01-01-2020, 11:44 AM
रात बीत जाती है. सुबह के कोई 6:30 बजे एक नर्स बाहर आती है.
"सिस्टर क्या मेरे दोस्त को होश आ गया." आशु ने पूछा.
"हां...थोड़ी देर पहले ही उसने आँखे खोली है मैं डॉक्टर को बुलाने जा रही हूँ."
आशु और श्रद्धा की खुशी का ठीकना नही रहा. आशु ने श्रद्धा को बाहों में भर लिया और बोला,"तुम्हारी वजह से गुरु की जान बच गयी...तू घर चल अच्छे से लूँगा तेरी."
"सस्शह सिस्टर सुन रही है." श्रद्धा ने कहा.
"ओह सॉरी ध्यान ही नही रहा." आशु सर खुजाने लगा.
नर्स सर हिलेट हुए वहाँ से चली गयी.
डॉक्टर सौरभ को देखता है और बाहर आकर कहता है, "अब तुम्हारा दोस्त ख़तरे से बाहर है."
"क्या मैं उस से मिल सकता हूँ"
"नही पोलीस केस है ये...पहले पोलीस उसका बयान लेगी तभी तुम मिल सकते हो."
"मैं सब इनस्पेक्टर आशुतोष हूँ...मैं खुद उसका बयान लूँगा."
"इज़ देट सो...अगर ऐसा है तो गो अहेड...मुझे कोई ऐतराज़ नही है...पोलीस वाले ही बाद में आकर ऐतराज़ करते हैं."
"डोंट वरी डॉक्टर...ऐसा कुछ नही होगा." आशु ने कहा.
आशु श्रद्धा को साथ लेकर सौरभ के पास आ गया.
"गुरु दारू पीते पीते किस चक्कर में फँस गये." आशु ने कहा.
"पूछ मत यार बहुत बुरी रात थी ये मेरे लिए...एक मिनिट ज़रा श्रद्धा को बाहर भेज दो." सौरभ ने कहा.
"श्रद्धा ने ही तुम्हारी जान बच्चाई है पहले उसे धन्यवाद तो कर दो." आशु ने सौरभ को पूरी बात बताई.
सौरभ ने श्रद्धा को पास बुलाया और बोला, "थॅंक यू श्रद्धा तुमने बड़ी समझदारी दिखाई."
"थॅंक यू किस बात का ये तो मेरा फ़र्ज़ था. तुम दोनो बात करो मैं बाहर वेट करती हूँ" श्रद्धा ने कहा.
श्रद्धा बाहर आ गयी.
सौरभ आशु को बबलू के घर से लेकर साइको से भिड़ंत तक पूरी कहानी सुनाता है.
"गुरु एक-एक करके तुम्हारे दोस्त टपक रहे हैं...मेरा क्या होगा."
"अबे सब इत्तेफ़ाक है."
"अच्छा किया जो उस कामीने साइको को चाकू मारा."
"बहुत गहरा घाव हुआ होगा साले को...वो भी किसी हॉस्पिटल में पड़ा होगा अभी."
सौरभ की बात सुनते ही आशु ने तुरंत अपना मोबायल निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन किया. उसने चौहान को सौरभ और साइको की भिड़ंत के बारे में बता दिया.
"सर उसे भी चाकू लगा है..हो ना हो वो भी किसी हॉस्पिटल या क्लिनिक में होगा...हमें शहर के सभी क्लिनिक और हॉस्पिटल चेक करने चाहिए." आशु ने कहा.
"वाह बर्खुरदार तुम तो अभी से काम सीख गये...मैं तुरंत अलग अलग टीम्स भेजता हूँ. तुम उस हॉस्पिटल में चेक करो."
"जी सर... एक-दो कॉन्स्टेबल यहा भी भेज दो जो यहा मेरे दोस्त के कमरे के बाहर रहे." आशु ने कहा.
"ठीक है भेजता हूँ...पर एक ही मिल पाएगा."
"एक ही भेज दो सर...मैं तो हूँ ही यहा...मैं हॉस्पिटल में चेक करूँगा तो वो यहा खड़ा रहेगा."
आशु ने मोबायल वापिस जेब में डाल लिया.
"गुरु तुम आराम करो मैं इस हॉस्पिटल को चेक करता हूँ क्या पता वो साइको भी यही आया हो." आशु ने कहा.
"अपर्णा कैसी है?" सौरभ ने पूछा.
"ओह...अपर्णा जी के बारे में बताना तो भूल ही गया. वो अपने घर चली गयी है." आशु सौरभ को पूरी बात बताता है.
"अच्छा किया यार तूने मेरे सर पर बोझ बना हुआ था."
