01-01-2020, 12:03 PM
Update 43
"आशु ध्यान रखना कभी चप्पल भी पड़ सकती है तुझे...हे..हे..हे."
"गुरु हँसने को मना किया है उसने...चुप रहो...ये नर्स तो बड़ी कठोर दिल की है शायद."
"तभी कह रहा हूँ बच के रहना कही चप्पल खाओ...एक हसीना के आगे तुम वैसे ही मूत चुके हो"
"गुरु वो याद मत दिलाओ वो हालत ही कुछ ऐसे थे. मैं अपर्णा जी के बारे में कुछ भी बोले जा रहा था. जब वो अचानक सामने आ गयी, वो भी आग बाबूला हो कर तो मेरे होश उड़ गये, मुझे लगा मैं गया अब. ऐसी हालत सिर्फ़ अपर्णा जी ही कर सकती थी मेरी और कोई नही कर सकता"
"अपर्णा जी की बड़ी इज़्ज़त करता है तू क्यों....अच्छा ये बता तुझे प्यार हुआ है कभी"
"प्यार व्यार के झांजाट में मैं नही पड़ता अब...एक बार हुआ था कॉलेज में. दिल तोड़ दिया था लड़की ने. इतना सदमा लगा था कि पूछो मत. फैल होने की नौबत आ गयी थी मेरी. उसके बाद प्यार व्यार से दूर ही रहा मैं. करना क्या है प्यार करके. बेकार की सिरदर्दी मौल लेने वाली बात है. प्यार के बिना लड़कियों की कमी है क्या मुझे जो मैं प्यार के पचदे में पदू."
"बस...बस भाई...तू तो बुरा ही मान गया...मैं तो वैसे ही पूछ रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि तू अपर्णा जी से प्यार कर बैठा है."
"अपर्णा जी प्यार करने लायक हैं पर उनके साथ मेरा कोई स्कोप नही है."
"मतलब की अगर अपर्णा जी तैयार हो जाए तो तुम उनसे लव अफेर चला सकते हो."
आशु के दिल की धड़कन तेज हो जाती है और वो गहरे ख़यालो में खो जाता है.
"अरे क्या हुआ...मैं कुछ पूछ रहा हूँ."
"गुरु एक रिक्वेस्ट है...अपर्णा जी के बारे में ऐसी बाते मत किया करो...मुझे कुछ कुछ होता है."
"ये कुछ..कुछ प्यार तो नही." सौरभ ने पूछा.
"गुरु क्यों बातो में उलझा रहे हो मुझे...मैं लेट हो रहा हूँ"
"बस एक बात और कहूँगा."
"हां बोलो...क्या है?"
"मुझे ऐसा लगता है कि मुझे प्यार हो गया है."
आशु तो लोटपोट हो जाता है सौरभ की बात सुन कर.
"प्यार और तुम्हे...कौन बदनसीब है वो."
"जाओ आशु तुम लेट हो रहे हो."
"गुरु मज़ाक कर रहा हूँ...बताओ ना कौन है वो."
"पूजा."
"पूजा!"
"हां पूजा. दिल में अब बस वही है यार. उसे किसी तरह मेसेज दे दो मेरे बारे में क्या पता देखने आ जाए मुझे."
"तुम तो सच में सीरीयस हो गये गुरु...ऐसा कैसे हो गया. तभी कहु क्यों प्यार व्यार की बाते हो रही हैं."
"यार बहुत याद आ रही है सुबह से उसकी कुछ कर ना...वो मुझे देखने आएगी तो अच्छा लगेगा."
"अच्छा ट्राइ करूँगा...मैं चलता हूँ अब बाय... अपना ख्याल रखना...बाहर कॉन्स्टेबल है...कोई भी ज़रूरत हो तो उसे बता देना."
"पूजा की ज़रूरत है बस तू उसे भिजवा दे किसी तरह."
"ठीक है गुरु मैं पूरी कोशिश करूँगा." आशु वहाँ से चल दिया.
आशु पोलीस की जीप ले के हॉस्पिटल से निकल पड़ा.
