01-01-2020, 10:28 AM
कमरे मे आकर मैने अपने बिस्तर पर चारो खाने चित हो कर लेट गयी ओर अपनी आँखे बंद कर ली.. मेरा दिल बोहोत जोरो से धड़क रहा था..मेरे पूरा माथे पर पसीना आ गया था.. ऑर योनि पूरी तरह से गीली हो कर बराबर रिसाव कर रही थी..
ये मेरी जिंदगी मे पहली बार हुआ था कि मैने किसी को इस तरह से देखा था.. मनीष ने कयि बार ब्लू फिल्म चलाई पर उन फिल्म को देखने का मेरा ज़रा भी मन नही होता था इन्फेक्ट मुझे ब्लू फिल्म या पॉर्न स्टोरी बोहोत गंदी लगती थी..
आज जो कुछ भी मैने अपने घर मे अपनी आँखो के सामने देखा उसे देख कर तो मेरी हालत बोहोत खराब हो गयी थी.. दोनो टाँगो के बीच योनि रस की चिप-चिपाहट अलग मुझे उत्तेजित किए जा रही थी..
थोड़ी ही देर मे मैने अपनी आँखे खोली ओर मेरी नज़र जब सामने लगे ड्रेसिंग टेबल पर लगे मिरर पर गयी तो.. कमरे के अंदर ट्यूब लाइट की सफेद रोशनी पूरी तरह से फैली हुई थी ऑर लाल रंग की साडी मे मेरा रूप अगर कोई मुझे देखता तो ऐसा लगता की जैसे गुलाब का फूल खिला हुआ हो..
मैं अपने बेड से उठ कर मिरर के सामने जा कर खड़ी हो गयी ऑर खुद को शीसे मे निहारने लग गयी.. मैने शीशे के आगे खड़े हो कर अपना हाथ अपने कंधे पे रखा ऑर अपनी साडी का पल्लू सरका दिया.. दूसरे ही पल शीशे मे खुद को देख कर मेरी आँखे अपने आप शर्म से झुक गयी..
आज पहली बार मैने शीशे मे खुद को इस नज़र से देखा था.. क्यूकी उस समय मेरे दिमाग़ मे अमित के कहे शब्द गूँज रहे थे कि निशा भाभी क्या माल है क्या दिखती है वो, यही सब सोच कर मैं शीशे मे खुद को निहारने लग गयी.. इस नज़र से तो मैने अपने आप को तब भी नही देखा था जब मनीष ने मुझे शीशे के आगे तैयार होते हुए कयि बार कहा कि निशा आज तो तुम बोहोत ही क़यामत लग रही हो.. लाल रंग का ब्लाउस ओर उस मे क़ैद मेरे दोनो उरोज ऑर उसके नीचे मेरी गोरे रंग की नाभि, उन्हे देख कर मेरे होंठो पर अपने आप ही मुस्कुराहट आ गयी..
मैने एक बार फिर से शीशे मे अपने दोनो उरोज को देखा.. मेरे दोनो उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे दो हिमालय पर्वत गर्व के साथ अपना सर उठाए खड़े हुए हो.. अपने उरोज देखते ही रूपा के दोनो नंगे उरोज मेरी आँखो के आगे आ गये ओर मैं अपने उरोज की तुलना उसके उरोजो से करने लगी, जिसमे मैने खुद को ही विन्नर पाया..
अपने दोनो उरोजो को रूपा से बड़ा ऑर गोलाई लिए शेप देख कर मेरे चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गयी.. मैने अपना एक हाथ अपने नंगे पेट पर फिराते हुए अपने दाई तरफ के उरोज पे रखा तो मेरी आँखे अपने आप ही बंद होने लग गयी, ओर मेरा दाया हाथ मेरे उरोज पर दबाता चला गया..
उस दिन पहली बार मैने अपने आप को इस अंदाज मे च्छुआ था ऑर उन्हे छुते ही मुझे जैसा महसूस हुआ मेरे अंदर जो रोमांच पैदा हुआ वैसा रोमांच तो मनीष के च्छूनें ऑर दबाने ऑर मुँह मे लेकर चूसने से भी नही आया था.. उस वक़्त ना जाने कों सा नशा मेरे उपर सवार हो गया था.. मेरा दाया हाथ मेरे उरोज पर दवाब धीरे धीरे बढ़ाने लग गया..
वो नशा मुझ पर इस कदर हावी होता चला गया कि मैने अपने ब्लाउस के बेटॅनो को खोलना शुरू कर दिया.. शादी के इतने सालो बाद भी मुझे सेक्स का नशा इतना नही चढ़ा था जितना उस वक़्त चढ़ गया था.. एक एक करके मैने अपने ब्लाउस के सारे बटन खोल दिए ओर उसे उतार कर बेड पर फेंक दिया..
