01-01-2020, 11:54 AM
Update 41
"मेरे दोस्त के हाथ में जो सरिंज लगी है... दर्द कर रही है आकर ज़रा देख लीजिए."
"ठीक है मैं आती हूँ जाओ."
"अभी चलिए वो परेशान है."
"ओये बोला ना इन्होने...जाओ यहा से."
आशु आगे बढ़ा और गार्ड की गर्दन पकड़ ली. "साले जैल में डाल दूँगा...ज़्यादा बकवास की तो."
"आप क्या पोलीस में हो." गार्ड गिड़गिदाया.
"और नही तो क्या...मेरा इरादा तुम दोनो को डिस्टर्ब करने का नही था...मैं तो जा ही रहा था कि इन्होने मुझे देख लिया."
"सॉरी सर चलिए आपके दोस्त को देख लेती हूँ ." स्निग्धा के तेवर भी ढीले हो गये.
स्निग्धा आशु के साथ चल दी.
"कुण्डी तो लगा लिया कीजिए कोई भी झाँक सकता है."
"सॉरी सर...ग़लती हो गयी किसी को बताना मत प्लीज़ मेरी नौकरी चली जाएगी."
आशु ने चलते चलते स्निग्धा की गान्ड पर हाथ मारा और बोला, "कोई बात नही आप मेरे दोस्त की केर कीजिए बस...आप उसे छोड़ कर यहाँ वहाँ रहेंगी तो कैसे चलेगा."
"सॉरी सर...मैं उनका पूरा ध्यान रखूँगी" स्निग्धा ने कहा.
स्निग्धा ने सरिंज चैक की.
"दर्द तो इसमे रहेगा...आप हाथ ज़्यादा मत हिलाओ." स्निग्धा ने सौरभ को कहा.
"क्या इसे निकाल नही सकते." सौरभ ने कहा.
"नही ग्लूकोस ज़रूरी है आपके लिए"
"कोई बात नही गुरु...हाथ का थोड़ा ध्यान रखो दर्द कम हो जाएगा."
सौरभ ने आशु को इशारे से अपने पास बुलाया और बोला, "इस नर्स की लेने के चक्कर में तो नही है तू...बड़ा घूर रहा है इसकी गान्ड को."
"गुरु कोशिश तो पूरी है...शायद काम बन जाए."
"चल मज़े कर तू...मुझे नींद आ रही है"
"गुरु बाहर एक कॉन्स्टेबल है...चिंता मत करना मैं इस नर्स का काम निपटा कर जल्दी आ जाउन्गा."
"जाओ ऐश करो." सौरभ हंस कर बोला.
"थॅंक यू स्निग्धा जी...आओ बाहर चलते हैं. मेरे दोस्त को नींद आ रही है."
आशु स्निग्धा के साथ बाहर आ जाता है.
"सर मुझे दूसरे पटेंट भी देखने हैं मैं चलती हूँ....कोई ज़रूरत हो तो बुला लीजिएगा" स्निग्धा ने कहा.
"ज़रूरत तो आपकी हर वक्त रहेगी...कहा मिलेंगी आप." आशु ने कहा.
"मैं उसी कमरे में मिलूंगी" स्निग्धा ने नज़रे झुका कर कहा.
"कितना वक्त लगेगा आपको सभी पेशेंट्स को अटेंड करने में"
"यही कोई एक घंटा."
"एक घंटा!" आशु के चेहरे पर हैरानी के भाव आ गये.
"हां सर इतना वक्त तो लगता ही है." सनेहा ने कहा और वहाँ से चली गयी.
आशु स्निग्धा को जाते हुए घूरता रहा. स्निग्धा की गान्ड चलते हुए कामुक अंदाज़ में चालक रही थी .आशु तो बस देखता ही रह गया.
"यार मामला कुछ जमता नज़र नही आ रहा...मैने इसकी गान्ड पर हाथ तो मारा था....शायद मेरा सिग्नल समझी नही ये." आशु सोच में पड़ गया.
"चलो कोई बात नही पेशेंट्स को अटेंड करना भी ज़रूरी है . वापिस आएगी तो फिर से ट्राइ करूँगा...मानेगी तो ठीक है वरना रहने देंगे." आशु वापिस सौरभ के पास आ गया. पर सौरभ तब तक सो चुका था.