"हां गुरु बहुत अच्छा हुआ...मैं अभी चलता हूँ बाद में बात करते हैं." आशु ने कहा.
"सिस्टर क्या मेरे दोस्त को होश आ गया." आशु ने पूछा.
"हां...थोड़ी देर पहले ही उसने आँखे खोली है मैं डॉक्टर को बुलाने जा रही हूँ."
आशु और श्रद्धा की खुशी का ठीकना नही रहा. आशु ने श्रद्धा को बाहों में भर लिया और बोला,"तुम्हारी वजह से गुरु की जान बच गयी...तू घर चल अच्छे से लूँगा तेरी."
"सस्शह सिस्टर सुन रही है." श्रद्धा ने कहा.
"ओह सॉरी ध्यान ही नही रहा." आशु सर खुजाने लगा.
नर्स सर हिलेट हुए वहाँ से चली गयी.
डॉक्टर सौरभ को देखता है और बाहर आकर कहता है, "अब तुम्हारा दोस्त ख़तरे से बाहर है."
"क्या मैं उस से मिल सकता हूँ"
"नही पोलीस केस है ये...पहले पोलीस उसका बयान लेगी तभी तुम मिल सकते हो."
"मैं सब इनस्पेक्टर आशुतोष हूँ...मैं खुद उसका बयान लूँगा."
"इज़ देट सो...अगर ऐसा है तो गो अहेड...मुझे कोई ऐतराज़ नही है...पोलीस वाले ही बाद में आकर ऐतराज़ करते हैं."
"डोंट वरी डॉक्टर...ऐसा कुछ नही होगा." आशु ने कहा.
आशु श्रद्धा को साथ लेकर सौरभ के पास आ गया.
"गुरु दारू पीते पीते किस चक्कर में फँस गये." आशु ने कहा.
"पूछ मत यार बहुत बुरी रात थी ये मेरे लिए...एक मिनिट ज़रा श्रद्धा को बाहर भेज दो." सौरभ ने कहा.
"श्रद्धा ने ही तुम्हारी जान बच्चाई है पहले उसे धन्यवाद तो कर दो." आशु ने सौरभ को पूरी बात बताई.
सौरभ ने श्रद्धा को पास बुलाया और बोला, "थॅंक यू श्रद्धा तुमने बड़ी समझदारी दिखाई."
"थॅंक यू किस बात का ये तो मेरा फ़र्ज़ था. तुम दोनो बात करो मैं बाहर वेट करती हूँ" श्रद्धा ने कहा.
श्रद्धा बाहर आ गयी.
सौरभ आशु को बबलू के घर से लेकर साइको से भिड़ंत तक पूरी कहानी सुनाता है.
"गुरु एक-एक करके तुम्हारे दोस्त टपक रहे हैं...मेरा क्या होगा."
"अबे सब इत्तेफ़ाक है."
"अच्छा किया जो उस कामीने साइको को चाकू मारा."
"बहुत गहरा घाव हुआ होगा साले को...वो भी किसी हॉस्पिटल में पड़ा होगा अभी."
सौरभ की बात सुनते ही आशु ने तुरंत अपना मोबायल निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन किया. उसने चौहान को सौरभ और साइको की भिड़ंत के बारे में बता दिया.
"सर उसे भी चाकू लगा है..हो ना हो वो भी किसी हॉस्पिटल या क्लिनिक में होगा...हमें शहर के सभी क्लिनिक और हॉस्पिटल चेक करने चाहिए." आशु ने कहा.
"वाह बर्खुरदार तुम तो अभी से काम सीख गये...मैं तुरंत अलग अलग टीम्स भेजता हूँ. तुम उस हॉस्पिटल में चेक करो."
"जी सर... एक-दो कॉन्स्टेबल यहा भी भेज दो जो यहा मेरे दोस्त के कमरे के बाहर रहे." आशु ने कहा.
"ठीक है भेजता हूँ...पर एक ही मिल पाएगा."
"एक ही भेज दो सर...मैं तो हूँ ही यहा...मैं हॉस्पिटल में चेक करूँगा तो वो यहा खड़ा रहेगा."
आशु ने मोबायल वापिस जेब में डाल लिया.
"गुरु तुम आराम करो मैं इस हॉस्पिटल को चेक करता हूँ क्या पता वो साइको भी यही आया हो." आशु ने कहा.
"अपर्णा कैसी है?" सौरभ ने पूछा.
"ओह...अपर्णा जी के बारे में बताना तो भूल ही गया. वो अपने घर चली गयी है." आशु सौरभ को पूरी बात बताता है.
"अच्छा किया यार तूने मेरे सर पर बोझ बना हुआ था."
"हां गुरु बहुत अच्छा हुआ...मैं अभी चलता हूँ बाद में बात करते हैं." आशु ने कहा.