01-01-2020, 11:56 AM
"आप बहुत अश्लील बाते करते हो."
"अब जल्दी से ऐसी जगह बताओ जहा मैं आराम से तुम्हारी चूत में लंड घुसा सकूँ"
"ऐसी कोई जगह नही है यहा हे..हे" स्निग्धा हँसने लगती है.
"कोई बात नही ये सड़क काम करेगी चलो उस पेड़ के पीछे चलते हैं." आशु ने कहा.
"यहा नही नही आप पागल हो गये हैं."
आशु ने स्निग्धा का हाथ पकड़ा और बोला,"अरे आओ ना कब से तड़प रहा हूँ तुम्हारे लिए और तुम हो की नखरे कर रही हो."
आशु स्निग्धा को खींच कर पेड़ के पीछे ले आया.
"आप समझ नही रहे हैं...यहा ख़तरा है...कोई भी कभी भी आ सकता है."
"कितनी देर से हम यहा घूम रहे हैं...अभी तक तो कोई आया नही...कोई नही आएगा यहा."
आशु ने अपनी पेण्ट की चैन खोली और अपने भीमकाय लंड को बाहर खींच लिया.
"थामिये अपने हाथ में कोई आपका इंतेज़ार कर रहा है.
"आप ये ठीक नही कर रहे."
आशु ने स्निग्धा का हाथ पकड़ा और अपने तने हुए लंड पर रख दिया.
"ओह माय गॉड ये क्या है."
"लंड है भाई...ऐसे कह रही हो जैसे पहली बार देख रही हो...वो गुआर्द लंड ही तो पाले रहा था तुम्हारी चूत में. भूल जाती हो क्या लंड लेकर लंड को.?"
"पर ये कुछ ज़्यादा ही बड़ा है."
"मज़ाक अच्छा कर लेती हो अब ये मत कहना कि तुम इसे गान्ड में नही ले पाओगि क्योंकि मैने ये पूरा का पूरा तुम्हारी सेक्सी गान्ड में डालना है."
"ओह नो...आप कैसी बाते करते हैं."
आशु स्निग्धा को बाहों में जाकड़ लेता है और उसके होंठो को चूसने लगता है.
"वाओ यू आर वंडरफुल क्या होंठ है तुम्हारे...तुम्हारी चूत के होंठ भी ऐसे ही हैं क्या."
"मुझे नही पता...आहह" आशु ने उसके बूब्स को मसल दिया था.
आशु ने स्निग्धा के बूब्स को बाहर निकाल लिया और उन्हे चूसने लगा.
"आअहह सर कोई आ गया तो."
"कोई नही आएगा...तुम बस मज़े करो."
आशु ने अब स्निग्धा की गान्ड को थाम लिया और गान्ड के दोनो पुतो को मसल्ने लगा.
"अयाया आराम से."
"गान्ड में लिया हैं ना आपने पहले"
"हां पर इतना बड़ा नही आआहह."
"घूम जाओ और घूम कर झुक जाओ...वक्त बर्बाद करना ठीक नही है...तुम्हे अपनी ड्यूटी भी करनी है"
"अब जल्दी से ऐसी जगह बताओ जहा मैं आराम से तुम्हारी चूत में लंड घुसा सकूँ"
"ऐसी कोई जगह नही है यहा हे..हे" स्निग्धा हँसने लगती है.
"कोई बात नही ये सड़क काम करेगी चलो उस पेड़ के पीछे चलते हैं." आशु ने कहा.
"यहा नही नही आप पागल हो गये हैं."
आशु ने स्निग्धा का हाथ पकड़ा और बोला,"अरे आओ ना कब से तड़प रहा हूँ तुम्हारे लिए और तुम हो की नखरे कर रही हो."
आशु स्निग्धा को खींच कर पेड़ के पीछे ले आया.
"आप समझ नही रहे हैं...यहा ख़तरा है...कोई भी कभी भी आ सकता है."
"कितनी देर से हम यहा घूम रहे हैं...अभी तक तो कोई आया नही...कोई नही आएगा यहा."
आशु ने अपनी पेण्ट की चैन खोली और अपने भीमकाय लंड को बाहर खींच लिया.
"थामिये अपने हाथ में कोई आपका इंतेज़ार कर रहा है.
"आप ये ठीक नही कर रहे."
आशु ने स्निग्धा का हाथ पकड़ा और अपने तने हुए लंड पर रख दिया.
"ओह माय गॉड ये क्या है."
"लंड है भाई...ऐसे कह रही हो जैसे पहली बार देख रही हो...वो गुआर्द लंड ही तो पाले रहा था तुम्हारी चूत में. भूल जाती हो क्या लंड लेकर लंड को.?"
"पर ये कुछ ज़्यादा ही बड़ा है."
"मज़ाक अच्छा कर लेती हो अब ये मत कहना कि तुम इसे गान्ड में नही ले पाओगि क्योंकि मैने ये पूरा का पूरा तुम्हारी सेक्सी गान्ड में डालना है."
"ओह नो...आप कैसी बाते करते हैं."
आशु स्निग्धा को बाहों में जाकड़ लेता है और उसके होंठो को चूसने लगता है.
"वाओ यू आर वंडरफुल क्या होंठ है तुम्हारे...तुम्हारी चूत के होंठ भी ऐसे ही हैं क्या."
"मुझे नही पता...आहह" आशु ने उसके बूब्स को मसल दिया था.
आशु ने स्निग्धा के बूब्स को बाहर निकाल लिया और उन्हे चूसने लगा.
"आअहह सर कोई आ गया तो."
"कोई नही आएगा...तुम बस मज़े करो."
आशु ने अब स्निग्धा की गान्ड को थाम लिया और गान्ड के दोनो पुतो को मसल्ने लगा.
"अयाया आराम से."
"गान्ड में लिया हैं ना आपने पहले"
"हां पर इतना बड़ा नही आआहह."
"घूम जाओ और घूम कर झुक जाओ...वक्त बर्बाद करना ठीक नही है...तुम्हे अपनी ड्यूटी भी करनी है"