01-01-2020, 11:22 AM
श्रद्धा रह रह कर करवट बदल रही थी.
"नींद क्यों नही आ रही मुझे?" श्रद्धा धीरे से बोली.
उसे फिर से घर के बाहर कुछ हलचल सुनाई दी. वो फ़ौरन उठ कर खिड़की पर आ गयी.
"क्या ये भोलू अभी भी यही घूम रहा है" श्रद्धा ने सोचा.
बाहर कुछ दीखाई नही दिया. पर आस पास कुछ हलचल ज़रूर हो रही थी.
"कही आशु तो नही...उसे पता चल गया होगा कि मेरा बापू यहा नही है आज भी...शायद वो मेरे लिए यहा आया हो...पर वो आएगा तो धीरे से दरवाजा तो खड़काएगा ही. वैसे उसका कुछ नही पता एक बार बहुत देर तक खड़ा रहा था बाहर और मुझे खबर भी नही लगी...दरवाजा खोल कर देखूं क्या...नही...नही...दरवाजा खोलना ठीक नही होगा."
पर श्रद्धा को लग रहा था कि बाहर कोई है ज़रूर. ना जाने उसे क्या सूझी...उसने हल्का सा दरवाजा खोला और बाहर झाँक कर दाए बाए देखा. "यहा तो कोई भी नही है बस कुत्ते भोंक रहे हैं."
श्रद्धा दो कदम बाहर आ गयी और चारो तरफ देखने लगी. अचानक उसे किसी ने पीछे से दबोच लिया. उसके मूह को भी दबोच लिया गया था इसलिए वो चिल्ला नही पाई.
"घबराओ मत मैं हूँ... भोलू" भोलू ने कहा और श्रद्धा के मूह से हाथ हटा लिया.
"तुम यहा क्या कर रहे हो...छोडो मुझे." श्रद्धा ने कहा.
"कल तू बड़ी जल्दी भाग गयी थी...मेरा तो एक बार और मन था."
श्रद्धा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड महसूस हुआ. "इस लंड को मेरी गान्ड से हटाओ"
"क्यों अच्छा नही लग रहा क्या."
"पहले ये बताओ तुम यहा कर क्या रहे हो इतनी रात को."
"तेरे लिए भटक रहा था यहा. किसी ने मुझे बताया कि तेरा बापू आज नही आया तो मैने सोचा क्यों ना तेरे साथ एक और रात बिताई जाए."
"तुम झूठ बोल रहे हो छोडो मुझे." श्रद्धा ने कहा.
"चल ना नखरे मत कर...चल मेरे घर चलते हैं"
"ना बाबा ना मैं वहां नही जाउंगी."
"तो चल तेरे घर में ही करते हैं."
"मेरी छोटी बहन है साथ वो सो रही है"
"उसकी भी ले लूँगा चिंता क्यों करती है."
"चुप कर मेरी बहन के बारे में कुछ भी बोला तो ज़ुबान खींच लूँगी"
"फिर चल ना मेरे घर चलते हैं."
श्रद्धा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड लगातार फील हो रहा था और वो धीरे धीरे बहकने लगी थी. उसका मन भी चुदाई के लिए तड़प रहा था पर वो भोलू के साथ जाने से डर रही थी.
"नींद क्यों नही आ रही मुझे?" श्रद्धा धीरे से बोली.
उसे फिर से घर के बाहर कुछ हलचल सुनाई दी. वो फ़ौरन उठ कर खिड़की पर आ गयी.
"क्या ये भोलू अभी भी यही घूम रहा है" श्रद्धा ने सोचा.
बाहर कुछ दीखाई नही दिया. पर आस पास कुछ हलचल ज़रूर हो रही थी.
"कही आशु तो नही...उसे पता चल गया होगा कि मेरा बापू यहा नही है आज भी...शायद वो मेरे लिए यहा आया हो...पर वो आएगा तो धीरे से दरवाजा तो खड़काएगा ही. वैसे उसका कुछ नही पता एक बार बहुत देर तक खड़ा रहा था बाहर और मुझे खबर भी नही लगी...दरवाजा खोल कर देखूं क्या...नही...नही...दरवाजा खोलना ठीक नही होगा."
पर श्रद्धा को लग रहा था कि बाहर कोई है ज़रूर. ना जाने उसे क्या सूझी...उसने हल्का सा दरवाजा खोला और बाहर झाँक कर दाए बाए देखा. "यहा तो कोई भी नही है बस कुत्ते भोंक रहे हैं."
श्रद्धा दो कदम बाहर आ गयी और चारो तरफ देखने लगी. अचानक उसे किसी ने पीछे से दबोच लिया. उसके मूह को भी दबोच लिया गया था इसलिए वो चिल्ला नही पाई.
"घबराओ मत मैं हूँ... भोलू" भोलू ने कहा और श्रद्धा के मूह से हाथ हटा लिया.
"तुम यहा क्या कर रहे हो...छोडो मुझे." श्रद्धा ने कहा.
"कल तू बड़ी जल्दी भाग गयी थी...मेरा तो एक बार और मन था."
श्रद्धा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड महसूस हुआ. "इस लंड को मेरी गान्ड से हटाओ"
"क्यों अच्छा नही लग रहा क्या."
"पहले ये बताओ तुम यहा कर क्या रहे हो इतनी रात को."
"तेरे लिए भटक रहा था यहा. किसी ने मुझे बताया कि तेरा बापू आज नही आया तो मैने सोचा क्यों ना तेरे साथ एक और रात बिताई जाए."
"तुम झूठ बोल रहे हो छोडो मुझे." श्रद्धा ने कहा.
"चल ना नखरे मत कर...चल मेरे घर चलते हैं"
"ना बाबा ना मैं वहां नही जाउंगी."
"तो चल तेरे घर में ही करते हैं."
"मेरी छोटी बहन है साथ वो सो रही है"
"उसकी भी ले लूँगा चिंता क्यों करती है."
"चुप कर मेरी बहन के बारे में कुछ भी बोला तो ज़ुबान खींच लूँगी"
"फिर चल ना मेरे घर चलते हैं."
श्रद्धा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड लगातार फील हो रहा था और वो धीरे धीरे बहकने लगी थी. उसका मन भी चुदाई के लिए तड़प रहा था पर वो भोलू के साथ जाने से डर रही थी.