31-12-2019, 06:26 PM
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"विजय कुछ पता चला किसका नंबर है वो." चौहान ने पूछा. आशु भी पास में ही बैठा था.
"सर वो नंबर भी सुरिंदर का ही था....मोबायल ट्रेस किया पर वो जंगल में पड़ा मिला."
"तुम्हे फ़ौरन फोन मुझे देना चाहिए था ईडियट." चौहान आशु की तरफ देख कर झल्ला कर बोला.
"सॉरी सर आगे से ध्यान रखूँगा."
"ये बात उस कयामत को ना पता चले वरना मेरी खाट खड़ी कर देगी वो." चौहान ने कहा.
"सर मैं जाउ अब?" आशु ने कहा.
"पोलीस की नौकरी चौबीस घंटे की होती है बर्खुरदार कहा जाने की सोच रहे हो" चौहान ने कहा.
"सर आज पहला दिन है...घर पर थोड़ा सेलेब्रेट भी कर लूँ वरना आस पड़ोस के लोग नाराज़ हो जाएँगे"
"ठीक है आज तो जाओ कल से जल्दी जाने की सोचना भी मत" चौहान ने कहा.
आशु गहरी साँस ले कर चुपचाप वहां से निकल लिया.
"उफ्फ ये चौहान ही मिला था मेडम को मुझे ट्रेन करने के लिए" आशु ने सोचा.
आशु सीधा सौरभ के कमरे पर गया. उसने दरवाजा खड़काया. अपर्णा ने दरवाजा खोला.
"आप यहा अकेली हैं गुरु कहा है" आशु ने पूछा.
"सौरभ मेरे लिए कुछ कपड़े लेने गया है."
"अरे मैं भी सोच ही रहा था कि आप कब तक इन कपड़ो में रहेंगी"
"आशु मुझे घर जाना है क्या कुछ हो सकता है." अपर्णा ने पूछा.
"ह्म्म आप चिंता मत करो मैं खुद ले कर जाउन्गा आपको आपके घर बस एक दो दिन रुक जाईए" आशु ने कहा.
अपर्णा मायूस हो कर बैठ गयी. तभी सौरभ भी आ गया.
"गुरु ये काम अच्छा किया तुमने जो कि अपर्णा जी के लिए कुछ कपड़े ले आए"
"पूजा ने ध्यान दिलाया मुझे तो खुद ख्याल नही था और ना ही अपर्णा ने कुछ कहा"
"अपर्णा जी आप ट्राइ कर लीजिए...हम बाहर जाते हैं आओ गुरु तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है" आशु ने कहा.
आशु सुरिंदर के घर की सारी घटना सौरभ को सुना देता है.
"ह्म....ये सच में बहुत ख़तरनाक है" सौरभ ने कहा.
"हां गुरु और पूजा के बारे में कुछ अजीब सी बात पता लगी जिस पर यकीन नही होता"
"क्या पता चला मेरी पूजा के बारे में बताओ?"
"तुम्हारी पूजा...ये पूजा तुम्हारी कब्से हो गयी गुरु" आशु ने पूछा.
"बस हो गयी तू अब उस पर लाइन मत मारना अब वो मेरी है" सौरभ ने कहा.
"ये खूब रही गुरु...ये ठीक नही कर रहे तुम" आशु ने कहा.
"श्रद्धा है ना तेरे पास पूजा का क्या अच्चार डालेगा" सौरभ ने कहा.
"ऐसा क्या हो गया जो तुम पूजा के पीछे पड़ गये" आशु ने पूछा.
"मैने चॅलेंज लिया है कि उसे पटा कर रहूँगा."
"हे..हे..हा..हा..क्या खूब कही..... चॅलेंज के लिए पूजा ही मिली थी...मेरी चप्पल घिस्स गयी उसे पटाने के चक्कर में...पर उसने एक बार भी घास नही डाली"
"तू बता ना क्या बताने वाला था पूजा के बारे में" सौरभ ने कहा.
आशु सौरभ की चौहान की कही सारी बात बता देता है.
"ये ज़रूर ब्लॅकमेलिंग का चक्कर रहा होगा वरना पूजा ऐसी लड़की नही लगी मुझे"
"ड्प हो चुका है उसके साथ...मुझे तो खुद यकीन नही हुआ" आशु बोला.
"कुछ भी हो मैं फिर भी पूजा को पटा कर ही रहूँगा." सौरभ ने कहा.
"जैसी तुम्हारी मर्ज़ी गुरु...अब दोस्ती तो नीभानी ही पड़ेगी जाओ मैं रास्ते से हट गया" आशु ने कहा.
"अबे तू रास्ते में था कब जो हटेगा...तुझे तो वो बिल्कुल पसंद नही करती." सौरभ ने कहा.
"फिर भी मेरा त्याग याद रखना गुरु...कही भूल जाओ" आशु ने कहा.
"बिल्कुल मेरे आशु तेरा ये महान त्याग मैं हमेशा याद रखूँगा."
दोनो हस्ने लगे और वापिस कमरे की तरफ मूड गये.