01-01-2020, 11:15 AM
Update 35
मैं दो दिन देल्ही रही और अंकल ने मेरी चार बार ली. उसके बाद मुझे बार इच्छा होने लगी. फिर मेरा टांका दिनेश से भीड़ गया. उसके बाद आशु मिल गया. आशु के साथ कैसे हुआ वो बड़ी मज़ेदार कहानी है सुनोगी क्या?
श्रद्धा ने ध्यान से देखा तो पाया कि पूजा सो चुकी है.
"ये भी अपर्णा जैसी है मेरी बातो में कोई रूचि नही लेती हा...और ना अपनी बताती है."
श्रद्धा ने घड़ी में देखा की रात के 10 बज चुके थे.
बाहर कुत्तो के भोंकने की आवाज़ से श्रद्धा सहम गयी.
"कही वो यही कही तो नही घूम रहा." श्रद्धा ने सोचा.
"ओफ पहले पता होता की आज बापू नही आ रहे तो आशु के साथ कोई प्रोग्राम बना लेती आज की रात बेकार जाएगी."
अचानक श्रद्धा को घर के बाहर कुछ हलचल सुनाई देती है. वो लाइट बंद करके खिड़की से बाहर झाँक कर देखती है.
"ये भोलू यहा क्या कर रहा है?" श्रद्धा ने सोचा.
मुझे तो ये भोलू ही कातिल लगता है. आशु और सौरभ को बेवकूफ़ बनाया है इसने. पर ये इस वक्त मेरे घर के बाहर क्या कर रहा है." श्रद्धा ने सोचा.
बाहर सन्नाटा फैला था और कुत्ते बार बार भोंक रहे थे. भोलू श्रद्धा के घर के बाहर खड़ा था.
"आख़िर ये चाहता क्या है, क्यों खड़ा है मेरे घर के बाहर"
श्रद्धा भोलू पर बराबर नज़र रखे हुए थी. अचानक भोलू वहां से चल दिया.
"कहा जा रहा है ये, इसका घर तो उस तरफ है" श्रद्धा सोच में डूब गयी.
कुछ देर तक श्रद्धा खिड़की पर खड़ी खड़ी बाहर झाँकति रही. जब उसे कुछ नज़र नही आया तो वापिस अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी.
"कुछ तो गड़बड़ है भोलू के साथ.....कामीने ने मेरी गान्ड ले ली. पर इस बात का शूकर है की मेरी जान तो नही ली. आशु को आज की बात बताउन्गि. पर वो खड़ा ही तो था मेरे घर के बाहर...कही वो मेरे चक्कर में तो यहा नही था. नही नही पर आज मैं उसके साथ नही जाती बड़ी चालाकी से गान्ड मारता है....ओफ पर मेरी रात तो बेकार जा रही है" श्रद्धा पड़े पड़े कुछ ना कुछ सोचे जा रही है.
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मैं दो दिन देल्ही रही और अंकल ने मेरी चार बार ली. उसके बाद मुझे बार इच्छा होने लगी. फिर मेरा टांका दिनेश से भीड़ गया. उसके बाद आशु मिल गया. आशु के साथ कैसे हुआ वो बड़ी मज़ेदार कहानी है सुनोगी क्या?
श्रद्धा ने ध्यान से देखा तो पाया कि पूजा सो चुकी है.
"ये भी अपर्णा जैसी है मेरी बातो में कोई रूचि नही लेती हा...और ना अपनी बताती है."
श्रद्धा ने घड़ी में देखा की रात के 10 बज चुके थे.
बाहर कुत्तो के भोंकने की आवाज़ से श्रद्धा सहम गयी.
"कही वो यही कही तो नही घूम रहा." श्रद्धा ने सोचा.
"ओफ पहले पता होता की आज बापू नही आ रहे तो आशु के साथ कोई प्रोग्राम बना लेती आज की रात बेकार जाएगी."
अचानक श्रद्धा को घर के बाहर कुछ हलचल सुनाई देती है. वो लाइट बंद करके खिड़की से बाहर झाँक कर देखती है.
"ये भोलू यहा क्या कर रहा है?" श्रद्धा ने सोचा.
मुझे तो ये भोलू ही कातिल लगता है. आशु और सौरभ को बेवकूफ़ बनाया है इसने. पर ये इस वक्त मेरे घर के बाहर क्या कर रहा है." श्रद्धा ने सोचा.
बाहर सन्नाटा फैला था और कुत्ते बार बार भोंक रहे थे. भोलू श्रद्धा के घर के बाहर खड़ा था.
"आख़िर ये चाहता क्या है, क्यों खड़ा है मेरे घर के बाहर"
श्रद्धा भोलू पर बराबर नज़र रखे हुए थी. अचानक भोलू वहां से चल दिया.
"कहा जा रहा है ये, इसका घर तो उस तरफ है" श्रद्धा सोच में डूब गयी.
कुछ देर तक श्रद्धा खिड़की पर खड़ी खड़ी बाहर झाँकति रही. जब उसे कुछ नज़र नही आया तो वापिस अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी.
"कुछ तो गड़बड़ है भोलू के साथ.....कामीने ने मेरी गान्ड ले ली. पर इस बात का शूकर है की मेरी जान तो नही ली. आशु को आज की बात बताउन्गि. पर वो खड़ा ही तो था मेरे घर के बाहर...कही वो मेरे चक्कर में तो यहा नही था. नही नही पर आज मैं उसके साथ नही जाती बड़ी चालाकी से गान्ड मारता है....ओफ पर मेरी रात तो बेकार जा रही है" श्रद्धा पड़े पड़े कुछ ना कुछ सोचे जा रही है.
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