01-01-2020, 11:38 AM
सरिता दरवाजा बंद करके वही सोफे पर बैठ गयी. उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था.
सौरभ कुछ ही दूरी पर लाश को सुनसान सी जगह देख कर छोड़ आया. वापिस आ कर उसने फर्श पर खून के निशान साफ किए.
"मैं आपका अहसान कभी नही भूलूंगी....बोलिए मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ" सरिता ने कहा.
"आप जैसी खूबसूरत विमन मेरे लिए एक ही काम कर सकती है." सौरभ शरारती अंदाज में कहा.
पहले तो सरिता को समझ नही आया. लेकिन जब उसे सौरभ की बात समझ आई तो वो शर्मा गयी.
"बबलू मुझे ब्लॅकमेल कर रहा था...मुझे ग़लत मत समझना..मैं ऐसी औरत नही हूँ."
"किस लड़के के साथ पकड़ा था बबलू ने तुम्हे."
"मैं उसे प्यार करती हूँ...शादी से पहले का प्यार है मेरा उस से."
इसका मतलब मेरा कोई चांस नही." सौरभ ने निराशा भरे शब्दो में कहा.
"नही मेरा वो मतलब नही था." सरिता नज़रे झुका कर बोली.
"फिर ठीक है...देख मेरा आज मन नही है...फिर कभी चलेगा."
"मेरे लिए भी ये ठीक रहेगा...पर प्लीज़ मेरे बारे में किसी को मत बताना."
"भरोसा रखो मुझ पे...जाओ तुम अपने घर जाओ...फिर कभी मिलते हैं."
"ओके...थॅंक यू वेरी मच फॉर हेल्पिंग मी इन दिस सिचुयेशन."
"गुड नाइट." सौरभ ने कहा.
सरिता छत के रास्ते से ही अपने घर वापिस आ गयी. सौरभ बबलू के घर का ताला लगा कर वहाँ से चल दिया.
"उफ्फ इतनी रात को कुछ नही मिलेगा. बबलू की बायक ले जाना ठीक नही था."
सौरभ पैदल ही अंधेरी सड़क पर चल पड़ा.
रात का सन्नाटा बहुत भयानक था. रह रह कर कुत्तो के भोंकने की आवाज़ आ रही थी. सौरभ को बार-बार ऐसा लग रहा था जैसे की कोई उसका पीछा कर रहा है. उसने काई बार पीछे मूड कर देखा पर उसे कोई दिखाई नही दिया.
"अच्छा ख़ासा पूजा को छोड़ कर वापिस जा रहा था...ना जाने कहा से ये बबलू आ गया. बहुत बुरा हुआ बेचारे के साथ पर. गान्ड मारने के चक्कर में खुद ही मारा गया बेचारा. भगवान उसकी आत्मा को शांति दे."
सौरभ आगे बढ़ा जा रहा था.
सौरभ कुछ ही दूरी पर लाश को सुनसान सी जगह देख कर छोड़ आया. वापिस आ कर उसने फर्श पर खून के निशान साफ किए.
"मैं आपका अहसान कभी नही भूलूंगी....बोलिए मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ" सरिता ने कहा.
"आप जैसी खूबसूरत विमन मेरे लिए एक ही काम कर सकती है." सौरभ शरारती अंदाज में कहा.
पहले तो सरिता को समझ नही आया. लेकिन जब उसे सौरभ की बात समझ आई तो वो शर्मा गयी.
"बबलू मुझे ब्लॅकमेल कर रहा था...मुझे ग़लत मत समझना..मैं ऐसी औरत नही हूँ."
"किस लड़के के साथ पकड़ा था बबलू ने तुम्हे."
"मैं उसे प्यार करती हूँ...शादी से पहले का प्यार है मेरा उस से."
इसका मतलब मेरा कोई चांस नही." सौरभ ने निराशा भरे शब्दो में कहा.
"नही मेरा वो मतलब नही था." सरिता नज़रे झुका कर बोली.
"फिर ठीक है...देख मेरा आज मन नही है...फिर कभी चलेगा."
"मेरे लिए भी ये ठीक रहेगा...पर प्लीज़ मेरे बारे में किसी को मत बताना."
"भरोसा रखो मुझ पे...जाओ तुम अपने घर जाओ...फिर कभी मिलते हैं."
"ओके...थॅंक यू वेरी मच फॉर हेल्पिंग मी इन दिस सिचुयेशन."
"गुड नाइट." सौरभ ने कहा.
सरिता छत के रास्ते से ही अपने घर वापिस आ गयी. सौरभ बबलू के घर का ताला लगा कर वहाँ से चल दिया.
"उफ्फ इतनी रात को कुछ नही मिलेगा. बबलू की बायक ले जाना ठीक नही था."
सौरभ पैदल ही अंधेरी सड़क पर चल पड़ा.
रात का सन्नाटा बहुत भयानक था. रह रह कर कुत्तो के भोंकने की आवाज़ आ रही थी. सौरभ को बार-बार ऐसा लग रहा था जैसे की कोई उसका पीछा कर रहा है. उसने काई बार पीछे मूड कर देखा पर उसे कोई दिखाई नही दिया.
"अच्छा ख़ासा पूजा को छोड़ कर वापिस जा रहा था...ना जाने कहा से ये बबलू आ गया. बहुत बुरा हुआ बेचारे के साथ पर. गान्ड मारने के चक्कर में खुद ही मारा गया बेचारा. भगवान उसकी आत्मा को शांति दे."
सौरभ आगे बढ़ा जा रहा था.