01-01-2020, 11:58 AM
Update 42
स्निग्धा पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी. वो बिना किसी झीजक के आशु के आगे घूम गयी और झुक गयी. आशु ने उसकी स्कर्ट उपर उठाई और उसकी पॅंटी नीचे सरका दी.
"सर मुझे बस यही डर है कि कही कोई आ ना जाए."
आशु अपने लंड पर थूक रगड़ रहा था. "आप चिंता मत करो कोई आएगा भी तो मैं संभाल लूँगा."
"आप वहाँ तो नही डालेंगे ना?"
"कहा?" आशु ने पूछा.
"वही गान्ड में."
"नही पहले आपकी चूत को रागडूंगा. जब उसकी तसल्ली हो जाएगी फिर गान्ड में डालूँगा."
"इतना बड़ा मेरे वहाँ नही जाएगा सर आगे की बात और है हालाँकि वहाँ भी मुश्किल होने वाली है."
"आप बिल्कुल चिंता मत करो मुझे अब गान्ड मारनी आती है...हे..हे."
आशु ने स्निग्धा की गान्ड को पकड़ लिया और एक ही झटके में पूरा लंड स्निग्धा की चूत में उतार दिया.
"ऊऊऊहह म्म्म्ममममममम मैं चिल्ला भी नही सकती आआहह बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है"
"थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा हे..हे..हे" आशु हँसने लगा.
"आप हँसो मत कोई सुन लेगा...आअहह"
"ओह हां.... सॉरी."
कुछ देर बाद आशु ने अपने लंड को स्निग्धा की चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उसके आँड बार बार स्निग्धा की चूत की पंखुड़ियों से टकरा रहे थे.
"आआहह ऊऊऊहह एस..." स्निग्धा जल्दी ही झाड़ गयी.
लेकिन आशु रुका नही और स्निग्धा की गान्ड को पकड़ कर लगातार उसकी चूत में लंड को घुमाता रहा.
"ऊऊहह नो प्लीज़ स्टॉप आआआहह" स्निग्धा एक और ऑर्गॅज़म में डूब गयी.
"कैसा लग रहा है?" आशु ने पूछा.
"इतनी गहराई तक कोई नही पहुँचा आज तक आअहह बर्दास्त
के बाहर हो रहा है...प्लीज़ अब रुक जाओ......आआआहह नो.....ओह....यस." स्निग्धा एक बार फिर झाड़ जाती है.
आशु स्निग्धा की चूत से लंड बाहर निकाल लेता है और उसकी गान्ड फैला कर उसकी गान्ड के छेद पर थूक लगा देता है. "अब आपकी गान्ड मारी जाएगी."
"मुझे डर लग रहा है इतना बड़ा कैसे घुसेगा वहाँ."
"घुस जाएगा आप धीरज रखो...ऐसा करो अपने दोनो हाथो से गान्ड को फैला लो...लंड घुसने में आसानी होगी."
स्निग्धा मरती क्या ना करती. उसने अपनी गान्ड आशु के लंड के लिए फैला ली. आशु ने गान्ड के छेद पर लंड टिका दिया और बोला, "तैयार हो ना मैं घुसा रहा हूँ."
स्निग्धा कुछ नही बोली. पर आशु ने धक्का लगा दिया और लंड का उपरी हिस्सा स्निग्धा की गान्ड में घुस गया.
"उफ्फ बहुत टाइट गान्ड है...किसी ने ली भी है ये या झूठ बोल रही थी..ये तो घुस ही नही रहा."
"तुम्हारा इतना बड़ा है तो मैं क्या करूँ....वो गुआर्द तो आराम से घुसा देता है."
"मूँगफली तो आराम से जाएगी ही असली बात तो मेरे जैसे लंड की है."
"आप रहने दीजिए....आआअहह नो....म्म्म्मममम" आशु ने लंड थोड़ा और अंदर सरका दिया था.
"जा रहा है धीरे धीरे...आआहह" आशु ने कहा.
धीरे धीरे आशु ने स्निग्धा की गान्ड में अपना पूरा लंड घुसेड दिया.
