01-01-2020, 10:46 AM
"आआययईीीई शू शू हटो यहा से" किचन से आवाज़ आई.
"शायद कोई चूहा या कॉकरोच परेशान कर रहा है लड़की को मैं देख कर आता हूँ" सौरभ ने कहा.
"ठीक है जाओ मैं ये तस्वीर ठीकाने लगाता हूँ" आशु ने कहा.
सौरभ जब किचन में आया तो उसने देखा की वो लड़की चीनी का डब्बा उठाने की कोशिश कर रही है पर डर रही है क्योंकि उस पर एक मोटा सा कॉकरोच बैठा है.
"हा..हा..हे...हे." सौरभ हस्ने लगा.
लड़की ने मूड कर देखा और बोली, "आपको हस्ने की बजाय मेरी मदद करनी चाहिए"
"ओह सॉरी" सौरभ ने कहा और लड़की के पीछे आ कर सॅट गया. सौरभ का लंड अंजाने में ही उस लड़की की गान्ड से टकरा गया और उसमे
हरकत होने लगी. अगले ही पल वो सौरभ की पेण्ट में तन चुका था.
सौरभ ने हाथ के झटके से कॉकरोच को हटा दिया. कॉकरोच भाग कर कही छुप गया.
"लीजिए हो गयी आपकी मदद वैसे आपका नाम क्या है?" सौरभ ने पूछा.
"संगीता" लड़की ने जवाब दिया.
सौरभ ने अपने तने हुए लंड को संगीता की गान्ड पर अच्छे से सटा दिया और बोला, "बहुत अच्छा नाम है, बहुत प्यारा"
संगीता को सौरभ का लंड अपनी गान्ड की गहराई तक महसूस हो रहा था और वो सिहर रही थी.
"आप बैठिए मैं चाय लाती हूँ" संगीता ने कहा.
"चाय भी पी लेंगे...आपको कैसा लग रहा है अभी" सौरभ ने पूछा.
"क्या मतलब?"
"मतलब की वो कॉकरोच भगा दिया मैने...अब कैसा लग रहा है"
"अच्छा लग रहा है" संगीता ने कहा.
"अगर थोड़ा झुक जाओ तो और भी अच्छा लगेगा" सौरभ ने कहा.
"आपका दोस्त बाहर चाय की वेट कर रहा होगा" संगीता ने कहा.
"कोई बात नही चाय तो उसे मिल ही जाएगी...तुम नाडा खोल कर झुक जाओ" सौरभ ने कहा.
"मैं तुम्हे जानती तक नही" संगीता ने कहा.
"हमारी दूसरी मुलाकात है ये...हमने ही बच्चाया था तुम दोनो लड़कियो को उस दिन"
"जानती हूँ पर इसका मतलब ये तो नही कि मैं कुछ भी कर लूँ तुम्हारे साथ." संगीता ने कहा.
सौरभ ने संगीता की गान्ड पर हल्के हल्के धक्के मारने शुरू कर दिए.
"आहह क्या कर रहे हो" संगीता ने कहा.
"अब तुम झुक नही रही हो तो सोचा कि यू ही मज़े ले लू"
संगीता को सौरभ का लंड अपनी गान्ड की दरार पर महसूस हो रहा था.
"ह्म्म यही ठीक है तब तक मैं चाय बनाती हूँ" संगीता ने कहा.
सौरभ ने संगीता के आगे हाथ करके उसके नाडे को पकड़ लिया और बोला, "जब मज़े ही लेने हैं तो क्यों ना अच्छे से लिए जायें"
"शायद कोई चूहा या कॉकरोच परेशान कर रहा है लड़की को मैं देख कर आता हूँ" सौरभ ने कहा.
"ठीक है जाओ मैं ये तस्वीर ठीकाने लगाता हूँ" आशु ने कहा.
सौरभ जब किचन में आया तो उसने देखा की वो लड़की चीनी का डब्बा उठाने की कोशिश कर रही है पर डर रही है क्योंकि उस पर एक मोटा सा कॉकरोच बैठा है.
"हा..हा..हे...हे." सौरभ हस्ने लगा.
लड़की ने मूड कर देखा और बोली, "आपको हस्ने की बजाय मेरी मदद करनी चाहिए"
"ओह सॉरी" सौरभ ने कहा और लड़की के पीछे आ कर सॅट गया. सौरभ का लंड अंजाने में ही उस लड़की की गान्ड से टकरा गया और उसमे
हरकत होने लगी. अगले ही पल वो सौरभ की पेण्ट में तन चुका था.
सौरभ ने हाथ के झटके से कॉकरोच को हटा दिया. कॉकरोच भाग कर कही छुप गया.
"लीजिए हो गयी आपकी मदद वैसे आपका नाम क्या है?" सौरभ ने पूछा.
"संगीता" लड़की ने जवाब दिया.
सौरभ ने अपने तने हुए लंड को संगीता की गान्ड पर अच्छे से सटा दिया और बोला, "बहुत अच्छा नाम है, बहुत प्यारा"
संगीता को सौरभ का लंड अपनी गान्ड की गहराई तक महसूस हो रहा था और वो सिहर रही थी.
"आप बैठिए मैं चाय लाती हूँ" संगीता ने कहा.
"चाय भी पी लेंगे...आपको कैसा लग रहा है अभी" सौरभ ने पूछा.
"क्या मतलब?"
"मतलब की वो कॉकरोच भगा दिया मैने...अब कैसा लग रहा है"
"अच्छा लग रहा है" संगीता ने कहा.
"अगर थोड़ा झुक जाओ तो और भी अच्छा लगेगा" सौरभ ने कहा.
"आपका दोस्त बाहर चाय की वेट कर रहा होगा" संगीता ने कहा.
"कोई बात नही चाय तो उसे मिल ही जाएगी...तुम नाडा खोल कर झुक जाओ" सौरभ ने कहा.
"मैं तुम्हे जानती तक नही" संगीता ने कहा.
"हमारी दूसरी मुलाकात है ये...हमने ही बच्चाया था तुम दोनो लड़कियो को उस दिन"
"जानती हूँ पर इसका मतलब ये तो नही कि मैं कुछ भी कर लूँ तुम्हारे साथ." संगीता ने कहा.
सौरभ ने संगीता की गान्ड पर हल्के हल्के धक्के मारने शुरू कर दिए.
"आहह क्या कर रहे हो" संगीता ने कहा.
"अब तुम झुक नही रही हो तो सोचा कि यू ही मज़े ले लू"
संगीता को सौरभ का लंड अपनी गान्ड की दरार पर महसूस हो रहा था.
"ह्म्म यही ठीक है तब तक मैं चाय बनाती हूँ" संगीता ने कहा.
सौरभ ने संगीता के आगे हाथ करके उसके नाडे को पकड़ लिया और बोला, "जब मज़े ही लेने हैं तो क्यों ना अच्छे से लिए जायें"