01-01-2020, 12:02 PM
"आपके साथ जो चाय पी रही थी...वो भी सुंदर थी...उस से भी मिलवाओ ना."
"वो आपके बस में नही आएगी...रहने दीजिए."
"ट्राइ करने में हर्ज़ क्या है...आप बस मेरे साथ का एक्सपीरियेन्स सुना देना उसे...बाकी मैं संभाल लूँगा."
"यू आर टू मच..." स्निग्धा वहाँ से हंसते हुए चली जाती है
..............................................
रात बीत जाती है. सुबह होने पर आशु चौहान को फोन करता है.
"सर ये भोलू हवलदार आया था क्या ड्यूटी पर आज."
"नही वो नही आया क्यों?"
"वैसे ही पूछ रहा हूँ."
"अच्छा सुनो तुम फ़ौरन थाने आ जाओ...सब इनस्पेक्टर विजय अपनी बहन की शादी में मुंबई गये हैं...काम कुछ ज़्यादा है तुम जल्दी आ जाना."
"ठीक है सर मैं अभी आ रहा हूँ." आशु ने कहा.
आशु थाने पहुँचता है.
"आशु हमें किसी भी तरह उस लेडी का पता लगाना होगा जो कि उस रात सुरिंदर के साथ थी" चौहान ने कहा.
"बिल्कुल सर...बोलिए मुझे क्या करना है."
"ये नंबर था तो सुरिंदर के नाम पर उसे तो वो लेडी करती थी. वो कही ना कही से टॉक टाइम भी दल्वाति होगी. और हो ना हो उसने टॉक टाइम घर के आस पास ही किसी से करवाया होगा."
"समझ गया सर अभी इस नंबर के मोबायल ऑपरेटर से सारी जानकारी इक्कथा करता हूँ"
"तुम अच्छा काम कर रहे हो तभी तुम्हे ये काम दे रहा हूँ"
"आप चिंता ना करो सर आपको निराश नही करूँगा." आशु ने कहा.
आशु की फोन की बाते सौरभ भी सुन लेता है.
"यार आशु तू तो पक्का पोलीस वाला बन गया." सौरभ ने कहा.
"अच्छा ऐसा है क्या...मैं तो बस...." आशु एक दूसरी नर्स को अंदर आते देखता है और बोलते बोलते रुक जाता है.
सौरभ ने आशु को इशारे से अपने पास बुलाया और कहा, "क्या हुआ बोलती क्यों बंद हो गयी"
"गुरु तुम्हे तो एक से बढ़कर एक नर्स मिल रही है अटेंड करने को...क्या किस्मत पाई है तुमने."
"किस्मत मेरी है या तेरी...ये बता क्या बना कल रात उस दूसरी नर्स का."
"जबरदस्त थी वो गुरु....खूब मज़ा आया उसके साथ पूरी डीटेल बाद में बताउन्गा कही इस नर्स को सुन जाए."
"हां और कहीं ये तेरे से पहले से ही चोकन्नि है जाए हे..हे..हे."
"आपके लिए हसना ठीक नही है." नर्स ने कहा.
"गुरु क्या करते हो तुम भी....स्निग्धा की जगह क्या आप आई हैं.?" आशु ने कहा.
"हां..." नर्स ग्लूकोस की नयी बॉटल लगा देती है.
"क्या नाम है आपका?" आशु ने पूछा.
नर्स ने आशु को घूर के देखा और बोली, "माला...क्यों."
"अगर कोई ज़रूरत हुई तो आपको बुलाना होगा ना." आशु ने कहा.
"सब नाम की बजाए हमे सिस्टर कहते है...आप नाम की बजाए सिस्टर कह कर बुला सकते हैं."
"वो तो है पर आप जैसी को सिस्टर कहना ग़लत लगता है." आशु ने कहा.
"क्या मतलब मैं...समझी नही."
"कुछ नही जाने दीजिए." आशु ने कहा.