स्निग्धा पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी. वो बिना किसी झीजक के आशु के आगे घूम गयी और झुक गयी. आशु ने उसकी स्कर्ट उपर उठाई और उसकी पॅंटी नीचे सरका दी.
"सर मुझे बस यही डर है कि कही कोई आ ना जाए."
आशु अपने लंड पर थूक रगड़ रहा था. "आप चिंता मत करो कोई आएगा भी तो मैं संभाल लूँगा."
"आप वहाँ तो नही डालेंगे ना?"
"कहा?" आशु ने पूछा.
"वही गान्ड में."
"नही पहले आपकी चूत को रागडूंगा. जब उसकी तसल्ली हो जाएगी फिर गान्ड में डालूँगा."
"इतना बड़ा मेरे वहाँ नही जाएगा सर आगे की बात और है हालाँकि वहाँ भी मुश्किल होने वाली है."
"आप बिल्कुल चिंता मत करो मुझे अब गान्ड मारनी आती है...हे..हे."
आशु ने स्निग्धा की गान्ड को पकड़ लिया और एक ही झटके में पूरा लंड स्निग्धा की चूत में उतार दिया.
"ऊऊऊहह म्म्म्ममममममम मैं चिल्ला भी नही सकती आआहह बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है"
"थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा हे..हे..हे" आशु हँसने लगा.
"आप हँसो मत कोई सुन लेगा...आअहह"
"ओह हां.... सॉरी."
कुछ देर बाद आशु ने अपने लंड को स्निग्धा की चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उसके आँड बार बार स्निग्धा की चूत की पंखुड़ियों से टकरा रहे थे.
"आआहह ऊऊऊहह एस..." स्निग्धा जल्दी ही झाड़ गयी.
लेकिन आशु रुका नही और स्निग्धा की गान्ड को पकड़ कर लगातार उसकी चूत में लंड को घुमाता रहा.
"ऊऊहह नो प्लीज़ स्टॉप आआआहह" स्निग्धा एक और ऑर्गॅज़म में डूब गयी.
"कैसा लग रहा है?" आशु ने पूछा.
"इतनी गहराई तक कोई नही पहुँचा आज तक आअहह बर्दास्त
के बाहर हो रहा है...प्लीज़ अब रुक जाओ......आआआहह नो.....ओह....यस." स्निग्धा एक बार फिर झाड़ जाती है.
आशु स्निग्धा की चूत से लंड बाहर निकाल लेता है और उसकी गान्ड फैला कर उसकी गान्ड के छेद पर थूक लगा देता है. "अब आपकी गान्ड मारी जाएगी."
"मुझे डर लग रहा है इतना बड़ा कैसे घुसेगा वहाँ."
"घुस जाएगा आप धीरज रखो...ऐसा करो अपने दोनो हाथो से गान्ड को फैला लो...लंड घुसने में आसानी होगी."
स्निग्धा मरती क्या ना करती. उसने अपनी गान्ड आशु के लंड के लिए फैला ली. आशु ने गान्ड के छेद पर लंड टिका दिया और बोला, "तैयार हो ना मैं घुसा रहा हूँ."
स्निग्धा कुछ नही बोली. पर आशु ने धक्का लगा दिया और लंड का उपरी हिस्सा स्निग्धा की गान्ड में घुस गया.
"उफ्फ बहुत टाइट गान्ड है...किसी ने ली भी है ये या झूठ बोल रही थी..ये तो घुस ही नही रहा."
"तुम्हारा इतना बड़ा है तो मैं क्या करूँ....वो गुआर्द तो आराम से घुसा देता है."
"मूँगफली तो आराम से जाएगी ही असली बात तो मेरे जैसे लंड की है."
"आप रहने दीजिए....आआअहह नो....म्म्म्मममम" आशु ने लंड थोड़ा और अंदर सरका दिया था.
"जा रहा है धीरे धीरे...आआहह" आशु ने कहा.
धीरे धीरे आशु ने स्निग्धा की गान्ड में अपना पूरा लंड घुसेड दिया.