01-01-2020, 12:04 PM
"थाने जाने से पहले इस भोलू की खबर लेता हूँ...गुरु का काम भी करता आउन्गा." आशु ने कहा.
कोई 20 मिनिट में आशु भोलू के घर पहुँच गया.
"दरवाजा अंदर से बंद है अभी.... शायद भोलू अंदर ही है." आशु ने दरवाजा खड़काया.
भोलू ने आँखे मलते हुए दरवाजा खोला. उसने अपने चारो तरफ़ चादर लपेट रखी थी.
"ओह आशु सर."
"ज़्यादा नाटक मत कर...ये बता तू था कहाँ...श्रद्धा को छोड़ के कहाँ गया था तू इतनी रात को...सच सच बताना वरना मुजसे बुरा कोई नही होगा."
"मैं एक दोस्त के पास गया था...ज़रूरी काम था कुछ."
"इतनी रात को जाने की क्या ज़रूरत थी...ये चादर हटाओ और मुझे अपना पेट दिखाओ."
"बात क्या है आशु सर."
"जैसा कहा है वैसा करो."
भोलू ने चादर हटाई और अपनी बन्यान उपर उठा कर अपना पेट दिखाया.
"मा की आँख...एक भी निशान नही है तेरे पेट पे तो...फिर चूतिया कट गया मेरा."
"बात क्या है आशु सर कुछ बताओ तो" भोलू ने पूछा.
"कुछ नही तुम तैयार हो कर जल्दी थाने आओ इनस्पेक्टर साहिब कह रहे थे कि बहुत काम है आज."
"ठीक है आशु सर."
आशु अब पूजा के घर की तरफ चल दिया. श्रद्धा आशु को घर के बाहर ही मिल गयी.
"श्रद्धा तुम्हारी बहन पूजा है क्या घर में."
"क्यों उस से क्या काम पड़ गया तुम्हे." श्रद्धा ने पूछा.
"है कुछ काम अभी नही बता सकता."
"मेरी बहन से दूर रहो."
"वैसी बात नही है श्रद्धा...कुछ और काम है."
"वो कॉलेज चली गयी."
"पूजा से बाद में मिलूँगा...पहले थाने चलता हूँ." आशु सोचता है.
"क्या बात है बताओ तो?" श्रद्धा ने पूछा.
"कोई ख़ास बात नही है...मैं चलता हूँ अभी ड्यूटी के लिए लेट हो रहा हूँ"
आशु सीधा थाने पहुँचता है और चौहान के कमरे की तरफ बढ़ता है. चौहान उसे बाहर ही मिल जाता है.
"अच्छा किया जो तुम आ गये...देखो मेडम साहिबा आग बाबूला हो रही हैं...बार बार मुझे डाँट पड़ रही है. हमें इस केस को जल्द से जल्द सॉल्व करना होगा."
"मैं आपके साथ हूँ सर...एक बात पूछनी थी आपसे."
"हां पूछो?"
"सुरिंदर ने झूठा बयान क्यों दिया सर."
कोई 20 मिनिट में आशु भोलू के घर पहुँच गया.
"दरवाजा अंदर से बंद है अभी.... शायद भोलू अंदर ही है." आशु ने दरवाजा खड़काया.
भोलू ने आँखे मलते हुए दरवाजा खोला. उसने अपने चारो तरफ़ चादर लपेट रखी थी.
"ओह आशु सर."
"ज़्यादा नाटक मत कर...ये बता तू था कहाँ...श्रद्धा को छोड़ के कहाँ गया था तू इतनी रात को...सच सच बताना वरना मुजसे बुरा कोई नही होगा."
"मैं एक दोस्त के पास गया था...ज़रूरी काम था कुछ."
"इतनी रात को जाने की क्या ज़रूरत थी...ये चादर हटाओ और मुझे अपना पेट दिखाओ."
"बात क्या है आशु सर."
"जैसा कहा है वैसा करो."
भोलू ने चादर हटाई और अपनी बन्यान उपर उठा कर अपना पेट दिखाया.
"मा की आँख...एक भी निशान नही है तेरे पेट पे तो...फिर चूतिया कट गया मेरा."
"बात क्या है आशु सर कुछ बताओ तो" भोलू ने पूछा.
"कुछ नही तुम तैयार हो कर जल्दी थाने आओ इनस्पेक्टर साहिब कह रहे थे कि बहुत काम है आज."
"ठीक है आशु सर."
आशु अब पूजा के घर की तरफ चल दिया. श्रद्धा आशु को घर के बाहर ही मिल गयी.
"श्रद्धा तुम्हारी बहन पूजा है क्या घर में."
"क्यों उस से क्या काम पड़ गया तुम्हे." श्रद्धा ने पूछा.
"है कुछ काम अभी नही बता सकता."
"मेरी बहन से दूर रहो."
"वैसी बात नही है श्रद्धा...कुछ और काम है."
"वो कॉलेज चली गयी."
"पूजा से बाद में मिलूँगा...पहले थाने चलता हूँ." आशु सोचता है.
"क्या बात है बताओ तो?" श्रद्धा ने पूछा.
"कोई ख़ास बात नही है...मैं चलता हूँ अभी ड्यूटी के लिए लेट हो रहा हूँ"
आशु सीधा थाने पहुँचता है और चौहान के कमरे की तरफ बढ़ता है. चौहान उसे बाहर ही मिल जाता है.
"अच्छा किया जो तुम आ गये...देखो मेडम साहिबा आग बाबूला हो रही हैं...बार बार मुझे डाँट पड़ रही है. हमें इस केस को जल्द से जल्द सॉल्व करना होगा."
"मैं आपके साथ हूँ सर...एक बात पूछनी थी आपसे."
"हां पूछो?"
"सुरिंदर ने झूठा बयान क्यों दिया सर."