ है."
"यू आर वेरी इंट्रेस्टिंग पर्सन."
"आप ऐसी बाते करेंगी तो मेरा हॉंसला बढ़ेगा और फ्लर्ट करने का. कभी किसी को ऐसा मोका मत दीजिए."
"आप घबराओ मत आपका कोई चान्स नही है यहाँ."
"अच्छा ऐसा है क्या?" आशुतोष कहता है और मोनिका की तरफ बढ़ता है. वो अपने होंठो पर जीभ फ़ीरा कर अपनी इंटेन्षन क्लियर कर देता है कि वो किस करने वाला है. ज़्यादा दूर नही थी मोनिका आशुतोष से. बस दो कदम का फांसला था.
"आप क्या करने वाले हैं दूर रहिए." मोनिका पीछे कदम बढ़ाती है.
"चेक करना चाहता हूँ की मेरा चान्स है कि नही." आशुतोष आगे बढ़ते हुए बोलता है.
मोनिका पीछे हटती चली जाती है और फाइनलि दीवार के सहारे खड़ी हो जाती है. आशुतोष मोनिका की आँखो में देखता हुआ आगे बढ़ता रहता है. मोनिका के बिल्कुल पास पहुँच कर वो मोनिका के सर के दोनो तरफ देवार पर अपने हाथ रख लेता है और मोनिका की आँखो में झाँक कर देखता है.
"आप ये क्या कर रहे हैं." मोनिका शर्मा कर पूछती है.
आशुतोष बिना कुछ कहे अपने होठ मोनिका के होंठो पर टिका देता है. मोनिका चुपचाप खड़ी रहती है. आशुतोष उसके रश भरे होंठो को चूमता रहता है. अचानक वो हट जाता है और वापिस दरवाजे पर आ जाता है और बोलता है, "मेरा चान्स तो बहुत तगड़ा है. आप झूठ बोल रही थी."
मोनिका दिल पर हाथ रखे दीवार के सहारे खड़ी रहती है. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी.
"उफ्फ ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही. और तेज होती जा रही है. चाय ही पीला दीजिए थोड़ी, मौसम ठंडा हो रहा है" आशुतोष ने कहा.
"लाती हूँ अभी आप वेट कीजिए...चीनी कितनी लेंगे."
"बहुत थोड़ी...आपके होंठो का मीठा रस पीकर बहुत मिठास भर गयी है दिल में."
मोनिका नज़रे झुका कर, शर्मा कर वहाँ से किचन की ओर चली जाती है.
"फँस चुकी है ये तो. पर रहने देता हूँ. उसे कही ये ना लगे कि मैं इस केस का दबाव बना कर फ्लर्ट कर रहा हूँ. ऐसे अच्छा नही लगेगा. रहने दो खुश अपनी जिंदगी में. मुझे लड़कियों की क्या कमी है. ये भी हो सकता है कि वो सिर्फ़ नाटक कर रही हो. आख़िर वो परेशान थी. यही ठीक रहेगा रहने देता हूँ इसके साथ. ऐसी बातो से पोलीस की बदनामी होती है."
बारिश बढ़ती ही जा रही थी और आशुतोष दरवाजे पर खड़ा खड़ा कशमकश में खोया था.
"ऐसा कुछ नही है. आपको वेहम हो रहा है."
"आप मेरे चक्कर में मत फासना मेरा तो यही काम है"
"आप अपने खिलाफ ही बोल रहे हैं."
"आपको चेतावनी देना मेरा फ़र्ज़ है."
"यू आर वेरी इंट्रेस्टिंग पर्सन."
"आप ऐसी बाते करेंगी तो मेरा हॉंसला बढ़ेगा और फ्लर्ट करने का. कभी किसी को ऐसा मोका मत दीजिए."
"आप घबराओ मत आपका कोई चान्स नही है यहाँ."
"अच्छा ऐसा है क्या?" आशुतोष कहता है और मोनिका की तरफ बढ़ता है. वो अपने होंठो पर जीभ फ़ीरा कर अपनी इंटेन्षन क्लियर कर देता है कि वो किस करने वाला है. ज़्यादा दूर नही थी मोनिका आशुतोष से. बस दो कदम का फांसला था.
"आप क्या करने वाले हैं दूर रहिए." मोनिका पीछे कदम बढ़ाती है.
"चेक करना चाहता हूँ की मेरा चान्स है कि नही." आशुतोष आगे बढ़ते हुए बोलता है.
मोनिका पीछे हटती चली जाती है और फाइनलि दीवार के सहारे खड़ी हो जाती है. आशुतोष मोनिका की आँखो में देखता हुआ आगे बढ़ता रहता है. मोनिका के बिल्कुल पास पहुँच कर वो मोनिका के सर के दोनो तरफ देवार पर अपने हाथ रख लेता है और मोनिका की आँखो में झाँक कर देखता है.
"आप ये क्या कर रहे हैं." मोनिका शर्मा कर पूछती है.
आशुतोष बिना कुछ कहे अपने होठ मोनिका के होंठो पर टिका देता है. मोनिका चुपचाप खड़ी रहती है. आशुतोष उसके रश भरे होंठो को चूमता रहता है. अचानक वो हट जाता है और वापिस दरवाजे पर आ जाता है और बोलता है, "मेरा चान्स तो बहुत तगड़ा है. आप झूठ बोल रही थी."
मोनिका दिल पर हाथ रखे दीवार के सहारे खड़ी रहती है. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी.
"उफ्फ ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही. और तेज होती जा रही है. चाय ही पीला दीजिए थोड़ी, मौसम ठंडा हो रहा है" आशुतोष ने कहा.
"लाती हूँ अभी आप वेट कीजिए...चीनी कितनी लेंगे."
"बहुत थोड़ी...आपके होंठो का मीठा रस पीकर बहुत मिठास भर गयी है दिल में."
मोनिका नज़रे झुका कर, शर्मा कर वहाँ से किचन की ओर चली जाती है.
"फँस चुकी है ये तो. पर रहने देता हूँ. उसे कही ये ना लगे कि मैं इस केस का दबाव बना कर फ्लर्ट कर रहा हूँ. ऐसे अच्छा नही लगेगा. रहने दो खुश अपनी जिंदगी में. मुझे लड़कियों की क्या कमी है. ये भी हो सकता है कि वो सिर्फ़ नाटक कर रही हो. आख़िर वो परेशान थी. यही ठीक रहेगा रहने देता हूँ इसके साथ. ऐसी बातो से पोलीस की बदनामी होती है."
बारिश बढ़ती ही जा रही थी और आशुतोष दरवाजे पर खड़ा खड़ा कशमकश में खोया था.
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