ब्लॅक कलर की ब्रा के अंदर मेरे दोनो मोटे मोटे उरोज जैसे उस वक़्त खुद मुझ पर ही कहर बरसा रहे थे.. ब्रा मेरी छाती पर एक दम कसा हुआ था जिसकी वजह से आधे मेरे दोनो उरोज आधे से ज़्यादा बाहर निकल कर आ रहे थे.. शीसे मे खुद को देख कर फिर मेरे चेहरे पर गर्वान्वित मुस्कान आई.. रूपा के उरोज मुझसे छ्होटे थे ऑर साँवले भी थे जबकि मेरे उरोज उस से बड़े ऑर दूध की तरह गोरे रखे हुए थे..
मैने अपने दोनो हाथो से अपने दोनो उरोज को एक बार कस कर दबाया ऑर फिर अपने दोनो हाथ पीछे अपनी पीठ पर ले जा कर ब्रा का हुक खोल दिया.. अपने हाथ का स्पर्श अपनी पीठ पर पड़ते ही फिर से मेरे पूरे बदन मे रोमांच की एक लहर सी दौड़ गयी ऑर मेरे दोनो घुटनो मे कंपन होना शुरू हो गया..
ब्रा का हुक खुलते ही मेरे दोनो उरोज खुल कर मेरे सामने आ गये.. अपने उरोजो को देख कर एक तरफ इस तरह से देख कर मुझे शर्म आ रही थी पर दूसरी तरफ मुझे गर्व भी हो रहा था कि मेरे उरोज रूपा से बड़े ऑर सुंदर है.. मैने अपने दोनो उरोजो को अपने हाथो मे भर लिया ओर उन्हे हल्के हल्के दबाने लग गयी..
अपने हाथो से उरोजो को हल्का हल्का दबाते ही मेरे मुँह से एक ठंडी आह निकल गयी.. जिस कारण मेरी टाँगो के बीच मेरी योनि ने ऑर भी तेज़ी के साथ बहना शुरू कर दिया था.. अपनी टाँगो के बीच नमी का अहसास होते ही मेरा ध्यान अपने शरीर के नीचले हिस्से की तरफ गया.. रोमांच के सागर मे गोते लगाने ऑर योनि के लगातार बहने के कारण मेरी दोनो टांगे एक दूसरे से चिपक
ये मेरी जिंदगी मे पहली बार हुआ था कि मैने किसी को इस तरह से देखा था.. मनीष ने कयि बार ब्लू फिल्म चलाई पर उन फिल्म को देखने का मेरा ज़रा भी मन नही होता था इन्फेक्ट मुझे ब्लू फिल्म या पॉर्न स्टोरी बोहोत गंदी लगती थी..
आज जो कुछ भी मैने अपने घर मे अपनी आँखो के सामने देखा उसे देख कर तो मेरी हालत बोहोत खराब हो गयी थी.. दोनो टाँगो के बीच योनि रस की चिप-चिपाहट अलग मुझे उत्तेजित किए जा रही थी..
थोड़ी ही देर मे मैने अपनी आँखे खोली ओर मेरी नज़र जब सामने लगे ड्रेसिंग टेबल पर लगे मिरर पर गयी तो.. कमरे के अंदर ट्यूब लाइट की सफेद रोशनी पूरी तरह से फैली हुई थी ऑर लाल रंग की साडी मे मेरा रूप अगर कोई मुझे देखता तो ऐसा लगता की जैसे गुलाब का फूल खिला हुआ हो..
मैं अपने बेड से उठ कर मिरर के सामने जा कर खड़ी हो गयी ऑर खुद को शीसे मे निहारने लग गयी.. मैने शीशे के आगे खड़े हो कर अपना हाथ अपने कंधे पे रखा ऑर अपनी साडी का पल्लू सरका दिया.. दूसरे ही पल शीशे मे खुद को देख कर मेरी आँखे अपने आप शर्म से झुक गयी..
आज पहली बार मैने शीशे मे खुद को इस नज़र से देखा था.. क्यूकी उस समय मेरे दिमाग़ मे अमित के कहे शब्द गूँज रहे थे कि निशा भाभी क्या माल है क्या दिखती है वो, यही सब सोच कर मैं शीशे मे खुद को निहारने लग गयी.. इस नज़र से तो मैने अपने आप को तब भी नही देखा था जब मनीष ने मुझे शीशे के आगे तैयार होते हुए कयि बार कहा कि निशा आज तो तुम बोहोत ही क़यामत लग रही हो.. लाल रंग का ब्लाउस ओर उस मे क़ैद मेरे दोनो उरोज ऑर उसके नीचे मेरी गोरे रंग की नाभि, उन्हे देख कर मेरे होंठो पर अपने आप ही मुस्कुराहट आ गयी..