नर्स कन्फ्यूज़ सी होकर वहाँ से चली गयी.
"वो आपके बस में नही आएगी...रहने दीजिए."
"ट्राइ करने में हर्ज़ क्या है...आप बस मेरे साथ का एक्सपीरियेन्स सुना देना उसे...बाकी मैं संभाल लूँगा."
"यू आर टू मच..." स्निग्धा वहाँ से हंसते हुए चली जाती है
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रात बीत जाती है. सुबह होने पर आशु चौहान को फोन करता है.
"सर ये भोलू हवलदार आया था क्या ड्यूटी पर आज."
"नही वो नही आया क्यों?"
"वैसे ही पूछ रहा हूँ."
"अच्छा सुनो तुम फ़ौरन थाने आ जाओ...सब इनस्पेक्टर विजय अपनी बहन की शादी में मुंबई गये हैं...काम कुछ ज़्यादा है तुम जल्दी आ जाना."
"ठीक है सर मैं अभी आ रहा हूँ." आशु ने कहा.
आशु थाने पहुँचता है.
"आशु हमें किसी भी तरह उस लेडी का पता लगाना होगा जो कि उस रात सुरिंदर के साथ थी" चौहान ने कहा.
"बिल्कुल सर...बोलिए मुझे क्या करना है."
"ये नंबर था तो सुरिंदर के नाम पर उसे तो वो लेडी करती थी. वो कही ना कही से टॉक टाइम भी दल्वाति होगी. और हो ना हो उसने टॉक टाइम घर के आस पास ही किसी से करवाया होगा."
"समझ गया सर अभी इस नंबर के मोबायल ऑपरेटर से सारी जानकारी इक्कथा करता हूँ"
"तुम अच्छा काम कर रहे हो तभी तुम्हे ये काम दे रहा हूँ"
"आप चिंता ना करो सर आपको निराश नही करूँगा." आशु ने कहा.
आशु की फोन की बाते सौरभ भी सुन लेता है.
"यार आशु तू तो पक्का पोलीस वाला बन गया." सौरभ ने कहा.
"अच्छा ऐसा है क्या...मैं तो बस...." आशु एक दूसरी नर्स को अंदर आते देखता है और बोलते बोलते रुक जाता है.
सौरभ ने आशु को इशारे से अपने पास बुलाया और कहा, "क्या हुआ बोलती क्यों बंद हो गयी"
"गुरु तुम्हे तो एक से बढ़कर एक नर्स मिल रही है अटेंड करने को...क्या किस्मत पाई है तुमने."
"किस्मत मेरी है या तेरी...ये बता क्या बना कल रात उस दूसरी नर्स का."
"जबरदस्त थी वो गुरु....खूब मज़ा आया उसके साथ पूरी डीटेल बाद में बताउन्गा कही इस नर्स को सुन जाए."
"हां और कहीं ये तेरे से पहले से ही चोकन्नि है जाए हे..हे..हे."
"आपके लिए हसना ठीक नही है." नर्स ने कहा.
"गुरु क्या करते हो तुम भी....स्निग्धा की जगह क्या आप आई हैं.?" आशु ने कहा.
"हां..." नर्स ग्लूकोस की नयी बॉटल लगा देती है.
"क्या नाम है आपका?" आशु ने पूछा.
नर्स ने आशु को घूर के देखा और बोली, "माला...क्यों."
"अगर कोई ज़रूरत हुई तो आपको बुलाना होगा ना." आशु ने कहा.
"सब नाम की बजाए हमे सिस्टर कहते है...आप नाम की बजाए सिस्टर कह कर बुला सकते हैं."
"वो तो है पर आप जैसी को सिस्टर कहना ग़लत लगता है." आशु ने कहा.
"क्या मतलब मैं...समझी नही."
"कुछ नही जाने दीजिए." आशु ने कहा.
नर्स कन्फ्यूज़ सी होकर वहाँ से चली गयी.