01-01-2020, 11:09 AM
आशु ने दरवाजा खोला. सामने पूजा खड़ी थी.
"पूजा तुम आओ...आओ" आशु ने कहा.
पूजा अंदर आ गयी और अपर्णा के पास बैठ गयी.
"क्या हुआ तुम सब खामोस क्यों हो" पूजा ने पूछा.
"जिसे तुम कातिल बता रही थी वो भी कातिल नही है" सौरभ ने कहा.
"क्या! ऐसा नही हो सकता" पूजा ने कहा.
"ऐसा ही है पूजा" अपर्णा ने कहा.
"सॉरी मैने तुम लोगो का वक्त बर्बाद किया" पूजा ने कहा.
"कोई बात नही इसी बहाने हमे आपका साथ मिल गया." सौरभ ने कहा.
पूजा ने सौरभ की तरफ देखा और बोली,"मैं अपर्णा का साथ दे रही हूँ ना कि तुम्हारा"
"बात तो एक ही है हम सब साथ हैं" सौरभ ने कहा.
"अपर्णा आय ऍम रियली सॉरी...मैं तो बस तुम्हारी मदद करना चाहती थी." पूजा ने अपर्णा के कंधे पर हाथ रख कर कहा.
"इट्स ओके पूजा...थॅंक्स फॉर योर लव एन्ड सपोर्ट" अपर्णा ने कहा.
"हां हां आपका लव और सपोर्ट हमे हमेशा याद रहेगा" सौरभ ने कहा.
"ये गुरु को क्या हो गया अभी तो मूह लटकाए बैठा था अभी पूजा से फ्लर्ट कर रहा है." आशु ने सोचा.
"अच्छा मैं चलती हूँ...मैं तो बस हाल चाल पूछने आई थी तुम्हारा" पूजा ने कहा और उठ कर चल दी.
"रूको मैं तुम्हे घर छोड़ देता हूँ" सौरभ ने कहा.
"जी नही उसकी कोई ज़रूरत नही है मैं चली जाउंगी" पूजा ने कहा और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गयी.
सौरभ पूजा के मना करने के बावजूद उसके साथ चल दिया.
आशु कुण्डी लगा ले मैं अभी आता हूँ. आशु कुण्डी बंद करने लगा तो अपर्णा अचानक बोली,"नही खुली रहने दो उसे"
"क्यों क्या हुआ अपर्णा जी कुण्डी तो हमारी सुरक्षा के लिए है" आशु ने कहा.
"मैं तुम्हारे साथ इस बंद कमरे में नही रहूंगी समझे" अपर्णा ने कहा.
आशु ने दरवाजा बंद तो कर दिया पर कुण्डी नही लगाई.
"आपको मुझसे क्या डर है अपर्णा जी" आशु ने पूछा.
"मैं खूब जानती हूँ कि तुम किस फिराक में हो" अपर्णा ने कहा.
"मैं तो बस आपकी मदद कर रहा हूँ" आशु ने कहा.
अब अपर्णा कैसे बताए कि उसने सपने में क्या देखा था. वो तो सपने को हर हाल में टालना चाहती थी. आशु हैरान और परेशान हो रहा था की आख़िर अपर्णा ऐसा बिहेव क्यों कर रही है उसके साथ.
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"पूजा तुम आओ...आओ" आशु ने कहा.
पूजा अंदर आ गयी और अपर्णा के पास बैठ गयी.
"क्या हुआ तुम सब खामोस क्यों हो" पूजा ने पूछा.
"जिसे तुम कातिल बता रही थी वो भी कातिल नही है" सौरभ ने कहा.
"क्या! ऐसा नही हो सकता" पूजा ने कहा.
"ऐसा ही है पूजा" अपर्णा ने कहा.
"सॉरी मैने तुम लोगो का वक्त बर्बाद किया" पूजा ने कहा.
"कोई बात नही इसी बहाने हमे आपका साथ मिल गया." सौरभ ने कहा.
पूजा ने सौरभ की तरफ देखा और बोली,"मैं अपर्णा का साथ दे रही हूँ ना कि तुम्हारा"
"बात तो एक ही है हम सब साथ हैं" सौरभ ने कहा.
"अपर्णा आय ऍम रियली सॉरी...मैं तो बस तुम्हारी मदद करना चाहती थी." पूजा ने अपर्णा के कंधे पर हाथ रख कर कहा.
"इट्स ओके पूजा...थॅंक्स फॉर योर लव एन्ड सपोर्ट" अपर्णा ने कहा.
"हां हां आपका लव और सपोर्ट हमे हमेशा याद रहेगा" सौरभ ने कहा.
"ये गुरु को क्या हो गया अभी तो मूह लटकाए बैठा था अभी पूजा से फ्लर्ट कर रहा है." आशु ने सोचा.
"अच्छा मैं चलती हूँ...मैं तो बस हाल चाल पूछने आई थी तुम्हारा" पूजा ने कहा और उठ कर चल दी.
"रूको मैं तुम्हे घर छोड़ देता हूँ" सौरभ ने कहा.
"जी नही उसकी कोई ज़रूरत नही है मैं चली जाउंगी" पूजा ने कहा और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गयी.
सौरभ पूजा के मना करने के बावजूद उसके साथ चल दिया.
आशु कुण्डी लगा ले मैं अभी आता हूँ. आशु कुण्डी बंद करने लगा तो अपर्णा अचानक बोली,"नही खुली रहने दो उसे"
"क्यों क्या हुआ अपर्णा जी कुण्डी तो हमारी सुरक्षा के लिए है" आशु ने कहा.
"मैं तुम्हारे साथ इस बंद कमरे में नही रहूंगी समझे" अपर्णा ने कहा.
आशु ने दरवाजा बंद तो कर दिया पर कुण्डी नही लगाई.
"आपको मुझसे क्या डर है अपर्णा जी" आशु ने पूछा.
"मैं खूब जानती हूँ कि तुम किस फिराक में हो" अपर्णा ने कहा.
"मैं तो बस आपकी मदद कर रहा हूँ" आशु ने कहा.
अब अपर्णा कैसे बताए कि उसने सपने में क्या देखा था. वो तो सपने को हर हाल में टालना चाहती थी. आशु हैरान और परेशान हो रहा था की आख़िर अपर्णा ऐसा बिहेव क्यों कर रही है उसके साथ.
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