Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Non-erotic पूस की रात
#10
उसने जोर से आवाज लगाई-जबरा, जबरा! जबरा भौंकता रहा। उसके पास न आया।

फिर खेत में चरे जाने की आहट मिली। अब वह अपने को धोखा न दे सका। उसे अपनी जगह से हिलना जहर लग रहा था। कैसा दंदाया हुआ बैठा था। इस जाड़े-पाले में खेत में जाना, जानवरों के पीछे दौड़ना, असूझ जान पड़ा। वह अपनी जगह से न हिला।

उसने जोर में आवाज लगाई-होलि-होलि! होलि! जबरा फिर भौंक उठा। जानवर खेत चर रहे थे। फसल तैयार है। कैसी अच्छी खेती थी, पर ये दुष्ट जानवर उसका सर्वनाश किए डालते हैं। हल्कू पक्का इरादा करके उठा और दो-तीन कदम चला, एकाएक हवा का ऐसा ठंडा, चुभने वाला, बिच्छू के डंक का सा झोंका लगा कि वह फिर बुझते हुए अलावा के पास आ बैठा और राख को कुरेदकर अपनी ठंडी देह को गर्माने लगा। वह उसी राख के पास गर्म जमीन पर चादर ओढ़कर सो गया।

जबरा अपना गला फाड़े डालता था, नीलगायें खेत का सफाया किए डालती थीं और हल्कू गर्म राख के पास शांत बैठा हुआ था। अकर्मण्यता ने रस्सियों की भाँति उसे चारों तरफ से जकड़ रखा था।

सवेरे जब उसकी नींद खुली, तब चारों तरफ धूप फैल गई थी। और मुन्नी कह रही थी-क्या आज सोते ही रहोगे? तुम यहाँ आकर रम गए और उधर सारा खेत चौपट हो गया।

हल्कू ने उठकर कहा-क्या तू खेत से होकर आ रही है? मुन्नी बोली-हाँ, सारे खेत का सत्यानाश हो गया। भला ऐसा भी कोई सोता है। तुम्हारे यहाँ मड़ैया डालने से क्या हुआ?

हल्कू ने बहाना किया-मैं मरते-मरते बचा, तुझे अपने खेत की पड़ी है। पेट में ऐसा दर्द हुआ कि मैं ही जानता हूँ।

दोनों फिर खेत की डाँड़ पर आए। देखा, सारा खेत रौंदा पड़ा हुआ है और जबरा मड़ैया के नीचे चित्त लेटा है, मानो प्राण ही न हों। दोनों खेत की दशा देख रहे थे।

मुन्नी के मुख पर उदासी छाई थी। पर हल्कू प्रसन्न था।

मुन्नी ने चिंतित होकर कहा-अब मजूरी करके मालगुजारी भरनी पड़ेगी।

हल्कू ने प्रसन्न मुख से कहा-रात की ठंड में यहाँ सोना तो न पड़ेगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:09 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:14 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:15 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:15 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:16 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:16 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:22 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:25 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:22 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:23 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:23 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:25 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:27 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:27 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:28 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:29 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:32 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:33 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:33 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 03:34 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 05:23 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 05:23 PM
RE: पूस की रात - by neerathemall - 31-12-2019, 05:33 PM



Users browsing this thread: 7 Guest(s)