मैने एक बार फिर से शीशे मे अपने दोनो उरोज को देखा.. मेरे दोनो उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे दो हिमालय पर्वत गर्व के साथ अपना सर उठाए खड़े हुए हो.. अपने उरोज देखते ही रूपा के दोनो नंगे उरोज मेरी आँखो के आगे आ गये ओर मैं अपने उरोज की तुलना उसके उरोजो से करने लगी, जिसमे मैने खुद को ही विन्नर पाया..
अपने दोनो उरोजो को रूपा से बड़ा ऑर गोलाई लिए शेप देख कर मेरे चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गयी.. मैने अपना एक हाथ अपने नंगे पेट पर फिराते हुए अपने दाई तरफ के उरोज पे रखा तो मेरी आँखे अपने आप ही बंद होने लग गयी, ओर मेरा दाया हाथ मेरे उरोज पर दबाता चला गया..
उस दिन पहली बार मैने अपने आप को इस अंदाज मे च्छुआ था ऑर उन्हे छुते ही मुझे जैसा महसूस हुआ मेरे अंदर जो रोमांच पैदा हुआ वैसा रोमांच तो मनीष के च्छूनें ऑर दबाने ऑर मुँह मे लेकर चूसने से भी नही आया था.. उस वक़्त ना जाने कों सा नशा मेरे उपर सवार हो गया था.. मेरा दाया हाथ मेरे उरोज पर दवाब धीरे धीरे बढ़ाने लग गया..
वो नशा मुझ पर इस कदर हावी होता चला गया कि मैने अपने ब्लाउस के बेटॅनो को खोलना शुरू कर दिया.. शादी के इतने सालो बाद भी मुझे सेक्स का नशा इतना नही चढ़ा था जितना उस वक़्त चढ़ गया था.. एक एक करके मैने अपने ब्लाउस के सारे बटन खोल दिए ओर उसे उतार कर बेड पर फेंक दिया..
ब्लॅक कलर की ब्रा के अंदर मेरे दोनो मोटे मोटे उरोज जैसे उस वक़्त खुद मुझ पर ही कहर बरसा रहे थे.. ब्रा मेरी छाती पर एक दम कसा हुआ था जिसकी वजह से आधे मेरे दोनो उरोज आधे से ज़्यादा बाहर निकल कर आ रहे थे.. शीसे मे खुद को देख कर फिर मेरे चेहरे पर गर्वान्वित मुस्कान आई.. रूपा के उरोज मुझसे छ्होटे थे ऑर साँवले भी थे जबकि मेरे उरोज उस से बड़े ऑर दूध की तरह गोरे रखे हुए थे..
मैने अपने दोनो हाथो से अपने दोनो उरोज को एक बार कस कर दबाया ऑर फिर अपने दोनो हाथ पीछे अपनी पीठ पर ले जा कर ब्रा का हुक खोल दिया.. अपने हाथ का स्पर्श अपनी पीठ पर पड़ते ही फिर से मेरे पूरे बदन मे रोमांच की एक लहर सी दौड़ गयी ऑर मेरे दोनो घुटनो मे कंपन होना शुरू हो गया..
ब्रा का हुक खुलते ही मेरे दोनो उरोज खुल कर मेरे सामने आ गये.. अपने उरोजो को देख कर एक तरफ इस तरह से देख कर मुझे शर्म आ रही थी पर दूसरी तरफ मुझे गर्व भी हो रहा था कि मेरे उरोज रूपा से बड़े ऑर सुंदर है.. मैने अपने दोनो उरोजो को अपने हाथो मे भर लिया ओर उन्हे हल्के हल्के दबाने लग गयी..
अपने हाथो से उरोजो को हल्का हल्का दबाते ही मेरे मुँह से एक ठंडी आह निकल गयी.. जिस कारण मेरी टाँगो के बीच मेरी योनि ने ऑर भी तेज़ी के साथ बहना शुरू कर दिया था.. अपनी टाँगो के बीच नमी का अहसास होते ही मेरा ध्यान अपने शरीर के नीचले हिस्से की तरफ गया.. रोमांच के सागर मे गोते लगाने ऑर योनि के लगातार बहने के कारण मेरी दोनो टांगे एक दूसरे से चिपक