"आशु ध्यान रखना कभी चप्पल भी पड़ सकती है तुझे...हे..हे..हे."
"गुरु हँसने को मना किया है उसने...चुप रहो...ये नर्स तो बड़ी कठोर दिल की है शायद."
"तभी कह रहा हूँ बच के रहना कही चप्पल खाओ...एक हसीना के आगे तुम वैसे ही मूत चुके हो"
"गुरु वो याद मत दिलाओ वो हालत ही कुछ ऐसे थे. मैं अपर्णा जी के बारे में कुछ भी बोले जा रहा था. जब वो अचानक सामने आ गयी, वो भी आग बाबूला हो कर तो मेरे होश उड़ गये, मुझे लगा मैं गया अब. ऐसी हालत सिर्फ़ अपर्णा जी ही कर सकती थी मेरी और कोई नही कर सकता"
"अपर्णा जी की बड़ी इज़्ज़त करता है तू क्यों....अच्छा ये बता तुझे प्यार हुआ है कभी"
"प्यार व्यार के झांजाट में मैं नही पड़ता अब...एक बार हुआ था कॉलेज में. दिल तोड़ दिया था लड़की ने. इतना सदमा लगा था कि पूछो मत. फैल होने की नौबत आ गयी थी मेरी. उसके बाद प्यार व्यार से दूर ही रहा मैं. करना क्या है प्यार करके. बेकार की सिरदर्दी मौल लेने वाली बात है. प्यार के बिना लड़कियों की कमी है क्या मुझे जो मैं प्यार के पचदे में पदू."
"बस...बस भाई...तू तो बुरा ही मान गया...मैं तो वैसे ही पूछ रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि तू अपर्णा जी से प्यार कर बैठा है."
"अपर्णा जी प्यार करने लायक हैं पर उनके साथ मेरा कोई स्कोप नही है."
"मतलब की अगर अपर्णा जी तैयार हो जाए तो तुम उनसे लव अफेर चला सकते हो."
आशु के दिल की धड़कन तेज हो जाती है और वो गहरे ख़यालो में खो जाता है.
"अरे क्या हुआ...मैं कुछ पूछ रहा हूँ."
"गुरु एक रिक्वेस्ट है...अपर्णा जी के बारे में ऐसी बाते मत किया करो...मुझे कुछ कुछ होता है."
"ये कुछ..कुछ प्यार तो नही." सौरभ ने पूछा.
"गुरु क्यों बातो में उलझा रहे हो मुझे...मैं लेट हो रहा हूँ"
"बस एक बात और कहूँगा."
"हां बोलो...क्या है?"
"मुझे ऐसा लगता है कि मुझे प्यार हो गया है."
आशु तो लोटपोट हो जाता है सौरभ की बात सुन कर.
"प्यार और तुम्हे...कौन बदनसीब है वो."
"जाओ आशु तुम लेट हो रहे हो."
"गुरु मज़ाक कर रहा हूँ...बताओ ना कौन है वो."
"पूजा."
"पूजा!"
"हां पूजा. दिल में अब बस वही है यार. उसे किसी तरह मेसेज दे दो मेरे बारे में क्या पता देखने आ जाए मुझे."
"तुम तो सच में सीरीयस हो गये गुरु...ऐसा कैसे हो गया. तभी कहु क्यों प्यार व्यार की बाते हो रही हैं."
"यार बहुत याद आ रही है सुबह से उसकी कुछ कर ना...वो मुझे देखने आएगी तो अच्छा लगेगा."
"अच्छा ट्राइ करूँगा...मैं चलता हूँ अब बाय... अपना ख्याल रखना...बाहर कॉन्स्टेबल है...कोई भी ज़रूरत हो तो उसे बता देना."
"पूजा की ज़रूरत है बस तू उसे भिजवा दे किसी तरह."
"ठीक है गुरु मैं पूरी कोशिश करूँगा." आशु वहाँ से चल दिया.
आशु पोलीस की जीप ले के हॉस्पिटल से निकल पड़ा.