"मेरे दोस्त के हाथ में जो सरिंज लगी है... दर्द कर रही है आकर ज़रा देख लीजिए."
"ठीक है मैं आती हूँ जाओ."
"अभी चलिए वो परेशान है."
"ओये बोला ना इन्होने...जाओ यहा से."
आशु आगे बढ़ा और गार्ड की गर्दन पकड़ ली. "साले जैल में डाल दूँगा...ज़्यादा बकवास की तो."
"आप क्या पोलीस में हो." गार्ड गिड़गिदाया.
"और नही तो क्या...मेरा इरादा तुम दोनो को डिस्टर्ब करने का नही था...मैं तो जा ही रहा था कि इन्होने मुझे देख लिया."
"सॉरी सर चलिए आपके दोस्त को देख लेती हूँ ." स्निग्धा के तेवर भी ढीले हो गये.
स्निग्धा आशु के साथ चल दी.
"कुण्डी तो लगा लिया कीजिए कोई भी झाँक सकता है."
"सॉरी सर...ग़लती हो गयी किसी को बताना मत प्लीज़ मेरी नौकरी चली जाएगी."
आशु ने चलते चलते स्निग्धा की गान्ड पर हाथ मारा और बोला, "कोई बात नही आप मेरे दोस्त की केर कीजिए बस...आप उसे छोड़ कर यहाँ वहाँ रहेंगी तो कैसे चलेगा."
"सॉरी सर...मैं उनका पूरा ध्यान रखूँगी" स्निग्धा ने कहा.
स्निग्धा ने सरिंज चैक की.
"दर्द तो इसमे रहेगा...आप हाथ ज़्यादा मत हिलाओ." स्निग्धा ने सौरभ को कहा.
"क्या इसे निकाल नही सकते." सौरभ ने कहा.
"नही ग्लूकोस ज़रूरी है आपके लिए"
"कोई बात नही गुरु...हाथ का थोड़ा ध्यान रखो दर्द कम हो जाएगा."
सौरभ ने आशु को इशारे से अपने पास बुलाया और बोला, "इस नर्स की लेने के चक्कर में तो नही है तू...बड़ा घूर रहा है इसकी गान्ड को."
"गुरु कोशिश तो पूरी है...शायद काम बन जाए."
"चल मज़े कर तू...मुझे नींद आ रही है"
"गुरु बाहर एक कॉन्स्टेबल है...चिंता मत करना मैं इस नर्स का काम निपटा कर जल्दी आ जाउन्गा."
"जाओ ऐश करो." सौरभ हंस कर बोला.
"थॅंक यू स्निग्धा जी...आओ बाहर चलते हैं. मेरे दोस्त को नींद आ रही है."
आशु स्निग्धा के साथ बाहर आ जाता है.
"सर मुझे दूसरे पटेंट भी देखने हैं मैं चलती हूँ....कोई ज़रूरत हो तो बुला लीजिएगा" स्निग्धा ने कहा.
"ज़रूरत तो आपकी हर वक्त रहेगी...कहा मिलेंगी आप." आशु ने कहा.
"मैं उसी कमरे में मिलूंगी" स्निग्धा ने नज़रे झुका कर कहा.
"कितना वक्त लगेगा आपको सभी पेशेंट्स को अटेंड करने में"
"यही कोई एक घंटा."
"एक घंटा!" आशु के चेहरे पर हैरानी के भाव आ गये.
"हां सर इतना वक्त तो लगता ही है." सनेहा ने कहा और वहाँ से चली गयी.
आशु स्निग्धा को जाते हुए घूरता रहा. स्निग्धा की गान्ड चलते हुए कामुक अंदाज़ में चालक रही थी .आशु तो बस देखता ही रह गया.
"यार मामला कुछ जमता नज़र नही आ रहा...मैने इसकी गान्ड पर हाथ तो मारा था....शायद मेरा सिग्नल समझी नही ये." आशु सोच में पड़ गया.
"चलो कोई बात नही पेशेंट्स को अटेंड करना भी ज़रूरी है . वापिस आएगी तो फिर से ट्राइ करूँगा...मानेगी तो ठीक है वरना रहने देंगे." आशु वापिस सौरभ के पास आ गया. पर सौरभ तब तक सो चुका था.