01-01-2020, 11:37 AM
Update 39
"अच्छा...अच्छा ठीक है चुप हो जाओ" सौरभ ने कहा.
"मैं बर्बाद हो गयी मेरा ये इरादा नही था."
"तेरे साथ पहले कर तो रखा था इसने...दुबारा करवाने में क्या हर्ज़ था." सौरभ ने पूछा.
"ये ज़बरदस्ती अनल कर रहा था." सरिता ने सुबक्ते हुए कहा
"तो क्या हुआ अनल ईज़ ए नॉर्मल सेक्स" सौरभ ने कहा.
"पर मैने कभी नही किया" सरिता ने अपनी नज़रे झुका कर कहा. उसे ये बाते करते हुए शरम आ रही थी.
"ह्म्म...फिर तो तुम्हारे लिए अबनॉर्मल है." सौरभ ने कहा.
"अब मेरा क्या होगा....मुझे तो जैल जाना पड़ेगा." सरिता सुबक्ते हुए बोली.
"मुझे सोचने दो...मैं कुछ ना कुछ करता हूँ."
"तुम क्या कर सकते हो इस में" सरिता ने हैरानी में पूछा.
"थोड़ा सोचने तो दो." सौरभ ने कहा.
"मिल गया एक काम कर सकते हैं हम." सौरभ ने कहा.
"क्या बोलो."
"आजकल साइको किलर का ख़ौफ़ है शहर में...क्यों ना इस कतल का इल्ज़ाम हम उस पर डाल दे."
"क्या ऐसा हो सकता है?"
"बिल्कुल हो सकता है." सौरभ ने कहा.
"तुम ऐसा क्यों करोगे...तुम्हारे दोस्त को मारा है मैने."
"देखो ये हादसा है...बबलू तो मर ही चुका है तुम्हारी जिंदगी क्यों बर्बाद हो." सौरभ ने कहा.
"पर ये सब कैसे होगा." सरिता ने कहा.
"यही सोचने वाली बात है." सौरभ ने कहा.
सौरभ ने लाइट बंद कर दी और खिड़की से बाहर झाँक कर देखा. "बबलू की लाश को हमें बाहर कही फेकना होगा." सौरभ ने कहा.
"बाहर पर कैसे?"
"तुम्हारे पास कार है?"
"हां है."
"चाबी है इस वक्त तुम्हारे पास."
"नही वो तो घर पड़ी है."
"जाओ जा कर ले आओ...ये काम जल्द से जल्द करना होगा." सौरभ ने कहा.
"ठीक है मैं अभी चाबी लेकर आती हूँ" सरिता वहाँ से चल पड़ी.
सौरभ ने बबलू की लाश को चादर में लपेट लिया. "माफ़ करना दोस्त पर ये सब करना ज़रूरी है. किसी की जिंदगी का सवाल है," सौरभ ने धीरे से कहा.
सरिता कार की चाबी ले आई.
"कार ले आओ यहा." सौरभ ने कहा.
"मुझे बाहर जाने से डर लग रहा है...प्लीज़ कार तुम ले आओ मेरे घर के बाहर ही खड़ी है." सरिता ने कहा.
"लाओ चाबी मुझे दो."
सरिता ने चाबी सौरभ के हाथ में थमा दी. सौरभ फ़ौरन कार घर के बाहर ले आया.
सौरभ ने बबलू की लाश को उठाया और लाश को चुपचाप बाहर ले आया. उसने लाश डिकी में डाल दी.
"तुम यही रूको मैं लाश को ठिकाने लगा कर आता हूँ." सौरभ ने कहा.
"अच्छा...अच्छा ठीक है चुप हो जाओ" सौरभ ने कहा.
"मैं बर्बाद हो गयी मेरा ये इरादा नही था."
"तेरे साथ पहले कर तो रखा था इसने...दुबारा करवाने में क्या हर्ज़ था." सौरभ ने पूछा.
"ये ज़बरदस्ती अनल कर रहा था." सरिता ने सुबक्ते हुए कहा
"तो क्या हुआ अनल ईज़ ए नॉर्मल सेक्स" सौरभ ने कहा.
"पर मैने कभी नही किया" सरिता ने अपनी नज़रे झुका कर कहा. उसे ये बाते करते हुए शरम आ रही थी.
"ह्म्म...फिर तो तुम्हारे लिए अबनॉर्मल है." सौरभ ने कहा.
"अब मेरा क्या होगा....मुझे तो जैल जाना पड़ेगा." सरिता सुबक्ते हुए बोली.
"मुझे सोचने दो...मैं कुछ ना कुछ करता हूँ."
"तुम क्या कर सकते हो इस में" सरिता ने हैरानी में पूछा.
"थोड़ा सोचने तो दो." सौरभ ने कहा.
"मिल गया एक काम कर सकते हैं हम." सौरभ ने कहा.
"क्या बोलो."
"आजकल साइको किलर का ख़ौफ़ है शहर में...क्यों ना इस कतल का इल्ज़ाम हम उस पर डाल दे."
"क्या ऐसा हो सकता है?"
"बिल्कुल हो सकता है." सौरभ ने कहा.
"तुम ऐसा क्यों करोगे...तुम्हारे दोस्त को मारा है मैने."
"देखो ये हादसा है...बबलू तो मर ही चुका है तुम्हारी जिंदगी क्यों बर्बाद हो." सौरभ ने कहा.
"पर ये सब कैसे होगा." सरिता ने कहा.
"यही सोचने वाली बात है." सौरभ ने कहा.
सौरभ ने लाइट बंद कर दी और खिड़की से बाहर झाँक कर देखा. "बबलू की लाश को हमें बाहर कही फेकना होगा." सौरभ ने कहा.
"बाहर पर कैसे?"
"तुम्हारे पास कार है?"
"हां है."
"चाबी है इस वक्त तुम्हारे पास."
"नही वो तो घर पड़ी है."
"जाओ जा कर ले आओ...ये काम जल्द से जल्द करना होगा." सौरभ ने कहा.
"ठीक है मैं अभी चाबी लेकर आती हूँ" सरिता वहाँ से चल पड़ी.
सौरभ ने बबलू की लाश को चादर में लपेट लिया. "माफ़ करना दोस्त पर ये सब करना ज़रूरी है. किसी की जिंदगी का सवाल है," सौरभ ने धीरे से कहा.
सरिता कार की चाबी ले आई.
"कार ले आओ यहा." सौरभ ने कहा.
"मुझे बाहर जाने से डर लग रहा है...प्लीज़ कार तुम ले आओ मेरे घर के बाहर ही खड़ी है." सरिता ने कहा.
"लाओ चाबी मुझे दो."
सरिता ने चाबी सौरभ के हाथ में थमा दी. सौरभ फ़ौरन कार घर के बाहर ले आया.
सौरभ ने बबलू की लाश को उठाया और लाश को चुपचाप बाहर ले आया. उसने लाश डिकी में डाल दी.
"तुम यही रूको मैं लाश को ठिकाने लगा कर आता हूँ." सौरभ ने कहा.